रायपुर/ दिल्ली : छत्तीसगढ समेत देश के दर्जनभर राज्यों में SIR की प्रक्रिया जोर -शोर से क्रियान्वित की जा रही है। इस बीच कई ऐसे मामले आ रहे है, जो नागरिकता और मताधिकार को लेकर अदालतों तक पहुंच चुके है। पश्चिम बंगाल, असम, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में बांग्लादेशी रोहिंग्या को देश से निकाल बाहर किया जा रहा है। कोलकाता में तो बांग्लादेश जाने वाले रोहिंग्यों की लम्बी कतार लग गई है। आधार कार्ड के अलावा जन्म और मूल निवासी प्रमाण पत्र कई रोहिंग्यों की गले की फ़ांस बन गया गया है। नतीजतन, ऐसे घुसपैठियों की भारत से विदाई तय मानी जा रही है। इस बीच छत्तीसगढ़ में उन दो बच्चों का मामला सुर्ख़ियों में है, जिनके नैसर्गिक माता-पिता का अब तक कोई सुराग नहीं लग पाया है। दावा किया जा रहा है,कि पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के नेतृत्व में इन बच्चों ने जन्म लिया था।

हालाँकि, दस्तावेजों में इन बच्चों के वैधानिक और जेनेटिक माता-पिता का कोई उल्लेख सरकारी दस्तावेजों में उपलब्ध नहीं है। बघेल पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक, इन गुमनाम बच्चों के बारे में उनके पास कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है। अलबत्ता यह जरूर पता लगा है, कि भिलाई के सूर्या अपार्टमेंट में निवासरत इन बच्चों के जन्म के अवसर पर तत्कालीन पूर्व मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास में लोगों का मुंह मीठा कराया गया था।

इलाके से मिली जानकारी के मुताबिक, SIR प्रक्रिया में शामिल BLO जब सूर्या अपार्टमेंट पहुंचे तो उन्हें अज़ीबो -ग़रीब स्थिति का सामना करना पड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की निलंबित उप सचिव सौम्या चौरसिया दो अबोध बच्चों के साथ नजर तो आई लेकिन BLO एवं अन्य कर्मियों को चलता कर दिया गया। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक,सौम्या चौरसिया को छत्तीसगढ प्रदेश से बाहर रहने की विशेष शर्त के साथ जमानत पर रिहा किया गया था। लेकिन बताया जा रहा है,कि कानूनी दस्तावेजों में दर्ज वर्तमान निवास स्थान उनके भाई के घर बेंगलुरु के बजाए उसने भिलाई में गुपचुप तरीके से डेरा डाल लिया है। यह भी तस्दीक कि जा रही है, कि कंधे से कंघा मिला कर पूर्व मुख्यमंत्री बघेल इन बच्चों के लालन-पोषण में जुटे हुए है।

हालाँकि, बघेल के दोनों कोहिनूरो की उत्पत्ति कहाँ से हुई ? इसका अब तक कोई पता नहीं चल पाया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने भी इस मामले को लेकर चुप्पी साधे रखी है। पुख्ता जानकारी के मुताबिक,कांग्रेस राज में वर्ष 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल के आवास में स्थित उप सचिव कार्यालय में कार्यरत सौम्या चौरसिया को एक जोड़ा मतलब “01 नग लड़का और 01 नग लड़की ” की प्राप्ति हुई थी। लेकिन ये बच्चे किसके है ? और आखिर कैसे पूर्व मुख्यमंत्री बघेल और उनकी खासम-खास सौम्या चौरसिया की गोद में आ टपके यह रहस्यमय बना हुआ है ? बताया जाता है, कि भिलाई में इन बच्चों के अनुवांशिक माता-पिता की पहचान को लेकर अब BLO भी दो-चार हो रहे है।

यह भी बताया जा रहा है, कि माता-पिता की गलत और झूठी जानकारी देकर इन बच्चों का आधार कार्ड बनाया गया है। इसी आधार कार्ड में बच्चों के माता-पिता होने का दावा सौम्या चौरसिया दंपत्ति ने किया है। जानकारी के मुताबिक, ये बच्चे ना तो टेस्ट ट्यूब बेबी और ना ही सामान्य ( नैसर्गिक ) पद्धति से उत्पन्न हुए है। सरकारी रिकॉर्ड में इन बच्चों के जन्म को लेकर सरोगेसी की अनुमति जैसे कोई दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं है। यह भी साफ़ हुआ है, कि लगभग 48 वर्षीय सौम्या चौरसिया की सूनी गोद भरने के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल ने विशेष योगदान दिया था। उनके कार्यालय में पदस्थ सौम्या, तत्कालीन मुख्यमंत्री निवास की मुख्य कर्ता- धर्ता थी। उनके एक इशारे पर पूर्व मुख्यमंत्री बघेल उठक-बैठक लगाया करते थे। सौम्या का फरमान राज्यादेश के तौर पर लागू किया जाता था। इसकी नाफरमानी की हिम्मत पूर्व मुख्यमंत्री भी नहीं जुटा पाते थे।

हालाँकि, इन रहस्यमय बच्चों के DNA टेस्ट का मामला भी सुर्ख़ियों में है। एक पीड़ित ने पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के DNA टेस्ट की मांग की है, ताकि हकीकत पर से पर्दा हटाया जा सके, उधर मामले को लेकर बघेल मौन है। जबकि सौम्या चौरसिया और उसके आधिकारिक पति ने भी DNA टेस्ट को लेकर बेरुख़ी दिखाई है।

उधर,पूर्व मुख्यमंत्री बघेल बनाम विक्की डोनर की चर्चा राजनैतिक गलियारों में सरगर्म है। फ़िलहाल, जेनेटिक माता-पिता के सामने नहीं आने से इन बच्चों की वैधानिक स्थिति बांग्लादेशी रोहिंग्यों की तर्ज पर बताई जा रही है। सरकारी ड्यूटी में तैनात BLO के अब भिलाई में निवासरत पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के आवास में दस्तक देने के आसार नजर आ रहे है।
