
रायपुर: छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय सेवाओं के कई अधिकारी केंद्र और राज्य सरकार की मंशा के ठीक विपरीत अपने पद और प्रभाव का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग कर रहे थे। सरकारी सिस्टम को ऑफलाइन कर शासन – प्रशासन और कायदे – कानूनों की धज्जियाँ उड़ाने वाली चैट के उजागर होने के बाद ऐसे आपराधिक छवि के IAS और IPS अधिकारियों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाने की मांग ने जोर पकड़ लिया है। राज्य में यह पहला मौंका है जब आल इंडिया सर्विस के अधिकारियो ने सरकारी तिजोरी पर ही सेंधमारी की थी। बीजेपी के भीतर ऐसे दागी अफसरों को कम्पलसरी रिटायरमेंट देने की मांग ने बीजेपी के भीतर ही जोर पकड़ लिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने केंद्र और राज्य सरकार से दागी अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की है। इन नेताओं ने पीएमओ को पत्र लिखकर ED की जाँच रिपोर्ट का हवाला दिया है।

इस बीच जाँच एजेंसी द्वारा अदालत में पेश की गई चार्जशीट के कई तथ्य मय दस्तावेज मीडिया में वायरल हो रहे है। इसे देख पढ़ कर बीजेपी और आरएसएस के कई वरिष्ठ नेता हैरानी जता रहे है। उनकी दलील है कि भ्रष्टाचार में जीरो टॉलरेंस नीति के तहत दागी अफसरों को कम्पलसरी रिटायरमेन्ट देने से आम जनता के बीच अच्छा और कड़ा सन्देश जाएगा। इससे BJP सरकार की छवि निखरेगी। दरअसल 700 करोड़ के कोल खनन परिवहन घोटाले में शामिल ज्यादातर IAS – IPS अफसर 100 करोड़ से ज्यादा की अचल संपत्ति के आसामी बताये जाते है, नाते – रिस्तेदारों और उनके करीबियों के नाम पर किया गया यह निवेश उच्च स्तरीय जाँच के दायरे में बताया जाता है। यह भी बताया जा रहा है कि दागी अफसरों की अभी भी मलाईदार पदों पर तैनाती से घोटाले के सबूतों और गवाहों को प्रभावित करने का सिलसिला शुरू हो गया है। पुलिस मुख्यालय और मंत्रालय में ऐसे दागी अफसरों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही की मांग को लेकर गहमा – गहमी देखी जा रही है। प्रशासनिक हलकों से लेकर राजनीतिक गलियारों तक लोगों की निगाहें मुख्य सचिव के कार्यालय की ओर लगी हुई है।

राज्य में कोयले की दलाली और अवैध कारोबार के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के करीबी IAS – IPS अधिकारियों और कारोबारियों का व्हाट्सप्प ग्रुप भले ही कांग्रेस राज में कारगर साबित हुआ था । लेकिन अब यही व्हाट्सप्प ग्रुप उसके सदस्यों के लिए गले की फ़ांस बन गया है। इस व्हाट्सप्प ग्रुप में कोल खनन परिवहन घोटाले ही नहीं बल्कि कारोबारियों और अफसरों के रोजाना अवैध आय के स्रोतों की पूरी दास्तांन सिलसलेवार दर्ज बताई जाती है। जानकारी के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री की करीबी सौम्या चौरसिया की अगुवाई वाले इस व्हाट्सप ग्रुप में आल इंडिया सर्विस के लगभग दर्जनभर आईएएस – आईपीएस अधिकारी बतौर घोटालेबाजी में साझा रूप से सक्रिय बताये जाते है। उनकी चैट वायरल है, उससे साफ़ हो रहा है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की निगरानी में दुर्ग, वीकली, टावर और जुगनू नाम के व्हाट्सप ग्रुप विभिन्न घोटालों को अंजाम देने के लिए ऑनलाइन टूल्स का काम कर रहे थे। ऐसे ग्रुपो को चिन्हित करने के बाद हैरान करने वाली चैट भी सामने आई है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कोल माफिया सूर्यकान्त तिवारी 700 करोड़ से ज्यादा की काली कमाई को देवेंद्र-नवनीत के जरिए सालाना अंजाम देता था। अवैध रूप से 25 रुपए टन कोल लेवी की वसूली के मुख्य कर्ताधर्ताओं ने अवैध वसूली के लिए कई कोड वर्ड का इस्तेमाल किया था। महानगरों की तर्ज पर इस ग्रुप के तमाम सदस्यों ने अपना शार्ट नाम का इस्तेमाल करते हुए बड़े पैमाने पर उगाही की थी। जाँच एजेंसियों ने आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे व्हाट्सएप ग्रुप को खंगालने के बाद मय दस्तावेज़ डिजिटल एविडेंस कोर्ट में प्रस्तुत किये है, जिसमे बताया गया है कि अवैध वसूली के लिए IAS रानू साहू का नाम RS, माफिया सूर्यकान्त का नाम SKT, भू -पे बघेल का नाम ”बिग बॉस”, अनिल टुटेजा – AT, अनवर ढेबर – AD, बिट्टू बघेल – BB, देवेंद्र यादव – DY, सौम्या चौरसिया को इन ग्रुपों में SC मैम के नाम से संबोधित किया गया था। नगदी के आदान – प्रदान के लिए भी विशेष कोडवर्ड का उपयोग किया जाता था।

