
देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद खाली हो गया है, जिससे सियासी हलचल तेज हो गई है। गृह मंत्रालय ने उनके इस्तीफे को औपचारिक रूप से अधिसूचित कर दिया है, और अब जल्द ही नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। इसी बीच राजनीतिक गलियारों में कयासों का बाजार गर्म है — अगला चेहरा दलित समुदाय से होगा, मुस्लिम समाज से आएगा या फिर सहयोगी दलों को साधने के लिए किसी गठबंधन दल से?
भारतीय जनता पार्टी (BJP) वर्तमान में बहुमत में है, इसलिए चुनाव जीतने में उसे किसी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ेगा। लेकिन राजनीतिक और जातीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए पार्टी एक रणनीतिक नाम की तलाश में है, खासकर 2025 में प्रस्तावित बिहार और पश्चिम बंगाल चुनावों को देखते हुए।
दावेदारों में सबसे प्रमुख नाम थावर चंद गहलोत का है, जो दलित समुदाय से आते हैं। वहीं ओम माथुर, एक अनुभवी संगठनकर्ता, भी दौड़ में हैं। अगर मुस्लिम समुदाय की ओर कोई संदेश देना हो, तो आरिफ मोहम्मद खान का नाम उपयुक्त माना जा रहा है। इसके अलावा नीतीश कुमार की पार्टी से हरिवंश और रामनाथ ठाकुर जैसे नाम सहयोगी संतुलन के लिहाज से अहम हो सकते हैं। रमा देवी जैसे चेहरे भी चर्चा में हैं जो बिहार के सामाजिक समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं।
अब सबकी नजर BJP की अंतिम रणनीति पर है — वह किस वर्ग को साधना चाहती है और किसे अगला उपराष्ट्रपति बनाकर 2024 के बाद की राजनीति में नया संदेश देना चाहती है। निर्णय चाहे जो हो, यह स्पष्ट है कि जातीय संतुलन, राजनीतिक संकेत और नेतृत्व की विश्वसनीयता इस चयन के केंद्र में होंगे।