कांकेर \ राकेश शुक्ला \ आमजनो के स्वास्थ को लेकर सरकारें कितनी संजीदा है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य के विभिन्न जिलों के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रो में मरीजों को घंटो इतंजार करने के बावजूद भी डाक्टरों के दर्शन भी प्राप्त नहीं हो रहे है | ताजा मामला कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर सामुदायिक सेवा केंद्र का है, जहां लगभग पिछले 1 वर्षों से आपातकालीन सेवा में डॉक्टरों की उपस्थिति नहीं होने से मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है, और जब डॉक्टर नहीं पहुंचते तब मरीजों को मजबूरन निजी अस्पतालों का दरवाज़ा खटखटाना पड़ता है । ग्राम शालेय के कुछ ग्रामीण एक युवक को 108 वाहन की सहायता से भानुप्रतापपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, जहाँ उन्हें आपातकालीन सेवा केंद्र में रखा गया परंतु सीने में दर्द से तड़प रहे युवक की सुध लेने डॉक्टर घंटो बाद भी नहीं पहुंचे | लगभग 2 घंटे के बाद जब सीनियर डॉक्टर मरीज़ के पास पहुंचे तब मरीज़ के परिजनों ने आरोप लगाया कि पिछले 2 घंटे से मरीज की सुध लेने वाला कोई नहीं था | सिर्फ नर्सेस बार बार आ आ कर मरीज का हाल टटोल जाती थी | राज्य में स्वस्थ्य सुविधा को लेकर कई प्रकार की योजनाएं चलाई तो ज़रूर जाती है और इन योजनाओं के नाम पर करोड़ो खर्च भी किए जाते हैं परंतु ज़मीनी स्तर पर इन योजनओं का लाभ केवल पोस्टरों के विज्ञापनों तक ही सिमटकर रह जाता हैं | नियमानुसार आपातकालीन सेवा में डॉक्टर ऑन कॉल पर रहते हैं जहाँ उन्हें मरीज तक 30 मिनट में ही पहुंचना होता है परंतु 2 से 3 घंटे बाद भी जब डॉक्टर नहीं पहुँच पाते हैं तब बेबस मरीजों को निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है | इस मामले पर जब हमारे संवादाता ने खंड चिकित्सा अधिकारी से बात की तो उनका कहना है कि डॉक्टर महिला है इसलिए उन्हें पहुँचने में समय लगता है | बेशक अधिकारियों के पास कई तर्क है पर अधिकारियों के अनदेखी और इस गैरजिम्मेदाराना रवैये का खामियाज़ा मरीजों को आये दिन उठाना पड़ रहा हैं |