घोटालेबाजों ने कोडवर्ड के जरिये लाखों की रकम की तुलना गिट्टी से की थी, जबकि रेती से मतलब नगदी करोडो में जैसा नाम दिया था। ‘गिरा’ या ‘इन’ वाक्यों का मतलब होता था कि रकम प्राप्त हो चुकी है। दागी अफसरों के जुगनू और टावर नामक व्हाट्सएप ग्रुप काफी संवेदनशील और आपराधिक शैली के बताये जाते है। यह भी बताया जा रहा है कि ED और CBI के एक्टिव होते ही दागी अफसरों ने ग्रुप में शामिल नंबरों का इस्तेमाल करना बंद कर दिया था। ये मोबाईल नंबर और सिम अफसरों को किसके नाम पर और कैसे उपलब्ध कराए गए थे। इसकी भी पड़ताल जारी बताई जाती है। 1500 पन्नों की ED की चार्जशीट में वॉट्सऐप चैट, ग्रुप एक्टिविटी और तीन IPS अफसरों के नाम भी शामिल हैं, जो सूर्यकांत तिवारी और सौम्या चौरसिया के आपराधिक क्रियाकलापों में शामिल थे। ED की चार्जशीट के अनुसार तत्कालीन सीएम बघेल की उप सचिव सौम्या चौरसिया और कोयला माफिया सूर्यकांत तिवारी IPS पारूल माथुर, IPS प्रशांत अग्रवाल और IPS भोजराम पटेल के संपर्क में थे।इन अफसरों के इशारों पर अवैध वसूली का नेटवर्क संचालित होता था। कोल वाशरी संचालकों से 100 रुपए प्रति टन और वाशरी से कोयला निकलने पर कारोबारियों से 25 रुपए प्रति टन अतिरिक्त ट्रांसपोर्टिंग शुल्क इन अफसरों द्वारा वसूल लिया जाता था। कोर्ट में पेश चार्जशीट के अनुसार कोल ट्रांसपोर्टिंग करने वालों के अलावा कोल वाशरी संचालकों से भी अलग से मतलब दोहरा कमीशन वसूला गया था। कोरबा और रायगढ़ में वसूली के लिए अलग से ऑफिस खोले गए थे। रायगढ़ का पूरा वसूली कार्य नवनीत तिवारी और कोरबा का मोइनुद्दीन करता था। दोनों हर महीने वसूली की रकम अनुपम नगर स्थित सूर्यकांत तिवारी के घर पर जमा करते थे। सूर्यकांत के घर से मिली डायरी में नवनीत (नीतू) के नाम के आगे 17.73 करोड़ रुपए दर्ज है, अलग-अलग गवाहों के बयान में भी इसकी पुष्टि हुई है कि नवनीत ने लंबे समय तक अवैध वसूली की थी।

छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाले में 36 आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। ईडी का आरोप है कि कोयले के परिचालन, ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन करने समेत कई तरीकों से करीब 570 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध वसूली की गई है। घोटालेबाजों और शासन – प्रशासन के बीच इन अफसरों ने महत्वपूर्ण आपराधिक भूमिका और कड़ी के रूप में अपनी कार्यप्रणाली का प्रदर्शन किया था। जबकि कांस्टेबल अमित कुमार दुबे पर ED अफसरों की जासूसी करने का आरोप है। बताया जाता है कि तत्कालीन IG ( INT ) आनंद छाबड़ा के निर्देश पर ED समेत उन पत्रकारों पर कड़ी निगाह रखी जा रही थी, जो कोल घोटाले का समाचार प्रकाशित कर रहे थे। ED की रिपोर्ट पर ACB /EOW ने 2 पूर्व मंत्रियों, विधायकों सहित 36 लोगों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज कर मामले की जाँच जारी रखी है। इस मामले में IAS रानू साहू, IAS समीर विश्नोई, सौम्या चौरसिया, जेडी माइनिंग एसएस नाग और कोल माफिया सूर्यकांत तिवारी फ़िलहाल जमानत पर है। माना जा रहा है कि ED की चार्जशीट में प्रस्तुत कई गंभीर तथ्य आरोपियों के खिलाफ नए सिरे से पृथक FIR दर्ज करने के लिए पर्याप्त बताये जाते है।