
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में गाजा संघर्ष और फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का मुद्दा प्रमुख रूप से उठाया गया। इस दौरान विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने मानवीय संकट, क्षेत्रीय स्थिरता और संघर्ष समाधान पर गंभीर चर्चा की। खास बात यह रही कि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रोबोवो सुबिआंतो ने अपने भाषण का अंत “ओम शांति ओम” कह कर किया, जो भारतीय संस्कृति की पहचान भी है।
सुबिआंतो ने वैश्विक शांति, न्याय और समानता के लिए जोरदार अपील की। उन्होंने कहा कि नस्लवाद, घृणा और भेदभाव हमारी दुनिया के लिए गंभीर खतरा हैं। इसके साथ ही उन्होंने घोषणा की कि इंडोनेशिया गाजा में शांति स्थापित करने के लिए 20,000 सैनिक भेजने के लिए तैयार है। उनका कहना था कि यह सिर्फ शब्दों से नहीं, बल्कि जमीन पर सैनिकों की उपस्थिति से ही संभव होगा।
इजरायल-फिलिस्तीन विवाद पर प्रोबोवो ने द्वि-राष्ट्र समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को स्वतंत्रता, सुरक्षा और आतंकवाद से मुक्त जीवन सुनिश्चित करना होगा। राजनीतिक समस्याओं का हल केवल संवाद और समझौते से ही संभव है, हिंसा से नहीं।
अपने 19 मिनट के भाषण के अंत में उन्होंने तीन धार्मिक शांति मंत्रों का उपयोग किया—“ओम शांति शांति शांति ओम”, “नमो बुद्धाय” और “शालोम।” इस संदेश को विश्व समुदाय के लिए प्रेम, सहिष्णुता और भाईचारे का प्रतीक माना गया।