
दिल्ली/अयोध्या/ हरिद्वार: अयोध्या राम जन्मभूमि परिसर में दूसरी प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन शुरू हो चुका है। 3 जून से जारी यह ऐतिहासिक कार्यक्रम कल 5 जून 2025 को संपन्न हो जायेगा। मुख्य प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान कार्यक्रम में लोगों का तांता लगा हुआ है। 3 जून सुबह 6:30 बजे से ही तमाम VIP और आम भक्त नवनिर्मित आठ देवालयों में विग्रहों (देवताओं की मूर्तियों) की पूजा कर रहे है। वैदिक परंपराओं के अनुसार स्थापित राम दरबार में मूर्तियों की मुख्य पूजा 5 जून को सुबह 11.25 बजे के बाद अभिजीत मुहूर्त में संपन्न होगी। इसका हिस्सा बनने के लिए होड़ मची हुई है।

अयोध्या में आयोजित कार्यक्रमों से एक बार फिर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने दूरियां बना ली है। उन्होंने सवालों की झड़ी लगाते हुए एक ही साँस में कहा कि धर्मनिरपेक्ष सरकारों का धार्मिक जगहों में क्या काम है ? उन्होंने सरकार से सवाल किया कि आप हिंदू धर्म के धर्म स्थलों पर ही हस्तक्षेप क्यों करते हैं ? हमारे हिन्दू धर्म के धार्मिक स्थान में आने की क्या जरूरत है ? आप किसी दूसरे धर्म पर ऐसा क्यों नहीं करते हैं ? आप हमारे मंदिरों के साथ कॉरिडोर शब्द क्यों जोड़ रहे हैं ? शंकराचार्य ने कहा कि कॉरिडोर अंग्रेजी का शब्द है, हमारे धर्म में सरकार हस्तक्षेप कर रही है, जिसका विरोध हम कर रहे हैं. अगर कुछ ठीक करना है तो आप हमें बताइए हम क्यों शंकराचार्य बने हैं।

उनके मुताबिक, जिन जगहो पर सरकारों ने ट्रस्ट बनवाया है, वहां क्या हो रहा है ? जिन-जिन धार्मिक स्थलों को सरकार ने अपने हाथों में लिया है वहां आपने धार्मिक आस्था को चोट पहुंचाई है और हिन्दू धर्म के विरुद्ध काम होता है. उन्होंने कहा कि हम ये नहीं चाहते हैं कि बांके बिहारी में सरकार कोई ट्रस्ट बनाए. अयोध्या में नए अनुष्ठानों से बिफरे शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए देते हुए कहा कि प्राण प्रतिष्ठा तो हो चुकी है.

अब क्या ? इसका मतलब है कि पहली प्रतिष्ठा गलत थी. अब शिखर बनने के बाद प्रतिष्ठा हो रही है. आपने जो कुछ भी किया वो गलत था, फिर से वहां जो शिखर प्रतिष्ठा आदि कार्यक्रम होंगे वो इस बात को प्रमाणित करेंगे कि पहले जो प्रतिष्ठा हुई वो धर्म – शास्त्र के विरुद्ध थी, हिंदू धर्म के विरुद्ध थी. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद की तीखे सवालों के पीछे राजनीति भी जोरो पर बताई जा रही है।

यहाँ मौजूद साधु-संतों के एक धड़े ने अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य मानने से इंकार करते हुए कहा कि वे कांग्रेस पार्टी के नेता है, उनकी पदवी विवादों में है, कोर्ट-कचहरी हो रही है। इससे परेशान होकर अविमुक्तेश्वरानंद अपना आपा खो रहे है। साधु-संतों ने यह भी कहा कि अयोध्या में उनका स्वागत है, रामलला तो हर वक़्त यहाँ मौजूद है, अविमुक्तेश्वरानंद जब चाहे तब यहाँ आकर दर्शन कर ले। फ़िलहाल, अयोध्या मंदिर में आयोजित कार्यक्रमों को लेकर एक बार फिर राजनीति भी तेज है।