जम्मू-कश्मीर के बारामूला से निर्दलीय सांसद इंजीनियर राशिद ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। उन्होंने NIA कोर्ट द्वारा संसद सत्र में भाग लेने के लिए दी गई हिरासत पैरोल की शर्तों, खासकर ₹1.5 लाख प्रतिदिन यात्रा खर्च वहन करने के आदेश को अनुचित करार दिया है।
बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि आमतौर पर हिरासत पैरोल व्यक्ति की लागत पर ही दी जाती है।
राशिद की ओर से पेश हुए सीनियर वकील एन. हरिहरन ने तर्क दिया कि राशिद एक निर्वाचित सांसद हैं और संसद में उनकी मौजूदगी उनके अधिकार और दायित्व दोनों का हिस्सा है। उन्होंने यह भी कहा कि जब सांसद ने शपथ ली थी, तब ऐसे खर्च की कोई बात नहीं हुई थी। यह शर्तें इसलिए जोड़ी गई हैं ताकि उनके निर्वाचन क्षेत्र की आवाज संसद में न पहुंचे।
अगली सुनवाई 12 अगस्त को
अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी। हरिहरन कोर्ट में यह तर्क रखेंगे कि क्या सुरेश कलमाड़ी केस की मिसाल का उपयोग करके इंजीनियर राशिद को संसद में भाग लेने की अनुमति दी जा सकती है।
