गुरुवायूर मंदिर विवाद से छिड़ी नई बहस
केरल के प्रसिद्ध गुरुवायूर मंदिर में फैशन इन्फ्लुएंसर जैस्मिन जाफर द्वारा तालाब में पैर धोने के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया। मंदिर प्रशासन ने इस घटना को ‘अपवित्रता’ मानते हुए छह दिन तक विशेष शुद्धिकरण अनुष्ठान किए। वहीं, शिवगिरी मठ के अध्यक्ष स्वामी सचिदानंद ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब गैर-हिंदुओं को भी मंदिरों में प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए।
ऐतिहासिक संदर्भ और समानता की मांग
स्वामी सचिदानंद ने याद दिलाया कि पहले पिछड़ी जातियों और ईझवा समुदाय को मंदिरों में प्रवेश से वंचित रखा गया था। लेकिन टेम्पल एंट्री प्रोकेलेशन के बाद इस भेदभाव को खत्म किया गया, जिससे हिंदू धर्म और मंदिर उपासना दोनों और मजबूत हुए। उन्होंने कहा कि जैसे अतीत में बदलाव आया, वैसे ही अब गैर-हिंदुओं के लिए भी दरवाजे खोलने की जरूरत है।
सोशल मीडिया पर हंगामा और कानूनी कार्रवाई
जैस्मिन जाफर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद भारी आलोचना हुई। उन्होंने इंस्टाग्राम से वीडियो हटाकर सार्वजनिक माफी मांगी, लेकिन इसके बावजूद मंदिर प्रशासन ने उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।
मंदिरों को सांस्कृतिक धरोहर मानने की अपील
स्वामी सचिदानंद का मानना है कि मंदिरों को केवल धार्मिक स्थान न मानकर आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि गैर-हिंदुओं को भी प्रवेश का अधिकार मिलेगा तो यह न केवल मंदिर संस्कृति को मजबूत करेगा, बल्कि समाज में सद्भाव और एकता को भी बढ़ावा देगा।
