
लंदन/नई दिल्ली, 24 जुलाई 2025 – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय यूके यात्रा ऐतिहासिक बन गई है। भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच बहुप्रतीक्षित ‘फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA)’ पर आखिरकार मुहर लग गई है। इस समझौते से दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में नया दौर शुरू होने जा रहा है, जिससे न केवल निर्यात को बढ़ावा मिलेगा बल्कि आम उपभोक्ताओं के लिए कई उत्पाद सस्ते भी हो जाएंगे।
FTA से क्या मिलेगा फायदा?
तीन वर्षों से अधिक समय तक चली गहन वार्ताओं के बाद इस एग्रीमेंट को अंतिम रूप दिया गया है। भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इसमें प्रमुख भूमिका निभाई, जबकि ब्रिटेन की ओर से प्रधानमंत्री कीएर स्टार्मर ने इसे एक “आर्थिक क्रांति” बताया।
FTA के अनुसार, वर्ष 2030 तक भारत-यूके द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना कर $120 अरब तक ले जाने का लक्ष्य तय किया गया है।
इन चीजों पर मिलेगा सस्ता दाम:
ब्रिटिश कारें: जगुआर, लैंड रोवर जैसी लग्जरी कारें अब भारत में कम कीमत पर उपलब्ध होंगी।
स्कॉच व्हिस्की और वाइन: यूके से आयातित शराब पर टैरिफ घटेगा, जिससे ये सस्ती होंगी।
फैशन प्रोडक्ट्स: ब्रिटिश ब्रांडेड कपड़े और होम डेकोर सस्ते हो सकते हैं।
फर्नीचर और इलेक्ट्रॉनिक्स: यूके से आने वाले फर्नीचर और इंडस्ट्रियल मशीनरी के दाम में कटौती संभव।
भारत के निर्यात: लेदर, फुटवियर, टेक्सटाइल, खिलौने, जेम्स एंड ज्वेलरी जैसे उत्पाद UK में अब टैक्स फ्री होंगे।
भारत को क्या फायदा?
भारतीय निर्यातकों को मिलेंगे नए बाजार
नौकरियों में वृद्धि की संभावना
वर्ष 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य को साधने में मदद
भारतीय कंपनियों को ब्रिटेन में निवेश और विस्तार के नए अवसर
ब्रिटिश पीएम का बयान
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीएर स्टार्मर ने इस डील को “ब्रिटेन के लिए रोजगार और विकास की दिशा में बड़ा कदम” बताया। उन्होंने कहा कि करीब 6 बिलियन पाउंड (63,000 करोड़ रुपये) के निवेश और व्यापारिक सौदों पर सहमति बनी है, जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी और मजबूत होगी।
टैरिफ में भारी कटौती
ब्रिटिश उत्पादों पर भारत में लगने वाला औसतन 15% टैक्स अब घटकर केवल 3% रह जाएगा। स्कॉच व्हिस्की पर लगने वाला 150% शुल्क अगले 10 वर्षों में घटकर 40% तक आ जाएगा।
घरेलू उद्योगों के लिए नई चुनौती
जहां एक ओर उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा, वहीं भारत की घरेलू प्रीमियम शराब कंपनियों को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन के CEO मार्क केंट ने इसे “एक पीढ़ी में एक बार होने वाला ऐतिहासिक सौदा” बताया।