
कोण्डागांव/रायपुर: जिले में किसानों को सहकारी समितियों (लेम्प्स) और डबल लॉक गोदामों के माध्यम से वितरित किए गए कुछ उर्वरक गुणवत्ता जांच में अमानक पाए गए हैं। यह खुलासा हाल ही में आई प्रयोगशाला रिपोर्ट से हुआ है, जिसने कृषि विभाग और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सिंगल सुपर फास्फेट, अमोनियम सल्फेट और इफ्को ब्रांड के उर्वरकों के सेंपल जांच के लिए भेजे गए थे। इनमें गणपति ब्रांड का जिंकेटेड सिंगल सुपर फास्फेट अमानक पाया गया। चिंता की बात यह है कि जब तक रिपोर्ट विभाग के पास पहुंची, तब तक अधिकांश किसानों को यह उर्वरक वितरित किया जा चुका था और कई किसान इसका प्रयोग भी कर चुके हैं।
कृषि विभाग कोण्डागांव के उर्वरक निरीक्षक आनंद नेताम ने पुष्टि करते हुए बताया कि दो सेंपल अमानक पाए गए हैं, जिन्हें लेम्प्स बवई और डबल लॉक गोदाम बीजापुर से एकत्र किया गया था।
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वहीं, जिला विपणन अधिकारी सतीश नानवारे ने सफाई देते हुए कहा कि उन्हें अभी तक जांच रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। रिपोर्ट मिलने के बाद ही वे इस पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया दे सकेंगे।
जिला विपणन कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, खरीफ वर्ष 2025 के लिए जिले में सुपर फास्फेट जिंकेटेड उर्वरक का लक्ष्य 5350 मीट्रिक टन तय किया गया था, जिसमें से 1138 मीट्रिक टन का भंडारण और 747 मीट्रिक टन का वितरण 2 जुलाई तक किया जा चुका है। 391 मीट्रिक टन उर्वरक अभी भी शेष है।
यह मामला न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि किसानों की फसल, मिट्टी की उर्वरता और उत्पादन पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकता है। अब देखना यह है कि इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्रवाई होती है और प्रभावित किसानों को किस प्रकार की राहत दी जाएगी।
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