
22 जुलाई, मंगलवार को खेल मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने पुष्टि की कि बीसीसीआई को नेशनल स्पोर्ट्स बिल के दायरे में लाया जाएगा. यह फैसला खासकर 2028 लॉस एंजेलिस ओलंपिक में भारतीय क्रिकेट टीम की संभावित भागीदारी को देखते हुए लिया गया है. मंत्रालय का उद्देश्य है कि सभी खेल संगठनों में सुधार लाया जाए और उन्हें वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाया जाए.
मंत्रालय द्वारा जारी इस नए ड्राफ्ट बिल के अनुसार, बीसीसीआई को अब एक राष्ट्रीय खेल महासंघ (NSF) माना जाएगा. भले ही बीसीसीआई को सरकारी फंडिंग नहीं मिलती, लेकिन इस बदलाव के बाद उसे खेल मंत्रालय के सभी नियमों और दिशा निर्देशों का पालन करना होगा. 2019 तक बीसीसीआई को एनएसएफ की मान्यता नहीं मिली थी, और 2020 में इसे आरटीआई के दायरे में लाया गया था.
खिलाड़ियों को मिलेगा निर्णायक अधिकार
यह विधेयक खिलाड़ियों को खेल नीति निर्माण के केंद्र में रखता है. सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों को ‘एथलीट्स कमेटी’ बनानी होगी, जिससे खिलाड़ी अपनी बात रख सकें और फैसलों में भागीदार बन सकें. इसके अलावा हर कार्यकारी समिति में दो प्रतिष्ठित खिलाड़ी और कम से कम चार महिलाएं शामिल करना अनिवार्य होगा. यह लैंगिक संतुलन और खिलाड़ियों की भागीदारी को बढ़ावा देगा.
राष्ट्रीय खेल ट्राइब्यूनल का गठन
विवादों को समय पर हल करने के लिए विधेयक में ‘नेशनल स्पोर्ट्स ट्राइब्यूनल’ का प्रस्ताव रखा गया है. यह निकाय खेल संबंधित मामलों में अंतिम सुनवाई करेगा, जिसकी अपील केवल सुप्रीम कोर्ट में की जा सकेगी. इसका उद्देश्य लंबित कानूनी मामलों को जल्द निपटाना और खिलाड़ियों के करियर को सुरक्षित करना है.
नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड की भूमिका
बिल में प्रस्तावित ‘नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड’ (NSB) खेल प्रशासन का नया केंद्र होगा. यह निकाय सभी एनएसएफ और उनके राज्य व जिला स्तर के संगठनों को मान्यता देगा, उनके संचालन और फंड वितरण की निगरानी करेगा. मंत्रालय की मौजूदा नियामक भूमिका को यह बोर्ड अपने हाथ में लेगा, जिससे पेशेवर और स्वतंत्र खेल प्रशासन को बढ़ावा मिलेगा.
पारदर्शिता और जवाबदेही को मिलेगा बल.
सभी मान्यता प्राप्त खेल संगठनों को अब सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत लाया जाएगा. इससे आम नागरिकों को संगठनों के फैसलों और वित्तीय लेन-देन की जानकारी मिल सकेगी. यह कदम भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को रोकने में अहम साबित होगा.
महत्वपूर्ण बदलाव और शक्तियां
हालांकि नए विधेयक में “रेगुलेटरी” शब्द को हटाया गया है, लेकिन इसका प्रभाव काफी व्यापक होगा. नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड को यह अधिकार होगा कि वह खेल महासंघों को निलंबित कर सके, चाहे शिकायत के आधार पर हो या खुद की पहल. इसमें खराब चुनाव प्रक्रिया, वित्तीय गड़बड़ियों या संचालन से जुड़ी अन्य समस्याओं पर कार्रवाई शामिल होगी. यह बोर्ड पूरी तरह केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा.