एक अमेरिकी आधारित भारतीय उद्यमी नेहा सुरेश ने हफ्ते में 80 घंटे काम करने की बात कहकर सोशल मीडिया पर नई बहस छेड़ दी है। एआई वॉइस असिस्टेंट ऐप APRIL की फाउंडर ने कहा कि दुनिया बदलने वाला उत्पाद बनाने के लिए हफ्ते में 80 घंटे काम करना एक न्यूनतम आवश्यकता है। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “अगर आप अपने सपने के लिए हर दिन 14 घंटे से ज्यादा काम नहीं कर रहे तो आप उसे प्राप्त नहीं कर पाएंगे। 9 से 5 की ऊर्जा में दुनिया बदलने वाला प्रोडक्ट नहीं बन सकता।”
नेहा ने अपने काम की गहराई दिखाने के लिए एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें सुबह से शाम तक उनके काम करने की पूरी यात्रा दिखाई गई। वीडियो उनके मेहनती और प्रतिबद्ध दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो उन्होंने अपने स्टार्टअप को सफलता तक ले जाने के लिए अपनाया।
सोशल मीडिया पर उनका पोस्ट वायरल हो रहा है और इस पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग उनकी बात से सहमत हैं और इसे प्रेरक मान रहे हैं, जबकि कई लोग इसे अस्वास्थ्यकर और अव्यावहारिक करार दे रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि इससे वर्क-लाइफ बैलेंस खराब होगा और स्टार्टअप संस्थापकों पर अतिरिक्त दबाव बढ़ेगा।
इस बहस ने न केवल नेहा सुरेश की मेहनत को सुर्खियों में लाया है, बल्कि यह काम की संस्कृति, मानसिक स्वास्थ्य और सफलता की परिभाषा पर भी सवाल खड़े कर रही है।
