रायपुर: रायपुर में एक मृतक महिला को जिन्दा बता कर उसकी जमीन की रजिस्ट्री करवाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस प्रकरण को लेकर पीड़ित पक्षकार और होरा बंधु आमने – सामने है। होरा बंधुओं के खिलाफ पुलिस ने आपराधिक प्रकरण दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है। रायपुर की सिविल लाइन पुलिस ने आरोपियों में से एक इंद्रपाल से पूछताछ की है। उसके बयान दर्ज करने के बाद अन्य आरोपियों की राह तक रही पुलिस अब उनकी पतासाजी में भी जुट गई है, शेष नामजद आरोपी उसकी पकड़ से बाहर बताए जा रहे है। इनमे प्रमुख नाम कारोबारी गुरुचरण सिंह होरा का बताया जाता है। सूत्र तस्दीक करते है, कि इंदरपाल से पूछताछ के बाद नई लीड मिलने से पुलिस हैरत में है। इंदरपाल के अलावा अन्य आरोपियों ने भी मृतक महिला को जिन्दा बताते हुए रजिस्ट्री करा कर उसकी ज़मीन पर अपना कब्ज़ा जमा लिया था। इस मामले में गुरुचरण सिंह होरा की भूमिका की पड़ताल की जा रही है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक अपना बयान दर्ज कराने के लिए होरा निर्धारित अवधि के बाद भी उपस्थित नहीं हो पाए है, इससे मामला संगीन हो चला है।

पुलिस सूत्रों की माने तो गुरुचरण सिंह होरा यदि बेदाग़ है, तो फ़ौरन उन्हें अपना बयान दर्ज करवाने के लिए उपस्थित होना चाहिए ? अन्यथा कानून तो अपना काम कर ही रहा है। उनके मुताबिक पुलिस किसी की दुश्मन नहीं, झूठे आरोपों पर कार्यवाही भी सुनिश्चित है। पीड़ित पक्षकारों ने तमाम आरोपियों की गिरफ़्तारी की मांग को लेकर पुलिस पर दबाव बनाया हुआ है। उधर खबर आ रही है, कि धोखाधड़ी के आरोपों में दर्ज FIR को चुनौती देने और अग्रिम जमानत प्राप्त करने के लिए गुरुचरण सिंह होरा हाई कोर्ट बिलासपुर पहुंच गए है। उन्होंने इस FIR को राजनीति से प्रेरित बताया है। इधर इस मामले को लेकर पुलिस विवेचना अंतिम पड़ाव में बताई जा रही है। अंदेशा जाहिर किया जा रहा है, कि स्थानीय पुलिस जल्द किसी बड़ी कार्यवाही की ओर बढ़ती नजर आ रही है।

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केबल कारोबार और गुरुचरण सिंह होरा बनाम FIR-
बीजेपी – कांग्रेस और खेल गढ़ में गुरुचरण सिंह होरा जाना – पहचाना चेहरा है। उनकी ऊँची छलांग से कई लोग हैरान है। राजनीति के गलियारों से लेकर खेल के मैदानों में होरा की चहल – कदमी को देखकर हैरानी जताने वालो की कोई कमी नहीं है। कोई उनके रसूख की दाद देता है, तो कोई अतिक्रमण और जमीनों के बेजा कब्जो को लेकर होरा पर उँगलियाँ उठा रहा है ? हकीकत क्या है, इसका अब तक खुलासा नहीं हो पाया है। दरअसल, होरा के खिलाफ कई मौको पर FIR दर्ज की गई, दूसरी ओर उन पर नकेल कसने को लेकर पुलिस की सुस्ती किसी से छिपी नहीं है। उन पर दर्ज मुकदमो पर मुकंबल कार्यवाही हो पाती, इसे पूर्व हाईकोर्ट से राहत प्राप्त करने में होरा बंधु पीछे नहीं रहते।

