
रायपुर / बिलासपुर :
छत्तीसगढ़ पूर्व सेक्रेटरी विवेक ढांढ समेत दर्जन अधिकारियों के खिलाफ बिलासपुर हाईकोर्ट ने CBI जांच के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट के आदेश से प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में हड़कंप है।
एक हजार करोड़ से अधिक के इस घोटाले में समाज कल्याण विभाग के तत्कालीन अधिकारी राकेश तिवारी और पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव एम.के. राउत की महत्वपूर्ण भूमिका सामने आई थी। इस मामले में आरोपी अधिकारियों ने राजनीतिक संरक्षण प्राप्त कर सुप्रीम कोर्ट को भी गुमराह किया था।
करीब 5 वर्ष पूर्व छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इस मामले की CBI जांच के निर्देश दिए थे, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हस्तक्षेप से तमाम आरोपी राहत पाने में सफल हो गए थे। उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर स्टे प्राप्त कर लिया था।

हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट से आरोपी को मिली राहत खत्म हो गई है। सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट से स्टे खारिज होने के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला यथावत रखते हुए आरोपियों को तगड़ा झटका दिया है।
समाज कल्याण विभाग के तत्कालीन अधिकारी राकेश तिवारी, विवेक ढांढ के करीबी बताए जाते हैं। जबकि विवेक ढांढ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक गुरु और मुख्य सलाहकार हैं।

बिलासपुर हाईकोर्ट ने फर्जी NGO मामले की जांच CBI को सौंपने का निर्देश दिया है। जानकारी के अनुसार, कांग्रेस शासन के दौरान कुछ IAS अधिकारियों ने फर्जी NGO बनाया था, जिसके जरिए लगभग 1,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया। रिटायर्ड IAS अधिकारी विवेक ढांढ और एम.के. राउत का नाम इस घोटाले में सामने आया है।
एम.के. राउत 1984 बैच के IAS अधिकारी हैं और छत्तीसगढ़ के तेजतर्रार अफसर माने जाते हैं। वे रायपुर और बिलासपुर के कलेक्टर रह चुके हैं और कई महत्वपूर्ण विभागों के सचिव भी रहे हैं। उन्होंने अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद से रिटायरमेंट लिया।
विवेक ढांढ 1981 बैच के IAS अधिकारी हैं और छत्तीसगढ़ के मूल निवासी हैं। वे 1 मार्च 2014 को राज्य के मुख्य सचिव बने थे और 3 साल 7 महीने तक इस पद पर बने रहने का रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने नवाचार आयोग और RERA जैसी संस्थाओं में अध्यक्ष के रूप में भी काम किया। उनके नाम पर पहले शराब और ज़मीन घोटाले में भी सवाल उठ चुके हैं।

चार महीने पहले जशपुर पुलिस ने दिल्ली से गिरोह के मास्टरमाइंड रत्नाकर उपाध्याय और संस्था की डायरेक्टर अनीता उपाध्याय को गिरफ्तार किया था। आरोपियों ने ‘राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन’ नामक फर्जी NGO रजिस्टर कराया और CSR फंड का झांसा देकर 15 राज्यों में 150 करोड़ रुपये का ठेका दिलाने का लालच दिया। कारोबारियों ने सुरक्षा राशि, प्रोसेसिंग फीस और कमीशन के नाम पर लाखों रुपये दिए।
आरोपियों में तत्कालीन मुख्य सचिव, पूर्व कांग्रेस सरकार के विवेक ढांढ को नवाचार आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था। उनके नाम का पहले शराब और ज़मीन घोटाले में भी जिक्र सामने आ चुका है। फिलहाल आरोपियों ने एक बार फिर अपने राजनीतिक आकाओं की तलाश शुरू कर दी है, जबकि CBI अलर्ट मोड पर बताई जाती है