छत्तीसगढ़ में पहला फाइव स्टार सर्व सुविधायुक्त सेंट्रल जेल सामने आया है। खिताब की इस दौड़ में रायपुर सेंट्रल जेल का नाम सुर्खियों में है। कई ऐसे वीडियो और मामले सामने आए रहे है। जिससे पता चलता है, कि यहां कायदे कानूनों के खिलाफ़ कुछ चुनिंदा बंदियों को फाइव स्टार जैसी सुख सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है। गौरतलब यह है, कि ऐसे दर्जनों मामले सामने आने के बाद भी जेल प्रशासन मौन है।


ये तस्वीरें रायपुर सेन्ट्रल जेल के भीतर की है। आप देख सकते है, कि एक बंदी मोबाइल कैमरे में सेल्फी ले रहा है। तस्वीरों में देखा जा सकता इस बंदी ने अपने हाथो में मोबाईल थामे रखा है। जबकि जेल के भीतर मोबाइल का उपयोग तो दूर इसे लाना ले जाना भी प्रतिबंधित है। ये मोबाइल और सेल्फी लेने की कवायद जेल अधिनियम का खुल्ले आम मखौल उड़ाने जैसा है। ये मोबाइल इस बंदी के हाथो में कैसे पहुंचा यह जाँच का विषय है। लेकिन जेल के भीतर कई तरह की गैर कानूनी गतिविधियां साफ़ साफ नजर आ रही है। इससे लगता है दाल में कुछ काला नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली है।


सोशल मीडिया में वायरल इस वीडियो में दावा किया जा रहा है, कि यह बैरक नंबर 15 का है। रायपुर सेंट्रल जेल में विचाराधीन बंदी राशिद अली उर्फ राजा बैझड़ का कसरत करते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। अब जेल प्रशासन की जांच में सामने आया है,कि जेल में एक विचाराधीन बंदी के पास मोबाइल था। उसी के मोबाइल से राजा बैझड़ ने अपने साथियों के साथ सेल्फी ली थी। कसरत करते हुए वीडियो बनाया था। सेल्फी और वीडियो दोनों 5 अक्टूबर के हैं। पहले सुबह कसरत करते हुए वीडियो बनाया। इसके बाद दोपहर में सेल्फी ली गई। मो. राशिद अली उर्फ़ राजा बैझड़ के खिलाफ हत्या, आर्म्स एक्ट, एनडीपीएस, मारपीट, जान से मारने की धमकी के मामले दर्ज हैं.आरोपी राशिद अली जेल में अपना दबदबा दिखाना चाह रहा है. उसने सेंट्रेल जेल के बैरक नंबर 15 में जिम करते हुए बॉडी बनाते हुए वीडियो बनवाया है. जेल में बंद होने के बाद भी आरोपी सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव है।

इस वीडियो को वरिष्ठ पत्रकार मुकेश सिंह ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म x पर शेयर किया है। उन्होंने अपने वीडियो में जेल प्रशासन के रवैया पर एतराज जताते हुए। जेल में फाइव स्टार सुविधाएँ और मोबाइल उपलब्ध कराने पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है ।

छत्तीसगढ़ की जेलों में सिर्फ मोबाइल और फाइव स्टार सुविधाएँ ही नहीं आत्महत्याओं का नया दौर भी देखने को मिल रहा है। रायपुर समेत अन्य जेलों में आए दिन बंदियों की संदेहजनक मौत के मामले आ रहे है। इन प्रकरणों को लेकर जेल प्रशासन सवालों के घेरे में है। हालांकि बंदियों के बेमौत मारे जाने की घटनाओं के बावजूद मामले रफा – दफा किए जाने के कई वाकया सामने आ रहे है। जेल में मोबाइल और सुख सुविधाएँ आम है, बस बंदियों को उसका दाम भर चुकाना होता है। रायपुर सेन्ट्रल जेल सामने लोगो का लगा हुजूम उस बंदी की संदेहजनक मौत की उच्चस्तरीय जाँच की मांग से जुड़ा है, जिसे यहाँ न्यायिक हिरासत में रखा गया था। पीड़ित परिवार का आरोप है, कि शहज़ाद के साथ कोई ना कोई अनहोनी हुई है। वरना वो इतना कमजोर नहीं था, जो आत्महत्या कर ले। पीड़ित परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है। जबकि जेल प्रशासन ने अपनी वैधानिक जिम्मेदारियों से मुँह मोड़ लिया है। वरना इस तरह की घटनाएं आम होती नजर नहीं आती।

रायपुर सेन्ट्रल जेल परिसर भीतर और बाहर दोनों ओर से कतिपय अधिकारियों के लिए कमाई का स्त्रोत साबित हो रहा है। बंदी मुलाकात हो या फिर बंदियों के लिए खाद्य सामग्री और अन्य जरुरी वस्तुओं को उपलब्ध कराने का मसला, आम शिकायतें है, कि इसके लिए गैर कानूनी रूप से जेल प्रहरी मोटी रकम वसूलते है। जो लोग चढ़ोत्तरी चढ़ाते है, उन्हें आसानी से जेलर और बंदी मुलाकात का अवसर प्रदान कर दिया जाता है। जबकि जेल प्रहरी की नजरों में खरा ना उतरने वाले कई लोग, मौके से बैरंग लौटा देते है। उनकी ढेरो शिकायतों के बावजूद जेल प्रशासन के कानो में जूँ तक नहीं रेंगती। रायपुर सेंटर जेल में ED, CBI और ACB – EOW जैसी जाँच एजेंसियों के VIP आरोपी न्यायिक हिरासत में बंद है। इनमें महादेव एप्प सट्टा घोटाले के आरोपियों के अलावा 32,00 करोड़ के शराब घोटाले के प्रमुख आरोपी कवासी लखमा,अनवर ढेबर और रिटायर आईएएस अनिल टुटेजा शामिल है। यही नहीं पूर्व मुख्य मंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य उर्फ़ बिट्टू भी इन दिनों जेल की हवा खा रहे है। दावा किया जा रहा है, कि इन आरोपियों को गैर कानूनी रूप से उपलब्ध कराई जा रही सुख सुविधाओं से आम कैदियों में असंतोष पनप रहा है। VIP बंदियों को प्राप्त हो रही फाइव स्टार सुख सुविधाओं से जेल के भीतर वर्ग संघर्ष के हालात बन गए है।

