ऐतिहासिक उपलब्धि: भारत का पहला स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर
भारत ने सेमीकंडक्टर और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक नया इतिहास रच दिया है। सेमिकॉन इंडिया 2025 के मंच पर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने देश के पहले स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर ‘विक्रम 3201’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा। पीएम मोदी ने इसे “डिजिटल डायमंड” करार दिया और कहा कि यह छोटी चिप 21वीं सदी को आकार दे रही है।
ISRO और SCL का संयुक्त प्रयास
‘विक्रम 3201’ को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और सेमीकंडक्टर लैबोरेटरी (SCL), चंडीगढ़ ने मिलकर विकसित किया है। यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
तकनीकी विशेषताएं
यह माइक्रोप्रोसेसर कठिन अंतरिक्ष परिस्थितियों को सहने में सक्षम है। यह -55°C से +125°C तापमान और उच्च विकिरण को झेल सकता है। 180 नैनोमीटर CMOS तकनीक पर आधारित यह चिप 64-बिट फ्लोटिंग-पॉइंट ऑपरेशंस, एडा प्रोग्रामिंग सपोर्ट और 1553B बस इंटरफेस जैसे उन्नत फीचर्स से लैस है।
अंतरिक्ष मिशनों में सफलता
‘विक्रम 3201’ ने अपनी क्षमता PSLV-C60 मिशन में साबित की। इसे पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल (POEM-4) में उपयोग किया गया, जहां इसने बेहतरीन प्रदर्शन किया। अब इसे भविष्य के चंद्रयान और गगनयान जैसे मिशनों में भी इस्तेमाल किया जाएगा।
आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम
इस चिप के साथ ISRO ने एक संपूर्ण स्वदेशी इकोसिस्टम तैयार किया है, जिसमें एडा कंपाइलर, सिमुलेटर और डेवलपमेंट टूल्स शामिल हैं। यह न केवल अंतरिक्ष, बल्कि रक्षा, ऑटोमोटिव और ऊर्जा क्षेत्रों में भी भारत की आयात निर्भरता को घटाएगा।
सेमीकंडक्टर उद्योग में निवेश
कार्यक्रम के दौरान 1.60 लाख करोड़ रुपये के निवेश से पांच नई सेमीकंडक्टर इकाइयों की घोषणा भी हुई। ‘विक्रम 3201’ भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार में मजबूत स्थिति दिलाने की दिशा में एक मील का पत्थर है।
