अंबिकापुर : छत्तीसगढ़ के पूर्व उप मुख्यमंत्री TS सिंहदेव ने उस समय राहत की साँस ली, जब उन्हें स्थानीय पुलिस द्वारा सूचित किया गया कि उनके महल से एंटीक हाथी की बहुमूल्य मूर्ति पर हाथ साफ़ करने वाले तत्वों को धर दबोचा गया है। इस मामले में 4 नौजवानों को हिरासत में लिया गया है, इनमे 2 चोर समेत माल ठिकाने लगाने वाले अन्य 2 युवकों समेत कुल 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर एंटीक हाथी को बरामद करने के प्रयास शुरू कर दिए गए है। जानकारी के मुताबिक इस मामले में आरोपियों की गिरफ़्तारी और माल की बरामदगी से पूर्व उपमुख्यमंत्री, जितने खुश नजर नहीं आये, उससे ज्यादा विचलित बताये जाते है।प्रदेश की एक बड़ी आबादी में आम जनता के बाद नौजवानो को नशे की ओर बढ़ता देख सिंहदेव पसोपेश में है, यह भी बताया जाता है कि चोरों के पुलिस के हत्थे चढ़ने की खबर लगने के बाद पूर्व उपमुख्यमंत्री को कोई राहत जैसी बात नज़र नहीं आई बल्कि चोरी का ”मकसद” सुनकर उनके माथे पर बल पड़ गया है। अंबिकापुर महाराज सिंहदेव के महल से हप्ते भर पहले क़ीमती हाथी की मूर्ति चोरी चली गई थी।

दरअसल, नशे का इंजेक्शन खरीदने के लिए नौजवान युवको ने पूर्व उपमुख्यमंत्री TS सिंहदेव के बंगले में धावा बोलकर एंटीक हाथी गायब करने की योजना को अमली जामा पहनाया था। बताया यह भी जाता है कि हाथी की मूर्ति को चोरी करने के बाद आरोपियों ने माल को ठिकाने लगाते ही नशे की दुकानों में दस्तक दी थी। यहाँ से चंद फासलों पर स्थित एक ठिकाने में नशीले इंजेक्शन का डोज लेने के बाद आरोपी सुस्ता रहे थे। वे इस बात से बेखबर थे कि स्थानीय पुलिस उनका गिरेबान पकड़ने के लिए इस ठिकाने पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुकी है।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक आरोपी नशे के आदि है, शराब और ड्रग्स उनकी दिनचर्या का हिस्सा है, बतौर मुख्यमंत्री भू – पे बघेल के कार्यकाल में ही आरोपियों को पहले शराब और फिर नशीले इंजेक्शन की आदत लगी थी। आपराधिक मामलों के जानकारों के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री के शराब के अवैध कारोबार को गाँव – गाँव तक सहज पहुंचाने के चलते प्रदेश के युवाओं में नशे की प्रवृत्ति ने अपनी जड़े जमा ली है। उन्हें पहले शराब ने अपने आगोश में लिया था, लेकिन अब उनका नाता नशीले इंजेक्शन से भी जुड़ गया है।

गौरतलब है कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के स्टार प्रचारकों भू -पे बघेल और TS सिंहदेव ने संयुक्त रूप से प्रदेश में शराब बंदी का वादा किया था। इसे पार्टी घोषणा पत्र में मुख्य रूप से दर्शाते हुए आम जनता से वोटों की मांग की गई थी। लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठते ही बघेल ने शराब और अन्य सरकारी संसाधनों को स्वयं का निजी कारोबार घोषित कर गाँव कस्बो तक में नशे की कई दुकानें खोल दी थी। नतीजतन प्रदेश की एक बड़ी आबादी नशे में डूब गई। ये बगैर सोचे – विचारे की शराब तमाम बुराइयों की जड़ है, पूर्व मुख्यमंत्री ने पूर्ण शराब बंदी के वादे से मुकर गए थे। उन्होंने नशे के कारोबार को अपनी आय का जरिया बना लिया था। 3200 करोड़ के शराब घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल ”सरगना” बताये जाते है। जबकि इस मामले में उनके पुत्र चैतन्य बघेल और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा जेल की हवा खा रहे है।

जानकारी के मुताबिक पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव के पैतृक निवास ”कोठी घर” में इसी माह 3 अगस्त की रात अज्ञात युवको ने धावा बोलकर पीतल की हाथी की मूर्ति चोरी कर ली थी। यह घटना बंगले में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी। पुलिस के मुताबिक युवको ने माल ठिकाने लगाने के लिए मूर्ति को टुकड़ो में काटकर किसी दुकानदार को बेच दिया था। इसके बाद सैर – सपाटे के लिए पडोसी राज्य झारखण्ड की ओर भाग निकले थे। यहाँ उन्होंने मूर्ति बेचकर 220 नग नशे का इंजेक्शन खरीदा था। इस मामले में 2 चोरों और खरीदार समेत 4 आरोपियों को स्थानीय कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने शहर के मोमिनपुरा अयान मार्ग निवासी 27 वर्षीय मो. शरीफुल्ला खान पिता स्व. कलामउल्ला खान, 25 वर्षीय मो. राजूल अंसारी पिता मो. मुख्तार अंसारी समेत लगभग 30 वर्षीय अन्य दो युवको को खैरबार मार्ग में गिरफ्तार कर लिया।

