
भारतमाला परियोजना भू-अधिग्रहण घोटाले में छत्तीसगढ़ ईओडब्लू ने अदालत में चार्ज शीट पेश कर दी है। अरबो के इस घोटाले में एजेंसी ने साढ़े सात हजार पन्नों के पेश चालान में कई बड़े खुलासे किए है। उसने साफ़ किया है, कि राज्य में जमीन की दलाली का खेल कलेक्टर की नाक के नीचे राजस्व विभाग के अफसरों की मिलीभगत से अंजाम दिया जा रहा था। ईओडब्लू ने उमा तिवारी, केदार तिवारी,विजय जैन और ज़मीन कारोबारी हरमीत खनूजा को घोटाले का मास्टरमाइंड बताया है।

छत्तीसगढ़ में मोदी सरकार की महती योजना भारतमाला परियोजना में भष्ट्राचार और घोटालेबाजी थामे नहीं थम रही है। जमीनों में हेर-फेर और अवैध रूप से मुआवजा वितरण का मामला सामने आने के बाद हरकत में आई ACB – EOW ने कई बड़े खुलासे किए है। आर्थिक अपराध शाखा { EOW } ने विशेष अदालत में चालान पेश कर जमीन दलाल हरमीत खनूजा, विजय कुमार जैन और उमा तिवारी को इस घोटाले का मास्टरमाइंड बताया है। एजेंसी ने इनके अलावा भी लगभग दर्जनभर लोगों को आरोपी बनाया है। इसमें प्रमुख नाम केदार तिवारी, कुंदन बघेल, भोजराज साहू, खेमराज कोसले, पुन्नूराम देशलहरे, गोपाल वर्मा और नरेंद्र नायक के बताये जाते हैं। एजेंसी ने घोटालों की पड़ताल में पाया, कि जमीन कारोबारी और राजस्व विभाग के अफसरों के बीच सांठ-गांठ कर सरकार को चूना लगाया गया था।

जाँच के मुताबिक जमीन को विभिन्न टुकड़ों में बांटकर फर्जी तरीके से रजिस्ट्री कराई गई थी। एक मामले में एनएचएआई से 78 करोड़ रुपये का बोगस भुगतान दिखाया गया था । इसके लिए एसडीएम, पटवारी और भू-माफिया के सिंडिकेट ने बैक डेट पर दस्तावेज तैयार किए थे। चार्जशीट में एजेंसी ने दावा किया है , कि राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों ने जमीन दलालों के साथ मिलकर सिंडिकेट बनाया था। इसमें जमीन दलाल हरमीत सिंह खनूजा ने साजिश रची थी। उसने कई भूमि स्वामियों, प्रोजेक्ट से प्रभावित किसानों और दलालों से संपर्क कर उनके राजस्व रिकॉर्ड में त्रुटियां और अधूरे नामांतरण व सीमांकन की जानकारी दे कर गुमराह किया था। ऐसे लोगो को मुआवजे से भी वंचित किया गया था। बताया जाता है, कि पटवारी, तहसीलदार और एसडीएम से सांठ गांठ कर आरोपियों ने किसानों से जमीनों के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराए थे । इस घोटाले का खुलासा होने के बाद कोरबा डिप्टी कलेक्टर शशिकांत कुर्रे और पूर्व जगदलपुर निगम कमिश्नर निर्भय साहू को सस्पेंड किया गया था। ईओडब्लू ने इसी साल 25 अप्रैल को लगभग 2 दर्जन ठिकानों में छापेमारी कर 10 लोगों को आरोपी बनाया था। उधर सीएम विष्णुदेव साय ने दावा किया है , कि भारतमाला प्रोजेक्ट के मुआवजे में बंदरबाट को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा, कि इस गड़बड़ी में कोई भी दोषी क्यों न हो उसे बख्शा नहीं जाएगा।

इधर, छत्तीसगढ़ नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने भारत माला परियोजना घोटाले की CBI जांच की मांग की है। उन्होंने इस बारे में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पत्र भी लिखा है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने इस मुद्दे को उठाया भी था, इसमें राज्य सरकार ने फर्जी नामांतरण और अधिक भुगतान की बात स्वीकार भी की थी ।

इस मामले में आरोपी राजस्व अधिकारी निर्भय साहू, दिनेश पटेल, रोशन लाल वर्मा, शशिकांत कुर्रे, जितेंद्र साहू, बसंती घृतलहरे, लखेश्वर प्रसाद किरण और लेखराम देवांगन फरार हैं। इन आरोपियों ने अदालत से राहत मिलने के बाद भी जांच में सहयोग नहीं किया, जिससे आपराधिक षडयंत्र, पद के दुरुपयोग और अवैध लाभ की जांच से संबंधित साक्ष्यों का संग्रह प्रभावित हो रहा है। ईओडब्लू ने बताया, कि उनके खिलाफ आगे की जांच चल रही है और उनकी भूमिका के संबंध में एक अलग आरोप पत्र दायर किया जाएगा। ताकि यह साबित किया जा सके कि शासन के साथ कुल मिलाकर कितनी वित्तीय धोखाधड़ी हुई और किन-किन अन्य अधिकारियों और दलालों की संलिप्तता रही।
भारतमाला परियोजना घोटाले में ईओडब्लू की जांच जारी है और इसकी अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी। इस घोटाले में करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप है, जिसमें सरकारी अधिकारी और जमीन दलाल शामिल हैं। जांच एजेंसी को उम्मीद है कि घोटाले की राशि और बढ़ सकती है। भारतमाला परियोजना का उद्देश्य देश में सड़क निर्माण और विकास को बढ़ावा देना है, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों ने इसकी प्रगति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।