भोपाल : – मध्य प्रदेश में बाघों पर मंडराते खतरों के बीच वन विभाग की कार्यप्रणाली भी चर्चा में है। यहाँ एक के बाद एक अब तक 36 बाघ मारे जा चुके है। वर्ष 2025 का साल भर भी नहीं बीता की बाघों के बेमौत मारे जाने का आंकड़ा लगातार बढ़ते जा रहा है। एक और बाघ का शव संदिग्ध हालत में मिला है। बाघ के पंजे गायब हैं और इसे देखकर अनुमान लगाना लाज़िमी है कि यह भी शिकार का मामला है। इस साल अब तक 36 बाघों की मौत के बावजूद वन विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है।

एमपी के नर्मदापुरम में तवा नदी के पास एक नर बाघ का शव मिला है। मौका ए वारदात के हालात देखकर साफ पता चल रहा है कि यह काम शिकारियों का है। शिकार का यह पहला मामला सामने आया है। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में राजस्व भूमि के पास एक बूढ़ा बाघ मरा हुआ मिला है। इसके पंजे गायब नजर आने पर साफ पता पड़ रहा कि यहां फिर से शिकारी सक्रिय हो गए हैं। इससे चिंतित वन्यजीव प्रेमियों का मानना है कि फील्ड स्टाफ की लापरवाही की वजह से ऐसा हो रहा है।

प्रदेश में सतपुड़ा के ही जंगलों में करीब 10 दिन पहले भी एक अन्य बाघ मरा हुआ पाया गया था। इस दौरान वन विभाग द्वारा दावा किया गया था कि यह बाघों के बीच आपसी संघर्ष की वजह से हुआ है। जबकि 19 अगस्त को संजय टाइगर रिजर्व में एक बाघ की मौत करंट लगने से मौत की घटना का दावा किया गया था। विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक फसल बचाने के लिए लगाई गई बिजली की तार में बाघ फंस गया था। उधर लगातार बाघों के मारे जाने से विभागीय अधिकारियों की कार्य क्षमता पर सवालियां निशान लग रहा है। मामले को लेकर टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर्स और वन अधिकारियों को पत्र भेजा गया है। सूत्रों के मुताबिक 20-25 दिनों में से 5-6 बाघ और तेंदुओं के मारे जाने का उल्लेख इस पत्र में किया गया है।

पत्र में लिखा गया है कि M-Strips और मानसून में गश्त करने के लिए जरूरी निगरानी उपकरणों के इस्तेमाल न करने की वजह से यह दिक्कतें आ रही हैं। उपकरण होने के बावजूद मौत होना बताता है कि घोर लापरवाही बरती जा रही है। इस संबंध में वन अधिकारियों और कर्मचारियों को सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। पेंच और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत के पीछे आपसी संघर्ष बताया गया। हालांकि चिट्ठी में कहा गया कि बाघों की आपसी लड़ाई का पता गांव वालों को पहले लगता है जबकि वन विभाग को बाद में। यह लापरवाही का नतीजा है।भारत में जब भी टाइगर की बात होती है तो पहला नाम मध्य प्रदेश का आता है। देश में सबसे ज्यादा बाघ इसी प्रदेश में हैं। लेकिन अब बाघों पर इसी राज्य में खतरा पैदा हो गया है। जंगलों में बाघ लगातार शिकारियों का निशाना बन रहे है।
