
किश्तवार बादल फटने में चमत्कार: सुभाष चंद्रा 30 घंटे मलबे में फंसे रहे
जम्मू-कश्मीर के किश्तवार जिले के चिशोती गांव में 14 अगस्त 2025 को आए भयंकर बादल फटने की त्रासदी के बीच एक चमत्कारिक बचाव ने सबका ध्यान खींचा। माता मचैल के भक्त सुभाष चंद्रा, जो हर साल लंगर चलाकर हजारों तीर्थयात्रियों को भोजन कराते हैं, 30 घंटे मलबे में दबे रहने के बाद जिंदा बचाए गए।
स्थानीय डोगरी कहावत, “जिसे माता मचैल बचाए, उसे कोई नहीं मार सकता,” इस घटना में साकार हुई।
सुभाष चंद्रा की सेवा और प्रयास
उदयपुर के रहने वाले सुभाष चंद्रा वर्षों से माता मचैल के तीर्थयात्रियों की सेवा में समर्पित हैं। 14 अगस्त को जब बादल फटने से बाढ़ आई, तब उनका लंगर बह गया और वे मलबे में दब गए। राहत व बचाव कार्य की निगरानी कर रहे स्थानीय नेता सुनील शर्मा ने कहा,
“जिसे भगवान बचाता है, उसे कोई नहीं मार सकता। सुभाष, जो वर्षों से निस्वार्थ सेवा करते आए हैं, उन्हें माता ने स्वयं बचाया।”
बचाव अभियान और चमत्कार
सेना, पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय स्वयंसेवकों की टीम ने मलबा हटाते हुए सुभाष को जिंदा पाया। सेना अधिकारी के अनुसार,
“यह पहली बार है जब इस ऑपरेशन में कोई जिंदा बचा है। यह किसी आशीर्वाद से कम नहीं।”
सुभाष के आसपास चार शव भी बरामद किए गए। शनिवार को चार और लोग जिंदा निकाले गए, जिससे बचाव की उम्मीद बढ़ी।
आपदा की भयावहता
- मृतक: 60 लोग
- लापता: 82 लोग
- घायल: 100 से अधिक
सुभाष को किश्तवार जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ मामूली चोटों के उपचार के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई। सुनील शर्मा ने कहा,
“सुभाष फिर से लंगर लगाकर माता के भक्तों की सेवा करेंगे। माता ने उन्हें जीवन का सबसे बड़ा उपहार दिया।”
स्थानीय लोगों ने इसे दैवीय कृपा करार दिया।