नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले लिया है। अब जांच एजेंसियों को गिरफ्तार करने से पहले व्यक्ति को लिखित में गिरफ्तारी के आधार बताने होंगे। यह फैसला व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संवैधानिक संरक्षण को मजबूत करने के लिए दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस, ईडी, सीबीआई सहित सभी जांच एजेंसियों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं, कि किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले या गिरफ्तार करने के तुरंत बाद, उसे उसकी समझ में आने वाली भाषा में लिखित रूप से गिरफ्तारी का कारण बताना अनिवार्य होगा।

मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा, कि यदि गिरफ्तारी की वजह आरोपी को उसकी भाषा में लिखित रूप से नहीं बताई गई, तो ऐसी गिरफ्तारी और उसके बाद की रिमांड दोनों को अवैध माना जाएगा। यह फैसला मुंबई बीएमडब्ल्यू हिट-एंड-रन मामले से उत्पन्न ‘मिहिर राजेश शाह बनाम महाराष्ट्र सरकार’ के मामले में दिया गया है। फैसले में कहा गया है, कि संविधान के अनुच्छेद 22(1) के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा एक मौलिक अधिकार है, और गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के कारणों के बारे में सूचित करना आवश्यक है।
