
हाल ही में क्यों चर्चा में आया ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’?
हाल ही में नीदरलैंड्स ने इजरायल के दो मंत्रियों — वित्त मंत्री बेसलेल स्मोट्रिच और राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इटामार बेन-गविर — को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित किया है। इसके बाद यह शब्द चर्चा में आ गया है और लोग जानना चाहते हैं कि इसका अर्थ क्या है और यह क्यों लागू किया जाता है।
पर्सोना नॉन ग्राटा क्या होता है?
‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ एक लैटिन शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है – “अवांछित व्यक्ति”।
जब कोई देश किसी व्यक्ति को अपने देश में अवांछनीय घोषित कर देता है और उसे वहां से निष्कासित कर देता है, तो उसे पर्सोना नॉन ग्राटा कहा जाता है।
राजनयिकों के लिए सबसे सख्त सजा
यह किसी राजनयिक को दी जाने वाली सबसे बड़ी सजा मानी जाती है।
यदि कोई विदेशी राजनयिक, राजदूत या अधिकारी उस देश के कानून, नीति या व्यवहार मानकों के खिलाफ जाता है, तो उसे ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित कर देश से निकाल दिया जाता है।
कानूनी आधार: वियना कन्वेंशन 1961
इस प्रक्रिया को 1961 के वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस में शामिल किया गया है। यह एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो देशों के बीच राजनयिक संबंधों के नियम तय करती है।
‘पर्सोना नॉन ग्राटा नोट’ क्या होता है?
जब कोई व्यक्ति या राजनयिक ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित किया जाता है, तो संबंधित देश का विदेश मंत्रालय दूसरे देश के दूतावास को एक आधिकारिक पत्र भेजता है, जिसे ‘पर्सोना नॉन ग्राटा नोट’ कहा जाता है।
इस नोट में लिखा होता है कि संबंधित व्यक्ति अब देश में स्वीकार्य नहीं है।
आमतौर पर, 48 से 72 घंटे के भीतर उस व्यक्ति को देश छोड़ना पड़ता है।
नोट में कारण बताना अनिवार्य नहीं होता।
🔎 इसका असर क्या होता है?
वह व्यक्ति अब उस देश में कार्य या निवास नहीं कर सकता।
यह निर्णय उस व्यक्ति के देश और उसकी छवि पर भी असर डालता है।
राजनयिक संबंधों में तनाव बढ़ सकता है।