इस मामले को लेकर भी एक बार फिर स्थिति यथावत है, होरा हाईकोर्ट में पहुंच चुके है, पुलिस विवेचना के नाम पर सिर्फ बयान दर्ज करने तक सीमित हो गई है। जबकि,होरा बंधू FIR के तथ्यों को को बेबुनियाद बता रहे है। इस मामले के तूल पकड़ने के साथ ही चर्चा सरगरम है, कि जब होरा के खिलाफ कोई ठोस तथ्य पुलिस के पास उपलब्ध नहीं है,तो उनके खिलाफ FIR का शिगूफा आखिर क्यों छेड़ा गया ? क्या पर्दे के पीछे से कोई राजनेता FIR की आड़ लेकर होरा पर दबाव तो नहीं बना रहा है ? दरअसल, राज्य के ज्यादातर शहरों में होरा बंधुओं का बड़ा केबल टीवी नेटवर्क है, यही नहीं विवादित जमीनों की खरीद – फरोख्त और सौदों के निपटारों को लेकर गुरुचरण अक्सर सुर्ख़ियों में बने रहते है। उनके खिलाफ FIR का दर्ज होना और फिर मामलों का रफा – दफा हो जाना संकेत करता है, कि होरा पर दबाव बनाने के लिए खाकी वर्दी कारगर साबित हो रही है, जबकि पीड़ितों के आरोपों की न्यायलय से तस्दीक होने के बावजूद कार्यवाही दम तोड़ देती है। पुलिस के रुख को देखते हुए होरा भी फौरी राहत के लिए अदालत के चक्कर लगाते देखे जाते है, हाँ फैसला भी उनके हक़ में सामने आता है। सत्ताधारी दल के कई नेता होरा बंधुओं पर एक ओर मेहरबान भी है, तो दूसरी ओर पुलिस के जरिये उन पर दबाव भी बनाने में पीछे नहीं। ऐसे में होरा के खिलाफ दर्ज तमाम मामले रहस्यमय बनते जा रहे है।

दरअसल, पहले बीजेपी फिर कांग्रेस और अब फिर बीजेपी, प्रदेश की राजनीति के इन तीनों चरणों में होरा सुर्खियों में बने रहे। इन दलों के शीर्ष नेताओं के साथ होरा की नजदीकी सोशल मीडिया में छाई रहती है। उनकी होटलों में सुविधा का लुफ्त उठाते पुलिस के आला अफसरों को सहज देखा जा सकता है। उन्हें भू-पे राज में तो सरकारी “गन मैन” और सुरक्षा तक उपलब्ध कराई गई थी, इसकी बानगी बीजेपी शासन काल में भी नजर आती है। सत्ता के करीबी शख्स के खिलाफ FIR की लम्बी फेहरिस्त से साफ़ हो रहा है, कि प्रदेश में जमीनों के बड़े सौदों को लेकर राजनेताओं के बीच रस्साकंसी भी जारी है। इसमें होरा की भूमिका महत्वपूर्ण बताई जा रही है। मौजूदा दौर में भी उनका BJP और RSS से वही करीब के नाते का दावा किया जाता है, जो राजनैतिक गलियारों में सुविधाओं के चक्कर में अक्सर फलीभूत होता है।

ABVP के एक कार्यक्रम में हालिया होरा की सेवाओं का आदान – प्रदान होने से पुराने रिश्तो की गर्माहट भी महसूस की गई थी। ABVP ने उनके सेवा – भाव को ध्यान में रखते हुए सम्मानित भी किया था। सत्ताधारी दल से नजदीकियों के चलते होरा के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही को लेकर पुलिस भी पसोपेश में बताई जाती है। सिर्फ बीजेपी ही नहीं कांग्रेस के गलियारों में भी होरा की ऊँची पैठ के चर्चे आम है। खेल संघो की राजनीति और मैदान मारने का उनका हुनर क़ाबिले तारीफ बताया जाता है। कहा जाता है कि विवादों से होरा का पुराना नाता रहा है। उनके खिलाफ कई FIR दर्ज भी हुई और बेअसर भी साबित हुई। होरा के पुत्र तरनजीत का दावा है कि उनके पिता और अन्य परिजनों के खिलाफ दर्ज की गई यह FIR झूठी है ? उनके पास रजिस्ट्री कराई गई इस जमीन के सभी वैधानिक दस्तावेज उपलब्ध है। इसे पुलिस को भी सौंपा गया है।

छत्तीसगढ़ में केबल कारोबार और गुरुचरणसिंह होरा एक दूसरे के पूरक बताये जाते है। बताया जाता है, कि दुर्ग जिले में केबल कारोबार की कमान होरा ने बीजेपी के एक चर्चित नेता के सुपुत्र को सौंप दी है,अन्य जिलों में भी सत्ताधारियों के बीच केबल कारोबार का विकेन्द्रीकरण जारी बताया जाता है। दागी रिटायर आईएएस अनिल टूटेजा के साथ होरा के कारोबारी रिश्ते जाँच एजेंसियों की रडार पर अभी भी है। ऐसे में सिविल लाइन पुलिस और होरा बंधुओं के बीच छिड़ा द्वन्द लोगों के बीच बहस का मुद्दा बन गया है।

