
भारत में स्कूल नामांकन में भारी गिरावट
देशभर में स्कूली शिक्षा के नामांकन में 37 लाख से अधिक छात्रों की गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट सबसे अधिक SC, ST, OBC और लड़कियों के वर्ग में देखी गई। साल 2024-25 में कुल नामांकित छात्रों की संख्या 24.68 करोड़ रही, जो पिछले साल की तुलना में 11 लाख कम है। यह आंकड़ा पिछले सात वर्षों में सबसे निचले स्तर को दर्शाता है और देश की जनसांख्यिकी में बदलाव का संकेत देता है।
प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर प्रभाव
रिपोर्ट के अनुसार, कक्षा 1 से 5 तक के नामांकन में लगभग 34 लाख छात्रों की कमी आई है। इसके विपरीत, प्री-प्राइमरी (नर्सरी और किंडरगार्टन), उच्च प्राथमिक (कक्षा 6-8), माध्यमिक (9-10) और उच्चतर माध्यमिक (11-12) में नामांकन में वृद्धि दर्ज की गई है। खासकर माध्यमिक स्तर में कक्षा 9 से 12 में 17 लाख से अधिक छात्रों की संख्या में गिरावट देखी गई।
मुख्य कारण
वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के अनुसार, कुल नामांकन में गिरावट का प्रमुख कारण जन्म दर में कमी है। भारत की कुल प्रजनन दर (TFR) 2021 तक घटकर 1.91 प्रति महिला हो गई, जो प्रतिस्थापन स्तर 2.1 से कम है। कम जन्म दर के कारण निचली कक्षाओं में प्रवेश करने वाले बच्चों की संख्या कम हो रही है।
सरकारी और निजी स्कूलों में स्थिति
सरकारी स्कूलों में नामांकन 12.75 करोड़ से घटकर 12.16 करोड़ हुआ, जबकि निजी स्कूलों में नामांकन 9 करोड़ से बढ़कर 9.59 करोड़ हुआ। इस बदलाव से यह स्पष्ट होता है कि निजी स्कूलों की तरफ प्रवृत्ति बढ़ रही है।
भविष्य की योजना
नीति आयोग और राज्य सरकारें जनसांख्यिकीय प्रबंधन योजनाएं लागू करने पर विचार कर रही हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने भी अधिक बच्चे पैदा करने के लिए नई नीतियों की योजना बनाई है, ताकि स्कूल नामांकन में गिरावट को रोका जा सके।