
दिल्ली / रायपुर : – छत्तीसगढ़ के चर्चित 3200 करोड़ के शराब घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भू – पे बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल दोनों खूब सुर्खियां बटोर रहे है। आरोपियों ने छत्तीसगढ़ शासन को चूना लगाने और आम जनता को सरकारी – गैरसरकारी ठिकानो से नकली शराब मुहैया कराने के लिए एक व्हाट्सप ग्रुप बनाया था। इसमें मुख्य रूप से उन दागी अधिकारियो और कारोबारियों को शामिल किया था, जो डिस्लरी से निकलने वाली शराब को व्यवस्थित रूप से न केवल ठिकाने लगाते थे बल्कि रोजाना करोडो की रकम इधर से उधर करते थे। उनके व्हाट्सएप ग्रुप का नाम बिग बॉस रखा गया था। माना जा रहा है कि ये बिग बॉस और कोई नहीं बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री भू – पे बघेल ही थे। अवैध शराब के धंधे के लिए पूर्व मुख्यमंत्री ने इस ग्रुप की कमान अपने पुत्र चैतन्य बघेल को सौंपी थी। इस ग्रुप के सदस्यों में शामिल कतिपय आईएएस – आईपीएस अधिकारी जिस्म के सौदागर भी बताये जाते है।

एक व्हाट्सप चैट के अनुसार बिग बॉस ग्रुप में शामिल यह आईएएस अधिकारी हनीट्रैप का शिकार भी हो चुका है। जबकि 2005 बेच का एक आईपीएस अधिकारी ( मुल्ला मुनीर ) भी जवान लड़कियों का शौंकीन बताया जाता है। उसने भी मुंबई – पुणे फ्लाइट में सफर करने वाली एक अबोध एयर होस्टेज को अपने मोह जाल में फ़ांस रखा था। कुल मिलकर पूर्व मुख्यमंत्री बघेल गिरोह में जिगोला शौकीन सदस्यों के साथ – साथ चमड़ी के शौक़ीन अधिकारियो की भरमार बताई जा रही है। ED की 7 हजार पेज की चार्जशीट में व्हाट्सप चैट के अलावा कई ऐसे इलेक्ट्रॉनिक और दस्तावेजी प्रमाण अदालत में प्रस्तुत किये गए है, जिससे साफ़ होता है कि शराब घोटाले की रकम डकारने वाले दागी अफसर और कारोबारी अपनी हवस मिटाने के लिए असामजिक गतिविधियों में भी लिप्त थे। इस व्हाट्सप चैट में एक आईएएस अधिकारी के हनीट्रैप में शामिल होने का मामला गंभीर और उच्च स्तरीय जाँच के दायरे में बताया जाता है।

छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े शराब घोटाले में ED (प्रवर्तन निदेशालय) की तफ्तीश अपना रंग दिखा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल के एजेंसियों के गिरफ्त में आने के बाद कई हैरान करने वाले खुलासे हो रहे हैं। एजेंसियों के हाथ अब पूर्व मुख्यमंत्री के गिरेबान के करीब बताये जाते है। जबकि EOW (आर्थिक अपराध शाखा) भी चैतन्य बघेल को रिमांड में लेकर कुछ गंभीर प्रकरणों में पूछताछ की तैयारी में जुटी है। चैतन्य के खिलाफ 15 सितंबर को ED ने 7 हजार से ज्यादा पन्नों का पांचवां पूरक आरोप पत्र (चार्जशीट) कोर्ट में दाखिल किया था। इसमें बताया गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के आरोपी पुत्र चैतन्य बघेल ने 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम को हैंडल किया था। इसकी पुष्टि के लिए एजेंसियों ने दस्तावेजी साक्ष्यों की लम्बी फेहरिस्त पेश की है।

ED के आरोप पत्र में ये भी खुलासा हुआ है कि घोटाले की रकम ठिकाने लगाने और शराब की खेप मुहैया कराने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार की गोद में बैठे कारोबारियों और अफसरों का एक वॉट्सऐप ग्रुप ”बिग बॉस” के नाम से बनाया गया था। इस ग्रुप में सौम्या चौरसिया, अनवर ढेबर और बिट्टू (चैतन्य बघेल) की एक दूसरे से नियमित बातचीत होती थी। एजेंसी ने इस ग्रुप पर सक्रीय सिंडिकेट की तमाम काली करतूतों का हवाला दिया है। घोटाले की रकम एवं अन्य अवैधानिक मामलो की डील के लिए इस ग्रुप की सक्रियता गौरतलब बताई जाती है। सूत्रों के मुताबिक इस ग्रुप की चैट काफी आपत्तिजनक और सेक्स से भरपूर बताई जाती है। ED ने आरोप पत्र में इस ग्रुप का एक स्क्रीनशॉट भी दर्ज किया है, जिसमे एक आईएएस अफसर के हनी ट्रैप का भी जिक्र शामिल है। जानकारी के मुताबिक ED ने जब अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और सौम्या चौरसिया के मोबाइल की जांच की तो चौंकाने वाले चैट्स मिले। अनवर के मोबाइल में चैतन्य का नंबर ‘बिट्टू’ नाम से सेव था। इसमें पैसों की डीलिंग और नकली होलोग्राम बनाने तक के वार्तालाप पाए गए।

