
दिल्ली : – अभिनेत्री अर्चना पूरन सिंह सिर्फ फ़िल्मी पर्दे तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उनके परिवार ने आज़ादी के बाद के राजनैतिक हालातों को बड़े करीब से देखा है। इस परिवार ने उन यादों को अपने दिलों में बसाये रखा है, जो अभिनेत्री के वकील पिता ने अपने विधिक ज्ञान से अर्जित किया था। उनके पिता तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के चर्चित पुत्र संजय गाँधी के विधिक सलाहकार भी थे। उन्होंने कई मामलों को लेकर कोर्ट में संजय गाँधी की ओर से पैरवी की थी। पिता की यादें बच्चों को भुलाएं नहीं भूलती है। अर्चना के बेटे आर्यमन ने अपने व्लॉग में इसका ज़िक्र किया है। उन्होंने एडवोकेट पूरन चौधरी के बारे में कई दिलचस्प बातें बताईं। अर्चना ने बताया कि पिता ने संजय गांधी का केस लड़ा था। एक वाकया वो बताया, जब कुछ लोग बोरी भरकर नोट लिए रिश्वत देने उनके घर पहुंच गए थे।

अर्चना पूरन सिंह के करियर की जर्नी के बारे में तो सभी लोग जानते हैं, पर बहुत ही कम लोग उनके बचपन वाली जिंदगी और पैरेंट्स से वाकिफ होंगे। हाल ही अर्चना ने बड़े बेटे आर्यमन के व्लॉग में पिता के बारे में बात की, और बताया कि बचपन कैसा बीता। अर्चना ने यह भी बताया कि उनके पिता ने संजय गांधी का केस लड़ा था। वह एक जाने-माने क्रिमिनल लॉयर थे। अर्चना पूरन सिंह ने देहरादून में रहने के दौरान अपने बचपन के कई किस्से सुनाए। एक्ट्रेस ने बताया कि उनके पिता चौधरी पूरन सिंह को अकसर ही रिश्वत मिलती थी। एक बार तो उनके घर कोई बोरा भरकर पैसे लेकर आ गया था। यह सुनकर आर्यमन हैरान रह गए। क्रिमिनल लॉयर पूरन सिंह के निधन के मौंके पर इलाके के बहुत लोग अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने पहुंचे थे। घटना का जिक्र करते हुए वे आज भी देहरादून की यादों को तरो – ताजा रखे हुए है। अर्चना पूरन सिंह ने बताया, ‘हम बढ़िया-बढ़िया खाना खाते थे। हम बंगले में रहते थे। उनके पास इम्पाला और सारी फैंसी कारें थीं। पापा यानी तुम्हारे नाना संजय गांधी के भी वकील रह चुके थे। वह एक क्रिमिनल लॉयर थे। तुम मानोगे नहीं कि क्रिमिनल लॉयर होने के बावजूद वह इतने मासूम और दयालु थे, इतने ह्यमरस…मुझमें जो ह्यूमर है, वो उन्हीं से आया है। वह बहुत महान इंसान थे। जब वह गुजरे तो पूरा देहरादून आया था उनके अंतिम संस्कार में।

इस परिवार ने अपने पिता की इच्छाओं को भी कभी नहीं भूला। उनके पिता कभी नहीं चाहते थे कि उनके बच्चे वकील बनें, जबकि इस दौर के चर्चित वकीलों में उनके पिता की गिनती होती थी। वकील साहब ने जब संजय गांधी का केस लड़ा तब उनके तर्कों से विरोधियों का मुँह बंद हो जाता था। अर्चना ने आगे बताया, ‘उन्हें सब ‘कर्मयोगी’ बोलते थे क्योंकि वह प्रोफेशनल थे और सिर्फ अपनी वकालत जानते थे। उन्होंने बड़े-बड़े अपराधियों को डिफेंड किया क्योंकि वह डिफेंस लॉयर थे। लेकिन वह नहीं चाहते थे कि उनके बच्चे वकील बने। वो हमें बोलते थे कि तुममे से एक भी बच्चा वकील नहीं बनेगा, क्योंकि उन्हें पता था कि आपको अपना ईमान बेचना पड़ता है। आपको पता है कि उसने गलत किया, लेकिन फिर भी आत्मा बेचनी पड़ती है। तो ये चीज उन्हें बहुत प्रॉब्लम देती थी।’

बताते है कि पूर्व प्रधानमंत्री के पुत्र स्वर्गीय संजय गांधी ने इमरजेंसी के दौरान सारी हदें पार कर दी थी। उन पर कई गंभीर आरोप थे। मालूम हो कि इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी पर साल 1975 में इमरजेंसी के दौरान कई आरोप लगे थे। उन पर जबरन नसबंदी करवाने ज्यादियां करने और सरकारी कामकाज में दखल देने का आरोप लगा था। यही नहीं, इमरजेंसी के बाद फिल्म ‘किस्सा कुर्सी का’ के मामले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। यह फिल्म उन्हीं पर आधारित थी। संजय गांधी पर इस फिल्म के प्रिंट जलवाने का आरोप था।अर्चना ने वो हैरतअंगेज घटना भी बताई, जब नोटों से भरी बोरी लेकर एक पार्टी उनके घर पहुंच गई थी। किस्सा सुनाते हुए अर्चना ने फिर बताया, ‘बहुत बार ऐसा भी होता था कि अगर पापा ने एक पार्टी का केस ले लिया तो दूसरी पार्टी आती थी। एक बार तो वो बोरी में पैसे भरकर लाए थे पापा के लिए और कहा कि साहब, आप बस हल्के पड़ जाना इस केस में। मेरे पापा ने कहा कि आप उठिए यहां से। ये बोरी उठाइए, चलिए उठाइए यहां से और वो दरवाजा है ना, वहां से जाइए। उनमें ईमानदारी थी और उन्होंने मुझे ईमानदारी सिखाई।

अर्चना पूरन सिंह ने कहा कि जो चीज या काम आपकी आत्मा को ठेस पहुंचाता है, वो कभी नहीं करना चाहिए। इसी बातचीत के दौरान, अर्चना ने यह भी बताया कि कैसे वह 20 साल की उम्र में अकेले ही मुंबई में एक्टर बनने आईं और फिल्म इंडस्ट्री में उनका कोई कनेक्शन नहीं था। उन्होंने अपने पहले विज्ञापन को याद किया और बताया कि कैसे उन्होंने धीरे-धीरे बॉलीवुड में अपनी जगह बनाई। अर्चना इन दिनों ‘द ग्रेट इंडियन कपिल शो 3’ में नजर आ रही हैं। फ़िलहाल, देश में मोदी पार्ट की राजनीति ने लोगों को स्वत्रंता के कई आयामों से परिचित कराने की क़ानूनी मान्यता सही अर्थो में लागू कर दी है। अभिव्यक्ति की स्वत्रंता की गारंटी मिलने के बाद आम लोग भी आजादी के आंदोलन से लेकर कांग्रेस राज के कई ऐसे रहस्यों पर से पर्दा हटा रहे है, जो अब तक आम जनता की जानकारी से कोसो दूर था।