
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में गड़बड़ियों और नाम कटने की शिकायतों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को सख्त निर्देश दिए हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान जिन मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, वे अब ऑनलाइन दावा दाखिल कर सकते हैं। इसके लिए आधार कार्ड या 11 अन्य मान्य दस्तावेजों में से किसी एक का उपयोग किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने बूथ स्तर एजेंटों (BLA) को विशेष रूप से निर्देशित किया कि वे मतदाताओं की मदद करें और आवश्यक फॉर्म भरने में सहयोग दें। अदालत ने यह भी कहा कि सभी प्रमुख राजनीतिक दल इस प्रक्रिया में शामिल हों, ताकि मतदाताओं को सुविधा मिल सके।
कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि राजनीतिक दल मतदाता सूची सुधार प्रक्रिया में पर्याप्त सक्रिय नहीं हैं। चुनाव आयोग ने बताया कि SIR में अब तक 85 हजार नए मतदाता जुड़े हैं, जबकि बूथ स्तर एजेंटों ने सिर्फ दो आपत्तियां दर्ज कराई हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि हाल ही में 65 लाख नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए, जिनमें ‘ASD’ श्रेणी के लोग शामिल थे। उनका कहना है कि वास्तविक मतदाताओं के नाम बिना उचित जांच के हटाए गए और नाम जोड़ने के लिए अनिवार्य दस्तावेजों में पहले आधार कार्ड शामिल नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब आधार कार्ड को भी स्वीकार कर लिया गया है। चुनाव आयोग ने 19 अगस्त को हटाए गए 65 लाख नामों की सूची प्रकाशित कर दी है। बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) ने बताया कि सूचियां विभिन्न जिलों के बूथ स्तर पर चस्पा की गई हैं और ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं। आयोग को 22 अगस्त तक अनुपालन रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करनी है।