
रायपुर : – छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोल खनन परिवहन घोटाले के मुख्य आरोपी कोयला माफिया सूर्यकान्त तिवारी के अरमानों पर अदालत ने पानी फेर दिया है। मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में जेल की हवा खा रहे सूर्यकांत तिवारी को रायपुर में ही सेंट्रल जेल में रखा जाएगा। जेल प्रशासन द्वारा स्पेशल कोर्ट में दायर की गई याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया है।

कोल माफिया सूर्यकांत तिवारी ने कांग्रेस की तत्कालीन भू -पे सरकार के बैनर तले बड़े पैमाने पर कोयले की अफरा -तफरी की थी। बताते है कि 2 वर्ष के भीतर कोयला परिवहन और परमिट प्रक्रियाओं में कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के जरिये उसने सरकारी तिजोरी पर 570 करोड़ रुपए से अधिक की चोट मारी थी। कोयला कारोबारियों से 25 रूपए टन अवैध लेव्ही वसूली का वो मास्टरमाइंड माना गया है। उसे ED ने लगभग डेढ़ वर्ष पहले धर दबोचा था। आरोप है कि प्रति टन 25 रुपए की दर से अवैध वसूली कर उसने चंद महीनो में एक हजार करोड़ से ज्यादा की कमाई की थी। इस रकम से उसने अपने परिजनों और कारोबारी कर्मचारियों के जरिए बड़े पैमाने पर जमीन जायजाद और अन्य सम्पत्ति इकठ्ठा की थी। घोटाले की रकम से कोरबा में कोल वासरी भी खरीदी गई थी।

जानकारी के मुताबिक कांग्रेस कार्यकाल में छत्तीसगढ़ शासन के खनिज विभाग में माफियाराज स्थापित कर व्यापारियों और कारोबारियों से कोयला एवं अन्य खनिजों के परिवहन पर लेव्ही वसूली के बाद ही परिवहन परमिट जारी किए जाते थे। राज्य के इस कोल घोटाले में कई वरिष्ठ IAS अधिकारी और कांग्रेसी नेता गंभीर आरोपों के घेरे में हैं। ED की ESIR रिपोर्ट के आधार पर ACB/EOW ने प्रदेश के दो पूर्व मंत्रियों, कई विधायकों समेत 36 अन्य आरोपियों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज की थी। मामले की जांच अभी भी जारी है।

इस प्रकरण को अंजाम तक ले जाने के लिए अब सीबीआई भी सक्रीय हो गई है। ED ने कोल घोटाले में IAS अधिकारी रानू साहू और समीर विश्नोई, निलंबित डिप्टी कलेक्टर सौम्या चौरसिया समेत सूर्यकान्त तिवारी के परिजनों को गिरफ्तार कर जेल दाखिल कराया था। हालांकि इनमे से सूर्यकान्त को छोड़ ज़्यदातर आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। सूर्यकांत तिवारी जेल में VIP सुविधाओं की मांग को लेकर लगातार हाथ -पैर मार रहे है।

जानकारी के मुताबिक पूछताछ में असहयोग करने और घोटाले में शामिल अन्य आरोपियों की पतासाज़ी को लेकर आरोपी सूर्यकान्त का व्यवहार आपत्तिजनक बताया जाता है। यह भी तथ्य सामने आया है कि गत वर्ष 20 जुलाई को रायपुर सेंट्रल जेल में जब जेल प्रशासन की टीम सूर्यकांत तिवारी के बैरक की तलाशी लेने पहुंची, तो उसने जांच में सहयोग करने के बजाय ACB -EOW की टीम के साथ दुर्व्यवहार किया था। यही नहीं, इस प्रकरण को आधार बनाकर जेल प्रशासन ने ACB-EOW की विशेष अदालत में एक अर्जी दायर कर आरोपी को दूसरी जेल में स्थानांतरित करने की गुहार लगाई थी। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने बुधवार को जेल प्रशासन के आवेदन को खारिज कर दिया। इस फैसले के बाद सूर्यकांत तिवारी को फ़िलहाल रायपुर सेंट्रल जेल में ही न्यायिक हिरासत में रखे जाने के निर्देश अदालत ने दिए है।