आरोपियों ने पुलिस को बताया कि मूर्ति चोरी करने के बाद वे अंबिकापुर से बिलासपुर पहुंचे थे। यहाँ चौक दर्रीपारा निवासी साकिर हुसैन पिता जाहिद हुसैन की बिरयानी की दुकान में हाथी की मूर्ति छिपाई थी। मूर्ति का वजन 18 किलोग्राम बताया गया, जबकि आरोपियों ने इसे कौड़ियों के दाम महज़ 7 हजार 200 रुपए में बेच दिया था। यह भी बताया जाता है कि धारा 317(2), 3(5) व नारकोटिक्स एक्ट के तहत अपराध दर्ज कर सभी आरोपियों को पुलिस द्वारा अदालत में पेश किया गया, जहाँ से उन्हें जेल भेज दिया गया है। फ़िलहाल, नशे के लिए युवाओं को गंभीर अपराधों की ओर बढ़ते देखकर पूर्व डिप्टी CM हैरान – परेशान बताये जाते है।

NCRB रिपोर्ट में खुलासा, अपराध के ग्राफ में भारी वृद्धि : – छत्तीसगढ़ शर्मसार छत्तीसगढ़ में शराब के प्रचलन ने अन्य नशे को भी नया बाज़ार दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री बघेल इसके ब्रांड एम्बेसैडर बताए जाते है। वर्ष 2018 में कांग्रेस घोषणा पत्र में प्रदेश में पूर्ण शराब बंदी के वादे से पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के मुकरे जाने के बाद ”उड़ता छत्तीसगढ़” खूब सुर्खियां बटोर रहा है। नशे के खिलाफ पुलिस ने रोकथाम अभियान भी शुरू कर दिया है, बावजूद इसके नशे के लिए होने वाले अपराधों में कोई गिरावट सामने नहीं आई है। वर्ष 2024 – 2025 में दर्ज विभिन्न अपराधों के आंकड़े चौकाने वाले है। बताते है कि अपराधों का ग्राफ बढ़ाने की आधारशिला पूर्व मुख्यमंत्री ने शपथ लेते के साथ ही रख दी थी। नतीजतन कांग्रेस शासन काल में प्रदेश की बड़ी आबादी को नशे में डुबाने का उपक्रम सरकारी स्तर पर शुरू किया गया था। NCRB के आंकड़ों पर ग़ौर करे तो नशे के चलते छत्तीसगढ़ में महिलाओं पर अत्याचार और युवको के आत्मघाती कदम और अपराध कम और खत्म होने के बजाय बढ़ते ही जा रहे है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ओर से जारी साल 2020 के आंकड़ों में स्पष्ट कर दिया गया था कि दुष्कर्म के मामलों में बिहार से आगे छत्तीसगढ़ निकल चुका है। पूर्व मुख्यमंत्री बघेल राज में प्रदेश में 2019 में दुष्कर्म के 1036 मामले दर्ज किए गए थे।

2020 में 1210 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि इसी दो वर्षों में बिहार में क्रमश: 730 और 806 मामले दर्ज हुए। निस्संदेह, छत्तीसगढ़ जैसे तुलनात्मक रूप से छोटे राज्य के लिए ये आंकड़े शर्मनाक थे। यही हाल अन्य अपराधों का था। NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में दुष्कर्म की घटनाएं प्रति एक लाख आबादी में जहां 8.3 प्रतिशत थीं, वहीं यह दर बिहार में 1.4 प्रतिशत, गुजरात में 1.5 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 5.8 प्रतिशत थी। वहीं 2019 के मुकाबले छत्तीसगढ़ में अपराध का ग्राफ चरम पर रहा । छत्तीसगढ़ में इस साल सामूहिक हत्या के 21, आत्महत्या के 3930 मामले सामने आए थे। बताया जाता है कि वर्ष 2018 से लेकर 2023 तक कांग्रेस राज में नशे के कारोबार ने पूर्व मुख्यमंत्री बघेल गिरोह को मालामाल कर दिया था। वही दूसरी ओर नशे की गिरफ्त में जा समाई नौजवान पीढ़ी का एक वर्ग चोरी और नकबजनी जैसे अपराधों में संलिप्त हो गया है। राज्य में बीजेपी सरकार के गठन के बाद नशाखोरी के खिलाफ पुलिस ने अपनी मुहिम तेज कर दी है। डिप्टी CM सिंहदेव के आवास पर चोरो की दबिश प्रदेश में बढ़ते नशाखोरी के कारोबार पर अंकुश की दिशा में प्रभावी कदम के रूप में देखा जा रहा है।
