ठगी के शिकार किसानो को कृषि मंत्री रविंद्र चौबे के नाम पर “धमका” रहे है, “दागी अफसर और दलाल” | हार्टिकल्चर विभाग के दलाल “कूलिंग चैंबर” घोटाले के दोषियों पर कार्यवाही की मांग |

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राजधानी रायपुर और उससे सटे कृषि प्रधान जिलों के कस्बो में निवासरत कई किसानो ने कृषि मंत्री रविंद्र चौबे से गुहार, लगाईं है कि कब न्याय करोगे “महाराज” ? दरअसल पीड़ित किसानो को  हार्टिकल्चर विभाग के दलाल “कूलिंग चैंबर” घोटाले में कार्यवाही की मांग  करने को लेकर धमका रहे है | दो साल से भी ज्यादा वक्त से दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की फाईल  “मंत्रालय” में धूल खा रही है | ठगी का शिकार हुए किसान नयी सरकार और कृषि विभाग के मुखियां से कड़ी कार्यवाही की मांग कर रहे है, ताकि सरकारी योजनाओ का लाभ ” डी ” कंपनी ना उठा सके |  
  

 छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय  बागवानी मिशन के तहत संचालित “कूलिंग चैंबर” योजना के पीड़ित किसान अब दलालो और दागी अफसरों की “धमकियों” को लेकर पशोपेश में है | इन किसानो को अपना मुँह बंद रखने, पूर्व में दिए गए बयानों को झूठा बताने और उनके नाम पर हुए फर्जीवाड़े से “इंकार” करने के लिए हिदायते दी जा रही है | वरना उन किसानो को “डिफॉल्टर” घोषित करवाने और भविष्य में किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं देने की “चेतावनी” भी दी जा रही है | इसके लिए “कृषि मंत्री” के नाम का “बेजा” इस्तेमाल होने की खबर आ रही है |  दरअसल पूरवर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में  “हार्टिकल्चर” के दलालो ने लगभग 928 किसानो को “कूलिंग चैंबर” योजना का “बोगस” हितग्राही दर्शाकर 20 करोड़ से ज्यादा का हेरफेर किया था | अब कांग्रेस सरकार आने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग जोर पकड़ रही है | लिहाजा फिर बच निकलने के लिए “दागी अफसर” और “दलाल” पीड़ित किसानो को कृषि मंत्री रविंद्र चौबे के नाम पर “धमका” रहे है | बेमेतरा, बालोद और दुर्ग के दर्जनो किसानो ने कृषि मंत्री को “हकीकत” से वाकिफ कराने का फैसला लिया है | ये किसान जल्द ही उनसे मिलने वाले है | 


पूर्ववर्ती  बीजेपी सरकार के कार्यकाल “कूलिंग चैंबर” योजना में हुए घोटाले में “दोषी” पाए गए अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज नहीं होने के चलते भ्रष्ट अफसरों और उनके दलालो के हौसले “बुलंद” है | हार्टिकल्चर विभाग को “दीमक” की तरह चाटने वाला एक “गिरोह” उन पीड़ित  किसानो पर दबाव बना रहा है, जिन्हे “कूलिंग चैंबर” योजना में “लाभान्वित” दर्शाया गया था | दुर्ग , कवर्धा , बेमेतरा , बालोद ,  धमतरी और महासमुंद के दो दर्जन से ज्यादा किसानो ने आरोप लगाया है कि चार साल पुराने इस “घोटाले” को लेकर दिए गए उनके बयानों को यदि वे वापस नहीं लेंगे तो उन्हें जेल की सजा भुगतनी पड़ेगी उनके घर पहुंच कर कुछ लोग ऐसी “धमकियाँ” दे रहे है | दरअसल हार्टिकल्चर विभाग ने इन किसानो को “कूलिंग चैंबर ” योजना के  तहत “दो-दो लाख”  के अनुदान से लाभान्वित बताया था | जबकि हकीकत में ना तो अधिकारियों ने इनके खेत खलियानो में “कूलिंग चैंबर” स्थापित किया था  और ना ही इन्हे कोई “अनुदान” प्राप्त हुआ था | लगभग ढाई वर्ष पूर्व एक “जांच टीम” ने इन किसानो के खेत खलियानो का जायजा लेने के बाद उनकी शिकायते बतौर “बयान” दर्ज की थी | दरअसल केंद्र और राज्य की मदद से संचालित होने वाली “कूलिंग चैंबर” योजना के तहत लगभग दर्जन भर से ज्यादा जिलों में 928 किसानो को  सरकारी दस्तावेजो में लाभान्वित बताया गया था |  जबकि ज्यादातर  किसानो को “कूलिंग चैंबर” मुहैया ही नहीं कराया गया था | 

