
दिल्ली / रायपुर : – 3200 करोड़ के शराब घोटाले में सरकारी तिजोरी पर डाली गई डकैती से अर्जित रकम रायपुर से लेकर दुबई तक निवेश किये जाने की पुख्ता जानकारी सामने आई है।

ED सूत्रों के मुताबिक मनी लॉन्ड्रिंग के जरिये मोटी रकम दुबई तक भेजे जाने के क्लू एजेंसियों के हाथ लगे है। ED की छापेमारी के दौरान कई ऐसे दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट भी मिले थे, जिनके अनलॉक होने के बाद लूट की रकम को देश विदेश में खपाये जाने के पुख्ता प्रमाण मिले है। एजेंसियां, ऐसे गैजेट और डिजिटल डिवाइस की पड़ताल में जुटी है।

यह भी तस्दीक की जा रही है कि रायपुर टू दुबई निवेश को लेकर एजेंसियां कारोबारी अनवर ढेबर से पुनः पूछताछ कर सकती है। अनवर ढेबर इन दिनों रायपुर सेन्ट्रल जेल में बंद है, उनके अलावा यहाँ अनिल टुटेजा, नितेश पुरोहित, पप्पू बंसल, निरंजन दास समेत अन्य आरोपी भी निरुद्ध किये गए है। जबकि ACB – EOW के हत्थे चढ़े पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के खसम -खास विजय भाटिया को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर से सशर्त जमानत स्वीकृत हो गई है। जबकि रिटायर IAS अधिकारी निरंजन दास और कारोबारी नितेश पुरोहित से एजेंसियों की पूछताछ शुरू हो गई है। उक्त दोनों ही आरोपियों को ACB – EOW की टीम ने 4 दिनों की रिमांड में लेकर अपनी पड़ताल शुरू कर दी है।

जानकारी के मुताबिक तत्कालीन मुख्यमंत्री अनवर ढेबर के सीधे संपर्क में थे। घोटाले की रकम के हिसाब – किताब का ब्यौरा अनवर ढेबर ही उनके संज्ञान में लाता था। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री की तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरासियां की भूमिका भी लूट की कमाई के हिस्सेदार के रूप में सामने आई है। पूर्व मुख्यमंत्री की हिस्सेदारी वाली रकम कारोबारी अनवर ढेबर और सौम्या चौरसिया के माध्यम से चैतन्य उर्फ़ बिट्टू बघेल के हाथों में सौंपी जाती थी।

सूत्रों के मुताबिक जनवरी 2019 से फरवरी 2020 तक अनवर ढेबर ने करोडो की रकम देश – विदेश तक भेजे जाने का पुख्ता प्रबंध किया था। आमतौर पर विभिन्न जिलों से एकत्रित होने वाली करोडो की नगदी रायपुर के जेल रोड स्थित होटल गिरीराज में रखवाई जाती थी। यह होटल नीतेश पुरोहित और यश पुरोहित की बताई जाती है, दोनों ही आरोपी रिश्ते में पिता -पुत्र बताये जाते है।

यह भी बताया जाता है कि लूट की रकम का मोटा हिस्सा पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र चैतन्य बघेल के हाथो में सौंपा जाता था। इसके बाद खुद अनवर ढेबर और सौम्या चौरसिया अपनी हिस्सेदारी प्राप्त कर शेष रकम अन्य ठिकानो पर पहुंचाया करते थे। ऐसे ठिकानो में तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा समेत आबकारी विभाग के अधिकारी और स्थानीय लोगो तक पहुँचता था। इस होटल में नोटों की पैकिंग भी की जाती थी, इसके बाद कांग्रेसी नेताओं और अन्य हिस्सेदारों को भी हर माह नोटों का कार्टून पहुंचाया जाता था।

घोटाले की पड़ताल में यह भी तथ्य सामने आया है कि कारोबारी अनवर का मैनेजर दीपेन चावड़ा के जरिये भी नोटों के पार्सल इधर से उधर किये जाते थे। जबकि तत्कालीन आबकारी आयुक्त निरंजन दास को मूक दर्शक बने रहने के लिए लूट की रकम का तय हिस्सा मिलता था। पूर्व मुख्यमंत्री का करीबी लक्ष्मीनारायण बंसल उर्फ पप्पू भी इस सिंडिकेट का ख़ास हिस्सा था। चैतन्य बघेल के जरिये उसने करोडो की रकम विभिन्न बिल्डरों और रियल एस्टेट कारोबारियों को सौंपी थी।

सूत्र यह भी तस्दीक कर रहे है कि आरोपी निरंजन दास और पुरोहित पिता पुत्र से ACB की पूछताछ में कई बड़े खुलासे के आसार है। जबकि घोटाले के केंद्र के रूप में उपयोग में आने वाली होटल गिरीराज के मालिकाना हक़ को लेकर भी एजेंसियां सवाल -जवाब कर सकती है। चर्चा है कि पिता के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर चिपके रहने के दौरान ही यह होटल भी चैतन्य बघेल ने खरीद कर कारोबारी अनवर ढेबर को सौंप दिया था। फ़िलहाल, तीनो आरोपियों से रिमांड के दौरान जारी पूछताछ, पूर्व मुख्यमंत्री के लिए मुश्किलों भरी बताई जाती है।