
दिल्ली : – दिल्ली के एलीट क्लास वर्ग के खास ठिकाने में बीजेपी VS बीजेपी की जंग में सांसद राजीव प्रताप रूडी की जीत से सत्ताधारी बीजेपी और विपक्ष में खलबली मच गई है। इस चुनाव में वोट देने के लिए बीजेपी के कई दिग्गज नेता और राज्यपाल भी कॉन्स्टिट्यूशन क्लब पहुंचे थे। वोट डालने वाले नेताओं में अमित शाह, जेपी नड्डा, सोनिया और राहुल गांधी, खड़गे समेत दिग्गज नेताओं ने हिस्सा लिया था। देश की राजधानी दिल्ली के प्रतिष्ठित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के सचिव पद के लिए हुए ऐतिहासिक चुनाव में बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी जीत ने राजनीति गरमा दी हैं। बीजेपी बनाम बीजेपी की इस जंग में रूडी ने अपनी ही पार्टी के पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान को 100 से ज्यादा वोटों के अंतर से हरा दिया है।

12 अगस्त को हुए इस चुनाव में देश के दिग्गज सांसदों और पूर्व सांसदों ने हिस्सा लिया था। बीजेपी के ज्यादातर सांसदों ने बालियान को ही वोट दिया, मगर, विपक्ष में कांग्रेस समेत अन्य दलों के दिल खोलकर रूडी को वोट देने से राजनीति गरमाई हुई है। बालियान को अमित शाह का कैंडिडेट माना जा रहा था। रूडी ने 100 से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज कर कई नेताओं को चौका दिया है। रूडी को 392 वोट मिले तो बालियान 290 में ही सिमट गए। इस तरह से काफी अंतर से रूडी ने जीत दर्ज की। रूडी के साथ ही उनके पैनल के लगभग सभी सदस्यों ने भी जीत दर्ज कर कई समीकरण बिगाड़ दिए है। इस चुनाव में 1,295 वर्तमान और पूर्व सांसदों में से 680 से ज्यादा वैध वोट डाले गए।

रूडी ने इस चुनाव के लिए डोर टु डोर कंपेन किया था। हालांकि चुनाव के पूर्व उनके नेतृत्व को चुनौती देते हुए एक खेमे ने कॉन्स्टिट्यूशन क्लब को कुछ खास लोगों के लिए दारु का अड्डा करार दिया था। यही नहीं रूडी पर अप्रत्यक्ष हमला करते हुए क्लब में ”पायलट” का क्या काम ? जैसे तंज कसे गए थे। चुनाव पर नजर रख रहे वरिष्ठ पत्रकारों के मुताबिक रूडी के लिए इस बार जीत का मुद्दा नाक का सवाल बन गया था। इस पर वे खरे उतरे है।

विगत 5 बार से लगातार भाग्य आजमा रहे रूडी 25 साल से कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के सचिव पद पर डटे है, उन्होंने पहली बार 1999 में सचिव पद के लिए चुनाव जीता था। एक बार फिर जीते रूडी ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि – यह मेरे पैनल की जीत है। मैं 100 से ज्यादा वोटों से जीता हूं, और अगर इसे 1000 वोटरों से गुणा करें तो यह संख्या 1 लाख तक पहुंचती है। उन्होंने दावा किया कि मेरे पैनल में बीजेपी, कांग्रेस, सपा, टीएमसी, टीडीपी और निर्दलीय सांसद शामिल थे। यह मेरी दो दशकों की मेहनत का नतीजा है। हालांकि, राजनीति के कई धुरंधरों और पत्रकारों का ये भी मानना है कि संजीव बालियान की हार एक तरह से बीजेपी के चाणक्य अमित शाह की हार के रूप में अब देखी जा रही है। जबकि, बीजेपी के कुछ सांसदों ने बगैर उनके नाम का जिक्र ना करने की शर्त पर यह भी दावा किया कि रूडी की जीत पहले से तय थी। सांसद निशिकांत दुबे की सक्रियता के बावजूद रूडी को पहले से ही ज्यादातर सांसद पसंद करते हैं। ऐसे में इस मामले को शाह से जोड़कर देखना ठीक नहीं है।

