दिल्ली में बीते कुछ दिनों से हो रही हाई-लेवल मुलाकातों ने जम्मू-कश्मीर राज्य का दर्जा बहाल किए जाने की अटकलों को फिर से हवा दे दी है। 3 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अलग-अलग मुलाकात कीं। खास बात यह है कि इन बैठकों की कोई आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई, और ये सब घटनाएं 5 अगस्त से ठीक पहले हुईं—वह तारीख जब 2019 में अनुच्छेद 370 हटाया गया था।
रणनीतिक मुलाकातें और संकेत
गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रपति से मुलाकात के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर बीजेपी प्रमुख, लद्दाख के उपराज्यपाल और शिया समुदाय के प्रमुख नेताओं से भी बातचीत की। इन चर्चाओं में ज़मीनी हालात, लोगों की अपेक्षाएं और भविष्य की रणनीतियों पर मंथन हुआ।
इन बैठकों की टाइमिंग ने राजनीतिक विश्लेषकों और सोशल मीडिया पर बहस को तेज कर दिया है। अनुमान लगाए जा रहे हैं कि केंद्र सरकार जल्द ही कोई बड़ा ऐलान कर सकती है, जिससे जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा मिल सके।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश और जनता की उम्मीद
दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को “जल्द से जल्द” जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने का निर्देश दिया था। हालांकि अभी तक इसकी कोई स्पष्ट तारीख तय नहीं की गई है। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सार्वजनिक रूप से यह कह चुके हैं कि राज्य का दर्जा वापस मिलेगा, लेकिन “कब?”—इस सवाल का जवाब अभी अधूरा है।
