गेंदलाल शुक्ला
कोरबा । गेवरा खदान में समाहित आमगांव की संपूर्ण जमीन को खाली कराने का प्रयास शुरू कर दिया गया है । नौकरी के आवेदन जमा कराने समेत अन्य समस्याओं को लेकर एसडीएम की उपस्थिति में त्रिपक्षीय बैठक में विस्थापितों ने बसाहट स्थल पर प्लाट नहीं देने, बिजली, पानी, तालाब जैसी मूलभूत व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराने की समस्याएं गिनाई । उन्होंने कहा कि एसईसीएल प्रबंधन जमीन खाली कराने के बाद विस्थापितों की सुध नहीं लेती है । इस पर एसडीएम ने 20 दिवस के भीतर सभी समस्या का निराकरण करने एसईसीएल के अफसरों को निर्देश दिया ।
एसईसीएल गेवरा खदान में ग्राम अमगांव की वर्ष 2010 में कुल 650 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया है । पुनर्वास नीति के तहत लगभग 315 ग्रामीणों की नौकरी दी जानी थी, इसमें 195 को ही एस ई सी एल में नौकरी मिल पाई । 15 लोगों का आवेदन फॉर्म नौकरी के लिए जमा किया गया है । शेष बचे ग्रामीण नौकरी के लिए भटक रहे हैं । गांव के लगभग एक दर्जन परिवारों को नौकरी, मुआवजा, बसाहट नहीं मिल पाने के कारण अभी भी चारों तरफ खदान खुल जाने के बावजूद समस्याओं से जूझते हुए भी निवास करने को मजबूर हैं । एसईसीएल गेवरा प्रबंधन खदान को आगे बढ़ाने के लिए गांव में निवासरत शेष लोगों को हटाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर प्रयास कर रहा है । इस मुद्दे को लेकर सोमवार को गांव के ठाकुरदेव स्थल में कटघोरा के अनुविभागीय अधिकारी सूर्यकिरण तिवारी, गेवरा के महाप्रबंधक एस के पाल, वरिष्ठ कार्मिक व कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी अविनाश शुक्ला, अभिताभ तिवारी, सोमनाथ मंगू की उपस्थिति में त्रिस्तरीय बैठक हुई । एसडीएम ने सभी प्रभावित ग्रामीणों की समस्या सुन एसईसीएल के अधिकारियों से जवाब मांगा। एसईसीएल के अधिकारी समस्याओं का सार्थक जवाब देने में आनाकानी करते हुए नजर आए। एसईसीएल ने नेहरूनगर बसाहट के लिए स्थान दिया है, जिस पर संतोषजनक कार्य नहीं होने, प्लाट नहीं देने, मुक्तिधाम नहीं बनाने, बिजली, पानी, तालाब जैसी मूलभूत आवश्यकताओं का व्यवस्था नहीं करने से कैसे बसाहट में जाएं |
इस संबंध में ग्राम सरपंच नारायणसिंह कंवर ने एस डी एम के समक्ष एस ई सी एल प्रबंधन पर नाराजगी जताई । ऊर्जाधानी भू.विस्थापित संघ के अध्यक्ष सुरेंद्र राठौर ने एसईसीएल के अधिकारियों पर झूठ बोलने, समस्याओं का निराकरण न करने, ग्रामीणों को गुमराह करने का आरोप लगाया । इस पर एस डी एम ने प्रबंधन से कहा कि 20 दिवस के भीतर ग्रामीणों की समस्या का समाधान किया जाए, तभी ग्रामीण गांव छोड़ेंगे । ग्रामीण अपनी समस्या निराकरण होते ही गांव छोड़ने के लिए तैयार हैं । उन्होंने कहा कि अधिग्रहित गांव व ग्रामीणों के सभी राजस्व रिकॉर्ड एसईसीएल के पास है तो राजस्व विभाग कैसे कोई कागज दुरुस्त करेगा ।