इसके पूर्व भिलाई की एक महिला ने गुरुचरणसिंह होरा के खिलाफ शोषण की FIR दर्ज कराई थी। हालांकि अदालत के जरिये इस FIR को टॉय – टॉय फिस्स करने में होरा कामयाब रहे। इस मामले ने जिस तर्ज पर तूल पकड़ा था, उतनी जल्दी ठंडा भी पड़ गया। यही नहीं, इसी दौर में रायपुर में एक अन्य धोखाधड़ी और मारपीट के मामले की FIR को लेकर होरा एवं उनके पुत्र तरनजीत और गुरमीत सिंह भाटिया को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिली थी। रायपुर से एडीजे (सप्तम) की कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। लेकिन हाई कोर्ट ने रिकॉर्ड में लिए गए सभी दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद सशर्त होरा की अग्रिम जमानत स्वीकृत की थी।

यह मामला छत्तीसगढ़ में हैथवे केबल कंपनी के शेयर हड़पने, कब्जा करने से जुड़ा बताया जाता है। FIR में कारोबारी गुरुचरण सिंह होरा, बेटे तरनजीत सिंह होरा और अन्य कारोबारी के खिलाफ देवेंद्र नगर थाना क्षेत्र में FIR दर्ज की गई थी। बिलासपुर के कारोबारी ने यह FIR दर्ज कराई थी। अब एक बार फिर नए मामले ने होरा का दामन थाम लिया है। राजधानी रायपुर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र में जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार कर मृत महिला को जीवित बताने और प्लॉट मालिकों को धमकी देने के मामले में उनका नाम सुर्ख़ियो में है। पुलिस ने रिटायर्ड शिक्षक देवनाथ देवागन की शिकायत पर कारोबारी गुरुचरण सिंह होरा, बीजेपी तेलीबांधा मंडल अध्यक्ष दलविंदर सिंह बेदी और पूर्व सुपर सीएम अनिल टुटेजा के करीबी रिश्तेदारों और साथियों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और धमकी देने की धाराओं में अपराध दर्ज किया है।

एफआईआर के मुताबिक, आरोपियों ने मृत महिला चमारिन बाई को जिंदा दिखाकर उसकी जगह फर्जी महिला को मुख्तियार बनाते हुए 1999 में रजिस्ट्री कराई थी। जबकि महिला की मृत्यु का प्रमाणपत्र वर्ष 1980 का जारी बताया जाता है। इस तरह फर्जी बैनामा तैयार कर कई प्लॉटों की विक्रय रजिस्ट्री की गई और बाद में उन्हीं दस्तावेजों के आधार पर वास्तविक भू-स्वामियों को अपनी ही जमीन पर मकान नहीं बनाने दिया गया। इस मामले में रायपुर सिविल कोर्ट ने 2005 और 2006 में इन सभी फर्जी रजिस्ट्री को शून्य घोषित कर दिया था। कोर्ट ने होरा-टुटेजा परिवार को जमीन में प्रवेश तक से प्रतिबंधित कर दिया था। इसके बावजूद आरोप है कि गुरुचरण होरा ने कोर्ट के आदेश की अनदेखी कर 2023 में फिर जमीन कब्जाने की कोशिश कर पीड़ितों पर दोहरा वार किया था। होरा बंधुओं के ठिकानों पर आईटी – ईडी भी दबिश दे चुकी है, लेकिन नतीजा सिफर रहा।

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या होरा पर सिर्फ राजनैतिक निशाना साधा जा रहा है या फिर दाल में कुछ काला है। उनके खिलाफ पुलिसिया कार्यवाही आखिर क्यों दम तोड़ देती है ? क्या बगैर ठोस जाँच – पड़ताल और सबूतों के अभाव में पुलिस होरा पर क़ानूनी डंडा चला रही है। अदालत से सरंक्षण प्राप्त करने के लिए आखिर क्यों होरा को बार-बार अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है ? यदि पीड़ितों के आरोप पुख्ता है तो वैधानिक कार्यवाही में हीला – हवाली क्यों ? फ़िलहाल पीड़ितों की गुहार नक्कारख़ाने में तूती की आवाज की तरह दबती नजर आ रही है। जबकि होरा अग्रिम जमानत के लिए अदालत की शरण में है। आरोप – प्रत्यारोप के इस दौर में आखिर होरा किसके निशाने पर है ? बयान दर्ज करवाने के मामले में उनके कदम आखिर क्यों पीछे हटते नजर आ रहे है ? इस मुद्दे पर न्यूज़ टुडे ने प्रतिक्रिया लेनी चाही, लेकिन गुरुचरणसिंह होरा का मोबाईल स्विच ऑफ आया।
