बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान को लेकर चुनाव आयोग (EC) ने सुप्रीम कोर्ट में एक अहम हलफनामा दाखिल किया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे दस्तावेज बिहार वोटर लिस्ट सत्यापन में नाम जोड़ने के लिए मान्य नहीं माने जा सकते। EC के मुताबिक, ये दस्तावेज न तो व्यक्ति की नागरिकता की पुष्टि करते हैं और न ही SIR प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित कर सकते हैं।
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की उस राय से असहमति जताई जिसमें इन दस्तावेजों को वैध माना गया था। आयोग ने कहा, आधार एक पहचान पत्र भर है, जो किसी की नागरिकता प्रमाणित नहीं करता। वहीं, वोटर आईडी पुरानी लिस्ट पर आधारित होती है, और राशन कार्डों की नकली प्रवृत्ति के चलते उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
EC ने यह भी साफ किया कि अगर किसी व्यक्ति का नाम SIR प्रक्रिया में मतदाता सूची में नहीं आता, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह भारतीय नागरिक नहीं रहा। नागरिकता पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। आयोग ने नागरिकता अधिनियम की धारा 9 को इसमें लागू न मानते हुए कोर्ट से विपक्षी दलों और संगठनों द्वारा दायर याचिका खारिज करने की मांग की है।
सत्यापन के लिए EC ने 11 दस्तावेजों की एक सूची जारी की है, जिसमें वोटर ID और राशन कार्ड शामिल नहीं हैं। इससे साफ है कि चुनाव आयोग बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से पुनः तैयार करना चाहता है।