चार्जशीट के मुताबिक, चैतन्य बघेल ही इस पूरे सिंडिकेट का मास्टरमाइंड था। जबकि उसे अपने पिता से गैरकानूनी कृत्यों के लिए खुला सरंक्षण प्राप्त था। बताया गया है कि चैतन्य बघेल ने एक ही झटके में करीब 200 करोड़ रुपए की सीधी कमाई खुद कर अपनी तिजोरी में डाली थी, जबकि 850 करोड़ रुपए कांग्रेस के तत्कालीन कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल तक पहुंचाए गए थे। ED के इस आरोप पत्र ने कई चौंकाने वाले खुलासे सीबीआई जाँच की ओर भी इशारा कर रहे है। ED का दावा है कि चैतन्य ने ब्लैक मनी को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में निवेश कर उसे सफेद दिखाने का काम किया। उसके मुताबिक गैरकानूनी नगद रकम ठिकाने लगाने की पूरी डील वॉट्सऐप ग्रुप में होती थी। इसके लिए ‘बिग बॉस’ ग्रुप कारगार ढंग से सिंडिकेट का संचालन कर रहा था। ‘बिग बॉस’ नाम से गठित वॉट्सऐप ग्रुप के सदस्यों के नाम हैरान करने वाले बताये जाते है। इसमें आईएएस, आईपीएस और कारोबारी शामिल थे। उनमे चैतन्य बघेल, अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा, सौम्या चौरसिया और पुष्पक जैसे सदस्य काफी आपत्तिजनक घटनाएं और उसके प्रयास साझा कर रहे थे। इस ग्रुप के जरिए रोजाना करोड़ों रुपए की हेराफेरी की जाती थी। हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग के निर्देश भी सीधे तौर पर साझा किए जाते थे। एजेंसियों ने इस रकम से उपकृत होने वाले लोगो का ब्यौरा भी पेश किया है, जिसमे भुगतान की रकम का भी जिक्र है।

जानकारी के मुताबिक दुर्ग-भिलाई के शराब कारोबारी और भूपेश बघेल के करीबी माने जाने वाले लक्ष्मी नारायण उर्फ पप्पू बंसल से हुई पूछताछ और बयानों को भी एजेंसी ने जाँच में लिया है। बंसल ने स्वीकार किया है कि आरोपी चैतन्य के साथ मिलकर उनके द्वारा 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा की नगदी ठिकाने लगाई गई थी। कारोबारी बंसल के बयानों के मुताबिक यह रकम अनवर ढेबर से दीपेन चावड़ा और फिर कुछ महत्वपूर्ण कांग्रेसी नेताओं के हाथों में पहुंचाई गई। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के खासम खास रामगोपाल अग्रवाल, और तांत्रिक केके श्रीवास्तव भी शामिल थे। पप्पू बंसल ने यह भी स्वीकार किया कि मात्र तीन महीने की अवधि में ही उन्होंने स्वयं के लिए 136 करोड़ रुपए प्राप्त किये थे। हालांकि यह रकम पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की सुरक्षितनिधि बताई जाती है।

ED ने अपनी चार्जशीट में बताया है कि चैतन्य ने अपने विठ्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट और बघेल डेवलपर्स एंड एसोसिएट्स में शराब घोटाले की रकम का बड़ा हिस्सा निवेश किया था। उसने संलग्न दस्तावेजों में बताया है कि इस प्रोजेक्ट के असल खर्च 13-15 करोड़ रुपए था, लेकिन दस्तावेजों में मात्र 7.14 करोड़ दर्ज किया गया था। आरोपियों के ठिकानो से जप्त डिजिटल डिवाइस की पड़ताल भी चार्जशीट में शामिल की गई है। इसमें बताया गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ रुपए का नगद भुगतान किया गया था। इसे हिसाब रिकॉर्ड में दर्ज ही नहीं किया गया है। यही नहीं शासन – प्रशासन को गुमराह करने के लिए इसी प्रोजेक्ट में त्रिलोक सिंह ढिल्लों ने चैतन्य बघेल से 19 फ्लैट खरीदे थे, लेकिन इसका भुगतान स्वयं चैतन्य ने खुद किया था। ED के मुताबिक यह सब कवायत ब्लैक मनी को वाइट मनी में तब्दील करने के लिए की गई थी। जानकारी के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी भिलाई के बड़े ज्वेलर्स ने भी चैतन्य की कंपनियों को 5 करोड़ रुपए का नकद लोन दिया और बाद में सिर्फ 80 लाख रुपए की कीमत पर 6 प्लॉट खरीद लिए। उसके मुताबिक इस दौरान बड़े पैमाने पर नगदी ठिकाने लगाई गई। फ़िलहाल, ED की चार्जशीट से कई और नए सनसनीखेज खुलासो के आसार है, जबकि राजनैतिक गलियारों में दारु चखना चोर – पाटन की विधायकी छोड़ जैसे जुमले भी लोगो की जुबान पर है।