25 जून 1975 — भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में यह तारीख आज भी एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है। ठीक आज से 50 साल पहले, आधी रात को रेडियो पर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आवाज गूंजी— “राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है।” और इसी के साथ भारत में Emergency 1975 लागू हो गई।
राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल घोषित किया, जो प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिफारिश पर लागू हुआ। इसके बाद पूरे देश में मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया, प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई और विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर जेल भेजा जाने लगा। जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और जॉर्ज फर्नांडिस जैसे बड़े नाम शामिल थे।
इस आपातकाल का असली कारण था— इंदिरा गांधी और न्यायपालिका के बीच टकराव। 1971 के चुनाव में भारी जीत के बाद, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजनारायण की याचिका पर इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर दिया, तब सत्ता में बौखलाहट आई। कैबिनेट की सहमति के बिना ही इंदिरा ने आपातकाल की सिफारिश कर दी और राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर कर दिए।
इंदिरा गांधी के सचिव आर.के. धवन के अनुसार, यह फैसला उनका राजनीतिक भविष्य बचाने के लिए लिया गया था। पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री एसएस राय ने भी जनवरी 1975 में इमरजेंसी लगाने की सलाह दी थी।
