सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: वंतारा की जांच के लिए बनी SIT
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के जामनगर स्थित रिलायंस फाउंडेशन द्वारा संचालित वंतारा (Greens Zoological Rescue and Rehabilitation Centre) की गतिविधियों की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) के गठन का आदेश दिया है। यह आदेश जस्टिस पंकज मिठाल और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की खंडपीठ ने अधिवक्ता सी.आर. जया सुकिन की जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के दौरान दिया।
SIT की संरचना
इस SIT की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस जे. चेलमेश्वर करेंगे। इनके साथ जस्टिस राघवेंद्र चौहान (पूर्व मुख्य न्यायाधीश, उत्तराखंड व तेलंगाना हाईकोर्ट), हेमंत नगराले (पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त), और अनीश गुप्ता (अतिरिक्त आयुक्त, कस्टम्स) सदस्य होंगे। कोर्ट ने इन्हें उनकी निष्पक्षता और लंबी सार्वजनिक सेवा को देखते हुए चुना है।
किन बिंदुओं पर होगी जांच?
SIT को कई संवेदनशील मुद्दों पर जांच कर 12 सितंबर 2025 तक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। इनमें शामिल हैं:
- भारत और विदेशों से जानवरों, खासकर हाथियों की खरीद।
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 और चिड़ियाघर नियमों का अनुपालन।
- CITES संधि और आयात-निर्यात कानूनों का पालन।
- पशुपालन, पशु चिकित्सा व कल्याण मानकों का पालन।
- औद्योगिक क्षेत्र और जलवायु से जुड़ी शिकायतें।
- निजी संग्रह, प्रजनन और जैव विविधता संसाधनों का उपयोग।
- जल और कार्बन क्रेडिट के दुरुपयोग की जांच।
- वन्यजीव तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य उल्लंघनों की शिकायतें।
कोर्ट का स्पष्ट संदेश
खंडपीठ ने कहा कि याचिका में लगाए गए आरोप बिना सबूत के हैं और सामान्यतः इन्हें स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन, चूंकि मामले में वैधानिक प्राधिकरणों और अदालतों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे हैं, इसलिए स्वतंत्र जांच आवश्यक है। साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश न तो वंतारा सेंटर और न ही संबंधित संस्थाओं पर संदेह व्यक्त करता है, बल्कि यह तथ्य-खोजी प्रक्रिया मात्र है।
