रायपुर | छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय इन दिनों साजिश का केंद्र बनता जा रहा है | यहाँ बेहतर पुलिसिंग व्यवस्था का दावा किए जाने के साथ -साथ हकीकत में वह कार्य हो रहा है जो राज्य की भूपेश बघेल सरकार को अस्थिर किए जाने को लेकर काफी है | ताजा मामला कई गंभीर आरोपों से घिरे निलंबित एडीजी मुकेश गुप्ता को सौपे गए फोन टेपिंग के दस्तावेजों से जुड़ा है | इन्ही दस्तावेजों को आधार बनाकर आरोपी मुकेश गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार उनकी बेटी ,ड्राइवर और अन्य परिजनों के ना केवल फोन टेप कर रही है ,बल्कि अवैधानिक तौर पर उनका पीछा भी कर रही है | रायपुर जिला पुलिस बल ,महानिरीक्षक कार्यालय और पुलिस मुख्यालय भी उन दस्तावेजों को लेकर हैरत में है जो निलंबित एडीजी मुकेश गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में बतौर सबूत सलंग्न किए है | ये दस्तावेज खुद -बा -खुद इस तथ्य की गवाही दे रहे है कि छत्तीसगढ़ पुलिस इस कुख्यात आरोपी की गतिविधियों पर पैनी निगाहें गड़ाए बैठी है , वो भी तब जब बिलासपुर हाईकोर्ट ने आरोपी के पक्ष में नो कोरेसिव एक्शन का फरमान सुनाया है |
कुख्यात आरोपी मुकेश गुप्ता को सौपे गए इंटिलेजेंस से जुड़े दस्तावेजों की पड़ताल न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने विभिन्न स्तरों पर की है | पड़ताल के दौरान चौकाने वाली जानकारी हासिल हुई है | प्राप्त जानकारी को छत्तीसगढ़ सरकार और पुलिस मुख्यालय को गंभीरता से लेना होगा , वरना सरकार से जुए कई गोपनीय दस्तावेज चाय पान के ठेलो में भी लटके नजर आएँगे | सूत्रों से प्राप्त तथ्यों के आधार पर यह खुलासा हुआ है कि पुलिस मुख्यालय की टेक्निकल विंग में तैनात डीएसपी स्तर के एक अफसर ने आरोपी मुकेश गुप्ता को फोन टेपिंग से जुड़े तमाम दस्तावेज रातों -रात उपलब्ध करा दिए | बताया जाता है कि यह अफसर आरोपी मुकेश गुप्ता के अलावा एक वरिष्ठ और प्रभावशील आईपीएस अधिकारी का भी विश्वास पात्र था | डीएसपी स्तर के इस अफसर की नाराजगी इस बात को लेकर थी कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हस्ताक्षेप के बाद राज्य सरकार ने उसका स्थानांतरण पुलिस मुख्यालय से सरगुजा कर दिया था | बताया जाता है कि पिछले पंद्रह वर्षो से भी अधिक समय से यह अफसर इंटिलेजेंस शाखा में तैनात था | फोन टेपिंग से जुड़े अहम् दस्तावेजों के अलावा कई ख़ुफ़िया जानकारियों का नोट तैयार करने की जवाबदारी भी उसी की कंधो पर थी | यह भी बताया जा रहा है कि एक वरिष्ठ और प्रभावशील आईपीएस अधिकारी के संरक्षण के चलते यह डीएसपी स्तर का अधिकारी स्थानांतरण होने के बावजूद कई महीनो तक अपनी कुर्सी में जमा रहा | इस दौरान वो कई ख़ुफ़िया जानकारियां आरोपी मुकेश गुप्ता को मुहैया कराता रहा | अपने स्थांतरण से खिन्न होकर उसने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से जुडी कई ख़ुफ़िया जानकारी आरोपी मुकेश गुप्ता से साझा की थी |
सूत्र बता रहे है कि इस दागी अफसर ने ख़ुफ़िया सूचनाओं और कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों से जुड़े डाटा को अभी भी अपने कब्जे में रखा हुआ है | प्राप्त जानकारी के अनुसार आरोपी मुकेश गुप्ता को जैसे ही उसके परिजनों के फोन टेपिंग से संबधित दस्तावेज हासिल हुए उसने फ़ौरन छत्तीसगढ़ सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को घेरने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया था | इस दागी अफसर की गतिविधियों की जानकारी पुलिस मुख्यालय के कुछ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को भी थी | लेकिन उन्होंने पुलिस मुख्यालय के माहौल को देखते हुए चुप्पी साध लेना ही बेहतर समझा था | लिहाजा इस दागी अफसर ने समय रहते आरोपी मुकेश गुप्ता को कई गोपनीय दस्तावेज सौपने में कोई कसर बांकि नहीं छोड़ी थी | हालांकि इस डीएसपी की संदिग्ध गतिविधियों जानकारी महकमे से जुड़े संबधित अफसरों को जब लगी तब तक काफी देर हो चुकी थी | बताया जाता है कि काफी विलंब से इस डीएसपी को उसके वर्तमान कार्यस्थल से रिलीव किया गया था | सवाल यह उठ रहा है कि इस स्थानांतिरत डीएसपी को समय पर क्यों रिलीव नहीं किया गया ? आखिर उसे संरक्षण देने की वजह क्या थी ? यह तथ्य भी इस बात से मेल खा रहा है कि आरोपी मुकेश गुप्ता ने जिन तिथियों पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी उन्ही तिथि के आसपास डीएसपी स्तर के इस अफसर को पुलिस मुख्यालय से रिलीव किया गया था |
उधर इस गंभीर मामले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को गुमराह किए जाने की जानकारी भी मिली है | बताया जाता है कि पुलिस मुख्यालय अपनी खामियों को नजर अंदाज कर इस प्रकरण को रायपुर पुलिस रेंज के सिर मड रहा है | ख़ुफ़िया दस्तावेज लिक होने की घटना को वरिष्ठ पुलिस अफसरों की एक लॉबी इसे नाकामी करार देकर रायपुर के वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक आरिफ शेख और महानिरीक्षक आनंद छाबड़ा के कार्यालय पर सवालियां निशान लगा रहे है | जबकि हकीकत यह है कि पुलिस मुख्यालय खुद इस घटना के लिए जिम्मेदार दिखाई दे रहा है | फ़िलहाल आरोपी मुकेश गुप्ता द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 25 अक्टूबर को सुनवाई करेगा | यह देखना गौरतलब होगा कि फोन टेपिंग को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार अदालत में क्या जवाब पेश करती है |



