रायपुर : – छत्तीसगढ़ में 700 करोड़ के कोल खनन परिवहन लेव्ही घोटाले में रायपुर की चर्चित डॉ. नीरज पहलाजानी से लम्बी पूछताछ जारी है। सोमवार को लगभग 6 घंटे की पूछताछ के बाद एजेंसी ने उन्हें दोबारा उपस्तिथ होने का फरमान जारी किया है। ED अब जेल से रिहा आरोपियों एवं अन्य से पूछताछ के बाद इकठ्ठा किये गए सबूतों के आधार पर अपनी जाँच को आगे बढ़ा रही है। इस सिलसिले में रायपुर के एक चर्चित टेस्ट ट्यूब बेबी अस्पताल के संचालक और प्रजनन विशेषज्ञ डॉ. नीरज पहलाजानी से लगभग छह घंटे तक कड़ी पूछताछ की जानकारी सामने आई है। उन्हें जाँच में सहयोग देने के वादे के बाद ED ने उन्हें अभी स्वयं के ठिकाने तक जाने की अनुमति प्रदान कर दी है। दरअसल, ED दफ्तर में पूछताछ ख़त्म होने के बाद विभिन्न घोटालेबाज स्वयं के ठिकाने के बजाय सीधे रायपुर सेन्ट्रल जेल का रुख करते है। आमतौर पर ऐसा नजारा अक्सर देखने मिलता है। लेकिन बताया जा रहा है कि अभी संदेही डॉक्टर से पूछताछ का प्राथमिक दौर है। ज्यादातर आरोपी भले ही जमानत पर जेल से रिहा हो गए हो लेकिन ED की जाँच अभी भी जारी है, मुख्य आरोपियों के अलावा अब एजेंसियों ने सेकेंड लेयर के उन संदेहियों से पूछताछ शुरू कर दी है, जो घोटाले से अर्जित मोटी रक़म को यहाँ – वहां खपा कर प्रदेश की आम जनता की आँखों में धूल झोंक रहे थे।

प्रवर्तन निदेशालय के रायपुर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय (ईडी-आरपीजेडओ) ने राज्य के 700 करोड़ रुपये के कोयला लेवी घोटाले की जांच में तेजी लाई है। इस कड़ी में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 50 के तहत डॉ. पहलाजानी को हालियां समन जारी किया गया था। भू – पे दम्पति ने सरोगेसी के लिए इसी डॉक्टर की देखरेख और सलाह पर अवैधानिक प्रक्रिया अपनाई थी। सूत्रों के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया ने उनके ही अस्पताल में सरोगेसी के माध्यम से एक जोड़ा बच्चे प्राप्त किये थे। इसमें एक लड़का और एक लड़की बताई जाती है। जबकि सरोगेसी के लिए किराये की कोख की सुविधा किस महिला ने प्रदान की थी ? इसका खुलासा अब तक नहीं हो पाया है ? इसी तर्ज पर किस ”महापुरुष” ने दूसरे पक्ष की भूमिका निभाई ? यह भी रहस्यमय बना हुआ है। गौरतलब है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री के कर्तव्य पालन हेतु सरकार ने महिला उपसचिव की तैनाती भू – पे बघेल के शासकीय कार्यालय में की थी। लेकिन वे मंत्रालय के बजाय तत्कालीन मुख्यमंत्री के आवास पर ही डटी बताई जाती थी। इसके उपरांत ही किसी अज्ञात महिला ने डॉक्टर पहलाजानी के अस्पताल में सुरक्षित सरोगेसी के बाद दो बच्चो को जन्म दिया था। इन बच्चो के वैधानिक और बायोलॉजिकल माता – पिता की गुत्थी अभी भी उलझी हुई है। इस बीच ED ने मनी – लॉन्ड्रिंग की बू आने पर डॉक्टर पहलाजानी को अपनी रडार में ले लिया है।

जानकारी के मुताबिक कोल माफिया सूर्यकांत तिवारी उर्फ एसकेटी और सौम्या चौरसिया दोनों, प्रदेश के कोल खनन परिवहन घोटाले में जबरन वसूली नेटवर्क के मुख्य कर्ता – धर्ता थे। ये दोनों ही आरोपी कुछ दिनों पूर्व ही जमानत पर रिहा हुए है। सूत्रों के मुताबिक इस नेटवर्क में डॉक्टर पहलाजानी की भूमिका भी सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक वसूली मास्टरो के जरिये घोटाले की रकम का कुछ हिस्सा डॉक्टर को नगद प्राप्त होता था। इस डॉक्टर के जरिये यह रकम विभिन्न कारोबार में निवेश की जाती थी।

