
मालेगांव बम धमाका केस में अब एक चौंकाने वाला मोड़ आया है। इस केस में सरकारी गवाह रहे मिलिंद जोशी ने दावा किया है कि उनसे योगी आदित्यनाथ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और असीमानंद का नाम लेने के लिए जबरन दबाव बनाया गया था। उनका कहना है कि उन्हें हिरासत में रखकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया ताकि वे भगवा नेताओं को केस में घसीट सकें।
गवाह के मुताबिक, यह पूरी प्रक्रिया एक पूर्व-निर्धारित स्क्रिप्ट की तरह थी, जिसका उद्देश्य केवल हिंदुत्व नेताओं की छवि धूमिल करना था। यह खुलासा उस समय सामने आया है जब इस केस की पारदर्शिता और निष्पक्षता पहले से ही संदेह के घेरे में रही है।
कोर्ट ने उठाए सवाल, कई आरोपी बरी
2008 में मालेगांव के भीकू चौक पर हुए बम धमाके में 6 लोगों की जान गई थी। जांच के दौरान एक बाइक बरामद हुई, जो प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर रजिस्टर्ड थी। इसके आधार पर कर्नल पुरोहित सहित कई लोगों को आरोपी बनाया गया था। हालांकि, मुंबई की विशेष अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में नाकाम रहा। अदालत ने साफ किया कि सिर्फ कहानियों के आधार पर दोष तय नहीं किए जा सकते, ठोस सबूत जरूरी हैं।
भगवा आतंकवाद का नैरेटिव?
इस केस को लेकर उस समय ‘भगवा आतंकवाद’ की परिकल्पना को खूब हवा दी गई थी। लेकिन जैसे-जैसे अदालत में तथ्य सामने आते गए, इस नैरेटिव की बुनियाद कमजोर होती गई। अब गवाह की ये गवाही उस राजनीतिक मकसद की ओर इशारा करती है जो इस केस के पीछे छुपा हुआ था।