उधर पूर्व मुख्य मंत्री भूपेश बघेल भी जेल प्रशासन को दबाव में लाने के लिए नए नए नुस्खे आजमा रहे है। उनका मकसद साफ़ है, कि उनके बेटे चैतन्य बघेल को सारी सुख सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाए । इसके लिए पूर्व मुख्य मंत्री भूपेश बघेल की कवायतें जोरों पर बताई जा रही है। दीपावली से ठीक पहले पूर्व मुख्यमंत्री बघेल रायपुर सेन्ट्रल जेल पहुंचे थे। लेकिन जब उन्हें कायदे कानून बताये गए तो वे भी जेल प्रशासन पर बिफर पड़े।

छत्तीसगढ़ के जेलों में होने वाली बंदियों की मौत काआंकड़ा चौकाने वाला है। यहाँ डेढ़ साल के भीतर करीब 150 बंदियों की न्यायिक अभिरक्षा में मौत हो चुकी है। बताया जाता है, कि ज्यादातर बंदियों ने जेल की व्यवस्था से प्रताड़ित होकर मौत को गले लगा लिया था। आंकड़ों पर गौर करे तो वर्ष- 2022 में 88 और वर्ष 2023 में 55 बंदियों की मौत जेल के भीतर दर्ज की गई थी। जबकि 2024 – 2025 का आंकड़ा अभी सामने नहीं आया है। हालांकि यह आंकड़ा भी हैरत अंगेज बताया जाता है।
1 – जुलाई 2025 को दुर्ग में केंद्रीय जेल में एक विचाराधीन कैदी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। मृतक किशुन साहू धमधा क्षेत्र के देवरी गांव का रहने वाला था। मृतक विचाराधीन कैदी हत्या के मामले में वर्ष 2024 से जेल में निरुद्ध था। उसका शव बैरक नंबर 20 के शौचालय में फांसी के फंदे पर लटकती मिली थी।
2 – जनवरी 2025 को रायपुर सेंट्रल जेल में एक अफ्रीकन कैदी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। बताया जा रहा है, कि जेल के अंदर खाने की खराब व्यवस्था को लेकर अफ्रीकन मूल के कैदी लगातार विरोध कर रहे थे।
3 बीते पांच महीने पहले रायपुर सेंट्रल जेल में एक कैदी के तबीयत बिगड़ने के बाद मेकाहारा अस्पताल में मौत हो गई थी। परिजनों का आरोप है कि जेल प्रशासन की लापरवाही की वजह से युवक की मौत हुई है।

यूं तो जेल में सेहत का ध्यान रखना और वर्जिस करना आम बात है। लेकिन जेल के भीतर से बाहर आने वाली ये तस्वीरें जेल का सूरते हाल-ए-बयां करती है। इस मामले को लेकर शासन प्रशासन भी मौन है। जेल के भीतर अवैध वसूली और रंगदारी वसूलने के साथ – साथ सादगी से रहने तक के लिए मोटी रकम चुकानी पड़ती है। जेल स्टाफ अतिरिक्त सुविधाएँ मुहैया कराने के लिए डिजिटल पैमेंट के ज़रिए अपने खातों में पीड़ित परिवारों से पैसा भी लेता है। इसके सबूत भी
प्रेस मीडिया में वायरल है। फिर भी जेल मंत्री यहां की व्यवस्थाओं से संतुष्ट नजर आते है। कहा जाता है, कि जेल की असलियत से वाकिफ होने के लिए मंत्री जी के पास वक्त ही नहीं है। यह भी बताया जाता है,कि गृह मंत्रालय के अलावा अन्य विभागों की जिम्मेदारी का बोझ उठाने के चलते मंत्री महोदय,अवैध कमाई के स्रोत बन चुके जेल महकमें की ओर रुख करने के लिए अपने व्यस्तम कार्यक्रमों से पल भर भी समय नहीं निकाल पाते। जानकारों के मुताबिक, प्रभारी मंत्री की
बेरुखी के चलते जेल के हालात दिनों दिन बत से बत्तर होते जा रहे है। अपराध से घृणा करो,अपराधी से नहीं छत्तीसगढ़ जेल प्रशासन महात्मा गाँधी की इस
सदविचार से कितना ‘इत्तेफ़ाक रखता है । यह तो आए दिन जाहिर हो रहा है।
फ़िलहाल जेल में मचे कोहराम और अव्यवस्थाओं को लेकर न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ ने जेल प्रशासन और जेल मंत्री की प्रतिक्रिया लेनी चाही, लेकिन कोई भी बातचीत के लिए तैयार नहीं हुआ ।
