
राजस्थान के बारां जिले में शनिवार रात हुए एक भीषण सड़क हादसे ने लखनऊ के दो परिवारों को गहरे शोक में डुबो दिया। गजनपुरा हाईवे पर कार और पिकअप की जबरदस्त टक्कर में लखनऊ की जया शर्मा और नमन चतुर्वेदी समेत चार लोगों की मौत हो गई। हादसे की खबर जैसे ही लखनऊ में परिजनों तक पहुंची, कोहराम मच गया।
सबसे दिल दहला देने वाली कहानी है विनोद शर्मा और मंजू शर्मा की, जिन्होंने अब तक अपने तीन बच्चों को सड़क हादसों में खो दिया है। पहले 2014 में बड़ी बेटी सोनाली, फिर 2022 में बेटा अभिषेक, और अब 2024 में सबसे छोटी बेटी जया। मां मंजू बार-बार बस यही कहती रहीं – “भगवान, तीन-तीन बच्चों को क्यों छीना?” वहीं पिता विनोद ने रोते हुए कहा, “सोचा था डोली उठाऊंगा, पर किस्मत में अर्थी उठाना लिखा था।”
वहीं, हादसे में नमन चतुर्वेदी की भी मौत हो गई, जो अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। पिता राम कुमार चतुर्वेदी, जो एलडीए से रिटायर हो चुके हैं, बेटे की अर्थी देखकर स्तब्ध रह गए। मां रीमा बेहोश हो गईं और बार-बार बिलखती रहीं – “अब कौन मुझे बेटा कहेगा?”
हादसा शनिवार रात उस वक्त हुआ जब कार कोटा की ओर जा रही थी और एक पिकअप से टकरा गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कार के परखच्चे उड़ गए। मौके पर ही नमन, अंशिका मिश्रा (गोरखपुर) और राहुल प्रकाश (दिल्ली) की मौत हो गई। जया शर्मा ने इलाज के दौरान दम तोड़ा। पुलिस के अनुसार, कार की रफ्तार बहुत तेज थी और मोड़ पर नियंत्रण बिगड़ गया।
रविवार दोपहर भैंसाकुंड में जया और नमन का अंतिम संस्कार किया गया। विनोद शर्मा ने अपनी तीसरी संतान को अग्नि दी, वहीं राम कुमार ने अपने इकलौते बेटे को मुखाग्नि दी। हर आंख नम थी, हर दिल सवालों से भरा था – “इतने अच्छे बच्चे थे, भगवान को क्या मंज़ूर था?”