video :”विश्वास या अन्धविश्वास” ? अद्भुत चमत्कार | भोपाल में “जल झुलनी एकादशी” के मौके पर पानी के विपरीत दिशा में तैरकर पुजारी के पास पहुंची “नरसिंह” भगवान की मूर्ति | झील में जुटे लाखो लोग | 

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इसे “चमत्कार” ही कहा जाए की पानी की “विपरीत” दिशा में कोई वस्तु तैरकर वापस उस शख्स के पास पहुंच जाती है ,जिसे उसने पानी में छोड़ा हो | इस अद्भुत नज़ारे को देखने के लिए लाखो लोग जुटते है | यह परंपरा सैकड़ो सालो से अनवरत चली आ रही है | बताया जाता है कि “राजा भोज” के जमाने में शुरू हुई यह परंपरा आज पर्यन्त तक “जीवित” है | भोपाल में “झुलनी एकादशी” के मौके पर इस ” चमत्कार ” को देखने के लिए दूर -दूर से लोग आते है | किसी के लिए यह चमत्कार है ,तो किसी के लिए “आस्था” |  यही नहीं इस रस्मो रिवाज को “विज्ञानं” की कसौटी पर परखने वाले लोगो की भी कोई कमी नहीं | लेकिन हर कोई उस समय अवाक् रह जाता है जब  वो पानी के विपरीत दिशा में तैर रही वस्तु को उस शख्स के हाथो में पहुँचते देखता है ,जो उसे पानी में डालता है | “विज्ञानं” की कसौटी में यह मूल मंत्र तकनीक पर आधारित है | लेकिन “झील” के “पानी” में ऐसी कोई तकनीक नहीं अपनाई जाती जिससे की वह वस्तु पानी के विपरीत दिशा में “गतिमान” हो | आमतौर पर बहते पानी में कोई भी वस्तु उस ओर “रुख” करती है , जिस ओर पानी का “बहाव” होता है | 

https://youtu.be/pMtKeQmZrxA

गुरुवार को भोपाल के “हाट पिपलिया” इलाके की झील के चारो ओर लोगो का भारी जमावड़ा दिखाई दिया | किसी के चेहरे पर “हवाइयाँ” उड़ रही थी तो कोई “आस्था” के सैलाब में बह रहा था | किसी की जुबान पर भगवान् का “जयकारा” था तो कोई “वैज्ञानिक” सिद्धांतो की व्याख्या कर रहा था | लोगो की निगाहें झील के पानी में तैर रही फूलो से सजी भगवान ” नरसिंह नाथ ” की मूर्ति को टकटकी लगाए “निहार” रही थी | भारी भीड़ के बीच मंदिर के “पुजारी” ने उस मूर्ति को बहते पानी की लहरों में छोड़ा | चंद पलो में ही “नरसिंह नाथ” की मूर्ति पानी के बहाव को चीरते हुए विपरीत दिशा की ओर बहने लगी | यह मूर्ति तैरते हुए वापस “पुजारी” के हाथो के करीब आ गई | “पुजारी ” ने लगातार “तीन” बार इस मूर्ति को पानी के बहाव की ओर “विसर्जित”  किया | “तीनो” ही बार यह मूर्ति तमाम “वैज्ञानिक” सिद्धांतो को धत्ता बताते हुए पानी के विपरीत बहाव की ओर तैरती हुई दिखाई दी | बताया जाता है कि सैकड़ो वर्षो से यह परंपरा चली आ रही है | “पीढ़ी दर पीढ़ी” हजारो लोग इस  नज़ारे के “गवाह” बनते है | यह भी बताया जाता है कि परंपरानुसार मंदिर का “पुजारी” सिर्फ “तीन” बार भगवान “नरसिंह नाथ” की मूर्ति को पानी में विसर्जित करता है | इस मौके पर लाखो लोग जुटते है | कहा जा रहा है कि पानी के विपरीत तैरते भगवान् “नरसिंह नाथ ” की मूर्ति को देखने के लिए श्रद्धालुओं की संख्या साल दर साल बढती जा रही है |