झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और आदिवासी आंदोलन के पुरोधा शिबू सोरेन का निधन सोमवार को दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनके निधन की खबर फैलते ही झारखंड समेत पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई. झारखंड के लोग उन्हें सम्मानपूर्वक ‘दिशोम गुरु’ कहकर बुलाते थे. वे दशकों तक आदिवासियों, गरीबों और वंचितों के हक की लड़ाई लड़ते रहे.
उनके बेटे और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर भावुक शब्दों में श्रद्धांजलि देते हुए लिखा – “आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं. आज मैं शून्य हो गया हूं…”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गहरा शोक जताते हुए उन्हें “जमीनी नेता और आदिवासी समाज के सशक्तिकरण के प्रतीक” बताया. पीएम मोदी ने हेमंत सोरेन से फोन पर बात कर अपनी संवेदनाएं भी व्यक्त कीं.
गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें सरल स्वभाव और संघर्षशील नेता बताते हुए लिखा कि “शिबू सोरेन जनजातीय समाज के अधिकारों के लिए हमेशा समर्पित रहे.”
शिबू सोरेन के निधन के बाद राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई. राजनीतिक गलियारे से लेकर आम जनता तक, हर कोई इस महान नेता के जाने से आहत है.
शिबू सोरेन का निधन न सिर्फ झारखंड, बल्कि पूरे देश के आदिवासी समाज और राजनीति के लिए एक गहरी क्षति है. वे सिर्फ एक राजनेता नहीं थे, बल्कि एक आंदोलन, एक विचारधारा और जनसंघर्ष के प्रतीक थे, जो हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेंगे.
