नई दिल्ली, 23 अगस्त 2025 — दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर जनसुनवाई के दौरान हुए हमले की जांच तेज हो गई है। ऑटो ड्राइवर राजेशभाई खिमजीभाई साकरिया की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को उसके मोबाइल डेटा, पैसों के ऑनलाइन लेन-देन और सफर की डिटेल से कई अहम सुराग मिले हैं। सूत्रों के मुताबिक, आरोपी के एक दोस्त ने हमले से पहले उसे ₹2,000 ऑनलाइन भेजे थे। दिल्ली पुलिस ने राजकोट पहुंचकर चार–पांच लोगों से पूछताछ की है और एक दोस्त तहसीन सैयद को हिरासत में लेकर मोबाइल जब्त किया गया है।
मुख्य बातें (Key Points)
आरोपी राजेशभाई के दोस्त ने कथित तौर पर ₹2,000 ऑनलाइन ट्रांसफर किए; दोस्त से पुलिस की पूछताछ जारी।
दिल्ली पुलिस की टीम राजकोट में संदिग्धों से पूछताछ, एक दोस्त को दिल्ली तलब किया गया।
आरोपी की ‘वजह’ पर विरोधाभासी बयान: कभी रिश्तेदार के इंसाफ की बात, तो कभी स्ट्रे डॉग्स आदेश से आहत होने का दावा।
उज्जैन से दिल्ली तक बिना टिकट का सफर; सीएम आवास से 700 मीटर दूर गुजराती समाज गेस्टहाउस में ठहरने के साक्ष्य।
मोबाइल कॉल लॉग, ब्राउजिंग हिस्ट्री और बैंक रिकॉर्ड खंगाले जा रहे; BNS के तहत सह-साजिश की जांच संभव।
घटना के बाद CRPF ने सीएम आवास की सुरक्षा संभाली; जनसुनवाई प्रोटोकॉल की समीक्षा।
क्या है पूरा मामला?
बुधवार को जनसुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर हमला हुआ। मौके से 39 वर्षीय ऑटो ड्राइवर राजेशभाई खिमजीभाई साकरिया को गिरफ्तार किया गया। शुरुआती पूछताछ में उसने अलग-अलग वजहें बताईं—कभी जेल में बंद एक रिश्तेदार के लिए ‘इंसाफ’ तो कभी सुप्रीम कोर्ट के स्ट्रे डॉग्स संबंधी आदेश से आहत होने की बात। उसने ‘दिव्य दर्शन’ की बात भी कही, जिसे पुलिस गुमराह करने वाला बयान मानकर परख रही है।
2000 रुपये का ‘ऑनलाइन ट्रांसफर’
सूत्रों के मुताबिक, हमले से पहले राजेशभाई ने गुजरात में एक दोस्त को प्लान बताया था। उसी दोस्त से ₹2,000 का ऑनलाइन ट्रांसफर मिला, जिसे पुलिस ने संदिग्ध माना है। तहसीन सैयद के मोबाइल जब्त किए गए हैं ताकि चैट, कॉल और UPI डिटेल की पुष्टि हो सके।
राजकोट में दबिश, दोस्त दिल्ली बुलाया गया
दिल्ली पुलिस की टीम ने राजकोट जाकर आरोपी के संपर्क में रहे 4–5 लोगों से पूछताछ की। तहसीन सैयद से अहम जानकारी मिलने की उम्मीद जताई गई है। शुरुआती जांच में यह रकम सीधे घटनाक्रम से जुड़ी प्रतीत हो रही है।
‘वजह’ पर उलझे बयान
पूछताछ में राजेशभाई ने दावा किया कि वह 150–200 स्ट्रे डॉग्स की देखभाल करता है और जानवरों के साथ कथित दुर्व्यवहार से दुखी था। पुलिस इन बयानों की संगति और तथ्यात्मकता की जांच कर रही है—क्या यह वास्तविक प्रेरक कारण था या जांच भटकाने की कोशिश?
उज्जैन से दिल्ली: बिना टिकट, बिना सामान
जांच के अनुसार, आरोपी 17 अगस्त को उज्जैन पहुँचा। वहाँ से बिना टिकट ट्रेन में सवार होकर 19 अगस्त की सुबह दिल्ली पहुँचा। सबसे पहले वह एक हनुमान मंदिर गया, फिर सीएम आवास (सिविल लाइंस) से करीब 700 मीटर दूर गुजराती समाज गेस्टहाउस में रुका। रिकॉर्ड के मुताबिक 19 अगस्त, 2:52 PM को चेक-इन और हमले वाले दिन 7:25 AM को चेक-आउट दर्ज है।
मोबाइल डेटा से मिल रहे सुराग
पुलिस ने आरोपी का मोबाइल, कॉल हिस्ट्री, इंटरनेट ब्राउजिंग और बैंक ट्रांजैक्शंस की जांच शुरू कर दी है। दिल्ली आने के बाद उसने परिवार और दोस्तों से बातचीत की थी। ₹2,000 ट्रांजैक्शन की प्राथमिक पुष्टि भी हुई है। यदि दोस्त की भूमिका सह-साजिश के दायरे में आती है तो उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत कार्रवाई हो सकती है।
सुरक्षा व्यवस्था सख्त
घटना के बाद CRPF ने गुरुवार सुबह से सीएम आवास की सुरक्षा की कमान संभाली। जनसुनवाई की एंट्री, frisking, कतार प्रबंधन और CCTV कवरेज सहित पूरे प्रोटोकॉल की समीक्षा की जा रही है, ताकि ऐसी घटना दोबारा न हो।
आगे क्या?
डिजिटल फॉरेंसिक: UPI/बैंक स्टेटमेंट, कॉल रिकॉर्ड और लोकेशन डेटा का मैच।
राजकोट लिंक: दोस्तों की भूमिका, चैट बैकअप और ग्रुप कम्युनिकेशन की पड़ताल।
मोटिव की पुष्टि: आरोपी के बदलते बयानों की क्रॉस-वेरिफिकेशन।
सुरक्षा SOP: जनसुनवाई के लिए नए SOP और परिमिटर सुरक्षा में बदलाव संभव।
FAQs
प्र. 2000 रुपये का ट्रांजैक्शन कितना अहम है?
उ. यह ट्रांजैक्शन कथित प्लानिंग/लॉजिस्टिक्स से जुड़ा हो सकता है, इसलिए इसे ‘महत्वपूर्ण सुराग’ माना जा रहा है। अंतिम निष्कर्ष फॉरेंसिक पुष्टि के बाद ही।
प्र. क्या आरोपी अकेला था या संगठित साजिश?
उ. पुलिस सह-साजिश की संभावना खारिज नहीं कर रही। राजकोट में पूछताछ और डिजिटल एविडेंस इस दिशा में अहम होंगे।
प्र. सीएम आवास की सुरक्षा में क्या बदलाव?
उ. CRPF की तैनाती, एक्सेस-कंट्रोल कड़ा, एंट्री पॉइंट्स पर अतिरिक्त मैनपावर और CCTV मॉनिटरिंग बढ़ाई गई है।
डिस्क्लेमर
यह रिपोर्ट पुलिस सूत्रों और प्रारंभिक जांच इनपुट पर आधारित है। न्यायिक प्रक्रिया जारी है; किसी भी निष्कर्ष पर अंतिम मुहर अदालती/आधिकारिक बयानों के बाद ही मानी जाएगी।