कॉन्स्टिट्यूशन क्लब चुनाव कवर कर रहे न्यूज़ टुडे से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव ने इस चुनाव के रणनीतिक गणित पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए बताया कि इस बार विपक्ष ने एक तीर से दो निशाने साधे थे। उनके मुताबिक इस चुनाव को राजनैतिक नहीं बल्कि सामाजिक सरोकार से जुड़े क्लब या समूह से जोड़कर देखा जाना चाहिए। उनके मुताबिक दिल्ली एनसीआर के इस क्लब में कई राजनैतिक दलों के नेताओं की उपस्तिथि दर्ज होती है, इसलिए ऐसा माना जा सकता है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी खुद खुलकर रूडी का समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि रूडी एक कमर्शियल पायलट भी है, उन्हें निर्धारित अवधि में 90 घंटे से अधिक की नियमित उड़ान सुनिचित करना जरुरी है, अन्यथा उनका लाइसेंस निरस्त हो जायेगा ? रूडी के खिलाफ इस तरह के मुद्दों ने अचानक सहानुभूति लहर पैदा कर दी थी। उनके मुताबिक ऐसी स्थिति में इस क्लब से पायलटो और अन्य प्रोफेशनल की मौजूदगी बनाए रखने वाले प्रतियोगियों को क्लब से बाहर का रास्ता दिखाने वाले मुद्दे हावी रहे। उनके मुताबिक ऐसे मुद्दों की हवा निकालने के लिए कई सांसदों के दिलों में सहानुभूति की लहर पैदा कर राजीव प्रताप रूडी की जीत सुनिश्चित कर दी।

पत्रकार नामदेव ने कहा कि कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में बुकिंग को लेकर चाहे पत्रकार हो या फिर अन्य कोई, रूडी की पॉजिटिव एप्रोज ने हमेशा उन्हें जीवंत रखा है, उनके रचनात्मक फैसलों के चलते ही पक्ष – विपक्ष के कई सांसदों ने उनका समर्थन किया था। गौरतलब है कि चुनाव पूर्व संसद भवन एक वायरल वीडियो ने कॉन्स्टिट्यूशन क्लब की राजनीति गरमा दी थी। इस वीडियो को राहुल गाँधी के रूडी को मिल रहे समर्थन से इसे जोड़कर भी देखा जा रहा था। रूडी को कांग्रेस की तर्ज पर दूसरे विपक्षी सांसदों का भी भरपूर समर्थन मिला। जबकि सांसद डॉ संजीव बालियान को सरकार के कैंडिडेट के रूप में देखने वाले वोटरों की भी कोई कमी नहीं थी। इसका अंदाजा उसी समय लग गया था जब 12 अगस्त को हुई वोटिंग से पहले मानसून सत्र की गहमा – गहमी के बीच कई दिनों तक डिनर डिप्लोमेसी भी जारी रही। चुनाव के दौरान मतदान को लेकर दो बीजेपी नेताओं के बीच होने वाले मुक़ाबले को देखकर पार्टी के कई सांसदों को असहज दुविधा से ग्रसित देखा गया था। बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने इस पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा था कि पहली बार बीजेपी बनाम बीजेपी है इसलिए यह हमारे जैसे नए लोगों के लिए यह चुनाव बेहद कंन्फ्यूज करने वाला रहा है।

संजीव बालियान पश्चिमी यूपी में भाजपा के बड़े जाट चेहरों में से एक हैं। 2013 में सांप्रदायिक दंगों के बाद भाजपा ने उन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट दिया था। बालियान ने पहले ही चुनाव 2014 में बसपा सांसद कादिर राणा को चार लाख से अधिक वोटों से मात दी थी। इसी के बाद से वो बीजेपी नेतृत्व की आंखों का तारा बन गए थे। वे केंद्र में पहली बार नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री बनाए गए थे। जबकि लोकसभा चुनाव 2019 में बालियान ने राष्ट्रीय लोकदल के दिवंगत अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह को करीब साढ़े छह हजार मतों से हराया था। एक बार फिर वे मोदी सरकार में मंत्री रहे। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें सपा के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।

उधर राजीव प्रताप रूडी की भी गिनती ‘भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दिग्गज नेताओं में होती है। RJD सुप्रीमो लालू यादव की बेटी रोहणी आचार्य को हरा कर रूडी इस बार संसद पहुंचे है। वे वर्तमान में बिहार के सारण लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं | बीजेपी के वरिष्ठ नेता, लंबे समय से संसद सदस्य, कई बार लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य रहे चुके रूडी ने 1996 में वे पहली बार छपरा (अब सारण) लोकसभा सीट से जीत दर्ज कर संसद में प्रवेश किया था। वे बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और कई राज्यों में पार्टी के प्रभारी भी रह चुके हैं।