टोक्यो: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शुक्रवार को जापान दौरे के दौरान शोरिनजान दारुमा-जी मंदिर के पुजारी ने दारुमा डॉल भेंट की। यह डॉल जापान की सांस्कृतिक पहचान और एक लोकप्रिय स्मृति चिन्ह है, जिसे बोधिधर्म से प्रेरित होकर बनाया गया है — जो जेन बौद्ध धर्म के संस्थापक थे।
दारुमा डॉल का महत्व:
दारुमा डॉल धैर्य, दृढ़ संकल्प और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। परंपरा के अनुसार, किसी लक्ष्य को तय करने पर डॉल की एक आंख रंगी जाती है और लक्ष्य पूरा होने पर दूसरी आंख भरी जाती है। इसकी गोल आकृति और संतुलन क्षमता इसे बार-बार गिरने पर भी सीधा खड़ा होने की प्रेरणा देती है, जो कहावत “सात बार गिरो, आठ बार उठो” का प्रतीक है।
भारत और दारुमा का संबंध:
दारुमा डॉल का संबंध भारत से भी जुड़ा है। यह बोधिधर्म से प्रेरित है, जो कांचीपुरम (भारत) के एक भिक्षु थे और जापान में दारुमा दैशी के नाम से पूजनीय हैं। उन्होंने नौ वर्षों तक दीवार की ओर मुख करके ध्यान साधना की थी। इस तपस्या को याद करते हुए डॉल बिना हाथ-पैर और आंखों के बनाए जाते हैं।
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व:
प्रधानमंत्री मोदी को यह दारुमा डॉल भेंट करना भारत-जापान के ऐतिहासिक और आध्यात्मिक संबंध को दर्शाता है। दोनों देशों का रिश्ता केवल व्यापार और विकास तक सीमित नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं में भी गहराई से जुड़ा हुआ है।
PM Modi on Japan Visit:
टोक्यो में एक बिजनेस फोरम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत और जापान मिलकर एशियाई सदी का निर्माण करेंगे, जो स्थिरता, विकास और समृद्धि लाएगा। उन्होंने जापान की उत्कृष्टता और भारत की क्षमताओं को जोड़कर परफेक्ट साझेदारी की संभावना पर जोर दिया।
