इंडिया गठबंधन में मतभेद उभरे
संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 ने विपक्षी गठबंधन इंडिया के भीतर गंभीर मतभेद खड़े कर दिए हैं। यह विधेयक प्रावधान करता है कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री यदि 30 दिन से अधिक हिरासत में रहते हैं और अपराध में कम से कम पांच साल की सजा निर्धारित है, तो उन्हें पद से हटना होगा।
तृणमूल और सपा ने किया JPC का बहिष्कार
तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि वे इस मामले की जांच के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में शामिल नहीं होंगे। तृणमूल ने इसे “एक दिखावा” और “असंवैधानिक कदम” बताया, जबकि सपा ने भी इसी तर्ज पर समिति से दूरी बना ली। तृणमूल के वरिष्ठ नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने इसे “राजनीतिक स्टंट” और “वोट चोरी से ध्यान भटकाने का प्रयास” करार दिया।
कांग्रेस और अन्य दलों का रुख
कांग्रेस का कहना है कि समिति का हिस्सा न बनने पर उनके विचार दर्ज नहीं हो पाएंगे, इसलिए वे JPC में शामिल होंगे। वहीं, CPI(M) और RSP नेताओं का भी मानना है कि बहिष्कार सही रास्ता नहीं है। दूसरी ओर, RJD ने अभी तक अपने फैसले पर स्पष्टता नहीं दी है।
बीजेपी पर विपक्ष के आरोप
तृणमूल और सपा का आरोप है कि JPC का मकसद भ्रष्टाचार के मुद्दे को हवा देकर बीजेपी को राजनीतिक लाभ दिलाना है। विपक्षी नेताओं के अनुसार, भाजपा इसे आगामी चुनावों से पहले “भ्रष्टाचार नैरेटिव” बनाने के लिए इस्तेमाल करना चाहती है।
लोकसभा में पेश हुए तीन विधेयक
पिछले हफ्ते गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 समेत दो अन्य संशोधन विधेयक पेश किए। कांग्रेस और अन्य दलों ने चर्चा में भाग लेते हुए विरोध दर्ज कराया, लेकिन अंततः तीनों बिलों को JPC को भेज दिया गया।
