नई दिल्ली। भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान में एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज की है। ISRO और NASA के संयुक्त मिशन ‘निसार सैटेलाइट’ (NISAR) को बुधवार शाम 5:40 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। इस सैटेलाइट की लागत करीब $1.5 बिलियन है, और इसे GSLV रॉकेट के माध्यम से अंतरिक्ष में भेजा गया।
निसार (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) दुनिया का पहला ऐसा उपग्रह है जिसमें ड्यूल-फ्रिक्वेंसी सिंथेटिक एपर्चर रडार तकनीक का उपयोग हुआ है। इसमें NASA का L-बैंड और ISRO का S-बैंड रडार है, जो इसे इतना संवेदनशील बनाता है कि यह जंगलों, बादलों और अंधेरे में भी पृथ्वी की सतह पर मिलीमीटर के बदलाव दर्ज कर सकता है। यह हर 97 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर लगाएगा और हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी को स्कैन करेगा।
भारत के लिए निसार क्यों है अहम?
निसार से भारत को भूकंप, बाढ़, सूखा और जलवायु परिवर्तन जैसी आपदाओं की निगरानी और पूर्वानुमान में बड़ी मदद मिलेगी। यह ग्लेशियर मॉनिटरिंग, कृषि ट्रैकिंग और जल संसाधन प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में वैज्ञानिकों और नीति-निर्माताओं को रीयल टाइम डेटा प्रदान करेगा।
भारत-अमेरिका सहयोग की मिसाल
यह मिशन भारत और अमेरिका के अंतरिक्ष तकनीकी सहयोग का उत्कृष्ट उदाहरण है। करीब एक दशक की मेहनत के बाद तैयार हुआ यह उपग्रह चार चरणों — लॉन्च, डिप्लॉयमेंट, कमीशनिंग और साइंस ऑपरेशंस — में कार्य करेगा। लॉन्च के बाद इसका 12 मीटर का विशाल एंटीना खोला जाएगा और फिर डेटा कलेक्शन की प्रक्रिया शुरू होगी।