 जाँच रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि मात्र चंद किसानो को घाटियां  सामान मुहैया करा कर  अफसरों ने दस्तावेजों में ज्यादातर किसानो के  “फर्जी” हस्ताक्षर करवाए थे |  इस योजना की औपचारिकता पूरी करने के लिए किसानो की अंक सूची , राशन कार्ड और पहचान पत्रो का बड़े पैमाने पर सुनियोजित “दुरूपयोग” किया गया था | प्राथमिक जांच के दौरान इस योजना में 20 करोड़ से ज्यादा की “धांधली” सामने आयी थी |  इस खुलासे के बाद हार्टिकल्चर विभाग के तत्कालीन डायरेक्टर भुवनेश यादव को “कारण बताओ” नोटिस भी जारी  किया गया था | लेकिन पहले विधान सभा और उसके बाद लोक सभा चुनाव के चलते जांच में दोषी पाए गए अफसरों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की  गयी | अब जब RTI के जरिये इस घोटाले का सच सामने आ रहा हो तो , हार्टिकल्चर विभाग में कार्यरत कई दलाल और संदिग्ध अफसर किसानो को अपना “मुँह बंद” रखने के लिए धमका रहे है | 


  छत्तीसगढ़ मे किसानो की आर्थिक स्थिति मजबूत बनाने के लिए राष्ट्रिय बागवानी मिशन के तहत किसानो को “कूलिंग चैंबर” स्थापित करने के लिए “प्रोत्साहित ” किया गया था | वर्ष 2011 में संचालित की गयी इस योजना में 90 प्रतिशत अनुदान केंद्र और 10 फीसदी अनुदान राज्य शासन ने वहन किया था | योजना के तहत साग सब्जी और फलो का उत्पादन करने वाले किसानो की फसलों को सुरक्षित रखने  के लिए ” कूलिंग चैंबर ” बनाने हेतु उन्हें “दो-दो” लाख रूपये स्वीकृत किये गए थे | बताया जाता है कि विभाग में कार्यरत एक “गिरोह” ने अफसरों के साथ मिलकर इस योजना को हाईजैक कर लिया था | नतीजतन किसानो को बगैर सहमति घाटियां उपकरण मुहैया कराये गए | सिर्फ औपचारिकता निभाने के लिए इस गिरोह ने कुछ किसानो को घाटियां “कूलिंग चैंबर” मुहैया करा कर अपना पल्ला झाड़ लिया था | इस दौरान यह तथ्य भी सामने आया कि ज्यादातर किसान ऐसे थे जिनके नाम का सिर्फ “इस्तेमाल” हुआ था  | धांधली के चलते यह योजना ठप्प हो गयी |  वर्ष 2011 से लेकर 2015 तक अंजाम दिए गए इस “घोटाले” को लेकर कई किसान संगठनो ने तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह और केंद्रीय कृषि मंत्रालय तक को शिकायत की थी | बवाल मचने पर मामले की जांच का जिम्मा तत्कालीन कृषि आयुक्त और ए.सी.एस. अजय सिंह को सौपा गया था | जांच कमेटी ने कई बिन्दुओ में आर्थिक “अनियमितता” के अलावा घाटियां और गुणवक्ताविहीन “कूलिंग चैंबर” की शिकायते “पुष्ट” पायी थी | 


  जांच कमेटी ने यह भी पाया था कि इस योजना का अनुचित लाभ उठाने के लिए “आठ हेक्टैयर” रकबे वाले “पात्र” किसानो के बजाए जानबूझ कर 10 हेक्टेयर से ज्यादा रकबे में खेती किसानी करने वाले “अपात्र”  हितग्राहियों को चिन्हित किया गया था | यही नहीं खानापूर्ति करने के लिए जिन किसानो के यहाँ “कूलिंग चैंबर” स्थापित किये गए थे उन्हें भी  उसका कोई फायदा नहीं पंहुचा था | 


  बताया जाता है कि “हार्टिकल्चर” विभाग में पदस्थ ज्यादातर जिम्मेदार अफसर  एक “डी” कंपनी के शिकंजे में है | यह “डी” कंपनी सरकारी योजनाओ में बड़े पैमाने पर “घोटाला” कर उन विभागीय अफसरों को भी “लाभान्वित” करती है जो उनके फर्जी बिलो को प्रमाणित करते है | पीड़ित किसानो ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कृषि मंत्री रविंद्र चौबे से मांग की है कि उनके साथ “फर्जीवाड़ा” करने वाले दागी अफसरों और “दलालो” के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए |