
दिल्ली / रायपुर : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गाँधी के दिशा – निर्देशों की अवहेलना करना आधा दर्जन नेताओं को भारी पड़ गया है, कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें आब्जर्वर के पद से फ़ौरन हटा दिया है। ये आब्जर्वर कांग्रेस संगठन चुनाव की आधारशिला मजबूत करने राज्य के हालियां, दौरे पर थे। कांग्रेस आलाकमान ने इन नेताओं को छत्तीसगढ़ में पार्टी जिला अध्यक्ष के चयन की जिम्मेदारी सौंपी थी। राहुल गाँधी ने इन नेताओं को स्थानीय राजनीति, समीकरण और भाई – भतीजावाद से दूर रहने की सलाह दी थी। लेकिन राज्य का रुख करने के बाद कई ऑब्जर्वर राहुल गाँधी के निर्देशों के विपरीत स्थानीय नेताओं के चंगुल में फंस गए। उनकी मेहमान नवाजी और मौज – मस्ती की शिकायतें सामने आने के बाद ऐसे आब्जर्वर की छुट्टी कर दी गई है।

सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, मध्य प्रदेश की पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष हीना कावरे समेत आधा दर्जन ऑब्जर्वर पर गाज गिरी है। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की तीमारदारी स्वीकारना महंगा पड़ गया है। इन नेताओं को ऑब्जर्वर पद से हटाए जाने का मामला कांग्रेस मुख्यालय में चर्चा का विषय बना हुआ है। जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश के चर्चित नेता प्रतिपक्ष उमंग सिदार, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष हीना कावरे, उत्तर प्रदेश कमेठी के पूर्व अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, मणिपुर कांग्रेस की नेता रत्नागिरी अल्फ़ा और पर्यवेक्षक चरण सिंह सपरा ने कुछ दिनों पूर्व ही प्रदेश के विभिन्न जिलों का रुख किया था। उन्हें राहुल गाँधी के ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए इस राज्य से जमीनी कार्यकर्ताओं को खोज निकालने का दायित्व सौंपा गया था। पार्टी जिला अध्यक्ष नियुक्त किये जाने को लेकर इन नेताओं ने जब उन जिलों का रुख किया तो वे स्थानीय समीकरणों ने शिकार हो गए।

सूत्रों के मुताबिक अजय कुमार लल्लू ने पूर्व मुख्यमंत्री बघेल का आतिथ्य स्वीकार कर हुंकार भरी थी। उनकी गाडी में बैठकर दौरा किया और अपने तरीके से जिला अध्यक्ष की खोजबीन की। जबकि पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष हीना कावरे ने बालोद जिले के दौरे में स्थानीय विधायक प्रदत सुविधाओं का लाभ उठाया था। जानकारों के मुताबिक हीना कावरे ने स्थानीय विधायक संगीता सिंह के निवास में भोजन भी किया था। उनके रुख से साफ़ हो रहा था कि वे स्थानीय विधायक के दिशा – निर्देशों से प्रभावित है। एक शिकायत के मुताबिक आम कार्यकर्त्ता की हैसियत के बजाय आब्जर्वर विशेष दूत के रूप में चहल कदमी कर रहे है। उनकी निष्पक्षता सवालों के घेरे में आते ही राहुल गाँधी ने ऐसे आब्जर्वरों की छुट्टी करने का फ़रमान जारी किया है।

जानकार तस्दीक कर रहे है कि राहुल गाँधी ने ख़ास दिशा – निर्देश जारी किये थे। बावजूद इसके छत्तीसगढ़ में उनका मखौल उड़ाया गया था। उनके मुताबिक शिक़वा – शिकायतें आने पर की गई पड़ताल सच साबित हुई है। यह भी बताया जा रहा है कि पंजाब प्रभारी बनाये गए पूर्व मुख्यमंत्री बघेल सिर्फ औपचारिकता और रस्म अदायगी कर पंजाब से उल्टे पाँव रायपुर लौट जाते है। वे प्रदेश के विभिन्न जिलों का दौरा कर अभी भी अपने समीकरण बैठाने में जुटे है। यही नहीं संगठन की गतिविधियां हो या फिर पदाधिकारियों की नियुक्ति, हर एक मोर्चे पर अपने हितों के मद्देनजर अड़ंगा लगा रहे है। राजनीतिक गलियारों में दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस की कमान संभालने के चक्कर में पूर्व मुख्यमंत्री उसकी जड़े ही कमजोर कर रहे है।

माना जा रहा है कि वे कांग्रेस के समानांतर नया दल गठित करने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री की कुर्सी में बैठने के बाद बघेल ने सैकड़ों करोड़ की रक़म राजीव मितान क्लब के नाम पर खर्च की थी। इस क्लब के जरिये पूर्व मुख्यमंत्री ने यूथ कांग्रेस की तर्ज पर युवाओं का नया संगठन खड़ा किया था। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री के संगी – साथियों ने अरबों की इस सरकारी रकम को भी डकार लिया था।

उधर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की प्रक्रिया को तेज करने का दावा करते हुए दुर्ग में अजय कुमार लल्लू ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मीटिंग लेकर पूर्व मुख्यमंत्री की हाँ में हाँ मिलाई थी। जबकि एक अन्य पर्यवेक्षक चरण सिंह सपरा ने राजनांदगांव मे और हीना कावरे ने बालोद में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ चर्चा की थी। चरण सिंह सपरा ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा था कि, इस बार कांग्रेस जिलाध्यक्ष के चुनाव में भूमिपुत्र नेताओं को मौका दिया जाएगा. नेता पुत्रों में अगर योग्यता होगी तो उन्हें इस तरह के पद पर नियुक्ति किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा था कि जिला अध्यक्ष को लेकर पुराने व्यक्ति, अनुभवी और लोगों के बीच रहने वालों का नाम आगे पार्टी हाई कमान को भेजा जाएगा। इस अभियान के तहत आने वाले समय में धरतीपुत्र और भूमिपुत्र नेताओं को प्राथमिकता दी जाएगी. नेता पुत्र जो हैं उनकी अपनी जगह रहेगी, लेकिन भूमि पुत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी- चरण सिंह सपरा. के इस बयान के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने समर्थकों की लम्बी फ़ेहरिस्त ऑब्जर्वर को सौंप दी थी।

फ़िलहाल छत्तीसगढ़ में कांग्रेस मात्र 36 सीटों के भीतर सिमट गई है। माना जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री के इशारे पर नियुक्त होने वाले पदाधिकारियों से कांग्रेस का जनाधार तेजी से खिसक रहा है। ऐसे में राहुल गाँधी का ड्रीम प्रोजेक्ट कैसे अस्तित्व में आएगा ? इसे लेकर कयासों का दौर जारी है। ऑब्जर्वर से जुड़े विवाद के मामले को लेकर पार्टी की ओर से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है। फ़िलहाल पूर्व मुख्यमंत्री की रणनीति के तहत वरिष्ठ नेता चरणदास महंत और टीएस सिंहदेव जैसे दिग्गज हाशिये पर धकेल दिए गए है। ऐसे में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति का मामला जहां सुर्ख़ियों में है, वही कई वरिष्ठ कॉंग्रेसी नेता मायूसी के दौर में नजर आ रहे है।