सूत्र यह भी तस्दीक करते है कि ED को 1 करोड़ से ज्यादा की रक़म डॉक्टर के मार्फत खपाये जाने के पुख्ता प्रमाण मिले है। जबकि शेष रकम को ठिकाने लगाए जाने की जाँच प्रक्रिया में बताई जाती है। इस राशि में से करोड़ो इधर से उधर करने के मामले को लेकर डॉक्टर पहलाजानी के अलावा आरोपी सौम्या चौरसिया के पति सौरभ मोदी का भी नाम सामने आ रहा है। सूत्रों के मुताबिक छापेमारी के दौरान आरोपियों के ठिकानों से डॉक्टर पहलजानी को नकदी सौंपे जाने से जुड़ी स्पष्ट टिप्पणियाँ वाले दस्तावेज बरामद हुए थे। इसमें ब्लैक मनी खपाये जाने का काला चिटठा भी एजेंसियों के हाथ लगा था। ईडी-आरपीजेडओ के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक डॉक्टर पहलाजानी कई दिनों से जाँच में सहयोग नहीं कर रही थी, वह कई बार समन से बच निकली थीं, लेकिन सबूतों ने उन्हें पूछताछ के लिए मजबूर कर दिया। माना जा रहा है कि एजेंसियां जल्द ही उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने की तैयारी में है।

सूत्रों के मुताबिक दस्तावेजों की प्रविष्टियों में एसकेटी मतलब कोल माफिया सूर्यकांत तिवारी द्वारा लेयरिंग के लिए डॉक्टर पहलाजानी को 1 करोड़ रुपये की डिलीवरी और उसे सौम्या के परिवार को हस्तांतरित करने का स्पष्ट उल्लेख जप्त किया गया था। यह भी बताया जाता है कि सरकारी कर्मचारी होने के नाते सौम्या चौरसिया ने सरोगेसी के लिए राज्य सरकार से कोई अनुमति प्राप्त नहीं की थी। यही नहीं उनके द्वारा सरकारी क़ायदे – कानूनों और सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का उलंघन कर अवैध रूप से सरोगेसी करवाने और उससे उत्पन्न संतानो को अपने कब्जे में रखने जैसे गंभीर आरोप है।

जानकारों के मुताबिक ऐसे अनधिकृत सरोगेसी से उत्पन्न बच्चे समाज में असंतुलन पैदा करने के लिए पर्याप्त ही नहीं बल्कि एक बड़ी चुनौती के रूप में देखे जा रहे है। यह भी बताया जाता है कि सचिवालय की जिम्मेदार महिला कर्मचारी को बगैर वैधानिक अनुमति के सरोगेसी के माध्यम से मातृत्व सुख प्रदान करने के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री भू – पे बघेल ने खूब सुर्खियां बटोरी थी। इन अबोध बालकों के वैधानिक माता – पिता का मामला विवादों में बताया जाता है। राज्य के निवासियों में इन बच्चों की आमद – दरज के बाद जहाँ डॉ. पहलाजानी चर्चा में है, वही प्रदेश के पहले ”ND तिवारी” की शिनाख्ती को लेकर भी राजनैतिक और प्रशासनिक सरगर्मियां तेज बताई जाती है।

अवैध सरोगेसी के इस गंभीर मामले में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल जहाँ चुप्पी साधे हुए है, वही एक पीड़ित परिवार इन बच्चो के खुद के होने का दावा कर सभी पक्षकारों के DNA टेस्ट की मांग कर रहा है। पीड़ित दंपत्ति के मुताबिक उनके अलावा सौम्या व उसके पति और पूर्व मुख्यमंत्री का भी DNA टेस्ट होना चाहिए ? ताकि इन बच्चो को अपने माता – पिता की गोद में पालन – पोषण का नैसर्गिक हक़ मुहैया हो सके। उनके मुताबिक कांग्रेस राज में पूर्व मुख्यमंत्री और उनकी टोली ने दबाव पूर्वक उनका मुँह बंद करा दिया था। लेकिन अब मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद उन्हें अब न्याय की उम्मीद जगी है। डॉ. पहलाजानी के ED के हत्थे चढ़ने के अंदेशे के बीच अवैध सरोगेसी का मामला भी अब तूल पकड़ने लगा है।

सूत्रों के मुताबिक सिर्फ अवैध सरोगेसी ही नहीं बल्कि मनी – लॉन्ड्रिंग के मामले में डॉ. पहलाजानी की तस्दीक काफी महत्वपूर्ण बताई जाती है। एक जानकारी के मुताबिक सोमवार को घंटो की पूछताछ के बाद संदेही डॉक्टर ने अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट और कर सलाहकारों से परामर्श के लिए दो दिन का समय माँगा है। जांचकर्ताओं ने उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। सूत्रों ने यह भी बताया कि संदेही डॉक्टर ने कुछ तथ्य स्वीकार किए है जबकि लेन-देन से जुड़े कई तथ्यों और बैंक खातों की जिम्मेदारी दूसरों पर टाल दी है। फ़िलहाल, जाँच एजेंसियां एक्टिव मोड़ में है, वही पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के खेमे में खलबली मची है।
