नई दिल्ली/पटना। Bihar Election 2025 को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत और चुनाव आयोग दोनों ही सक्रिय हो गए हैं। आज, 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में उन याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है, जो वोटर लिस्ट पुनरीक्षण से जुड़ी हैं। इस सुनवाई को आगामी बिहार विधानसभा चुनाव की पारदर्शिता के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया था कि आधार और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को मतदाता पहचान के लिए क्यों नहीं अपनाया गया। इसी मुद्दे पर चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि 1 अगस्त को मसौदा मतदाता सूची जारी की जाएगी, जिसके बाद 1 से 31 सितंबर तक दावे और आपत्तियां ली जाएंगी। 30 सितंबर को अंतिम वोटर लिस्ट प्रकाशित होगी।
आयोग के अनुसार, बिहार में लगभग 65 लाख मतदाता मसौदा सूची से गायब हो सकते हैं। इनमें 22 लाख मृतक, 7 लाख डुप्लिकेट, और 36 लाख ऐसे मतदाता हैं जिन्हें स्थायी रूप से स्थानांतरित या अप्राप्य माना गया है।
बीएलओ से लेकर ईआरओ तक की टीम इन दावों की जांच करेगी। बिना स्पष्टीकरण (स्पीकिंग ऑर्डर) के किसी भी नाम को लिस्ट से हटाया नहीं जा सकता। यदि किसी को आपत्ति हो तो वह जिला मजिस्ट्रेट या मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास अपील कर सकता है।
चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए वालंटियर्स को प्रशिक्षण दिया है और एक मानक प्रारूप जारी करने की बात कही है।
