रायपुर | छत्तीसगढ़ में “कलेक्टर और एसपी” की मुसीबत बढ़ गई है | मैदानी इलाको में तैनात ऐसे अफसर सस्ती लोकप्रियता के चक्कर में कभी भी अप्रिय घटना का शिकार हो सकते है | हालांकि दोनों ही स्तर के अफसरो के पास “गनमैन” समेत अन्य “सुरक्षकर्मी” सेवा में रहते है | बावजूद इसके राजनीति में अपनी “किस्मत” चमकाने के लिए “ललायित” दिखाई दे रहे कई नौजवानो को उनसे काफी “उम्मीदे” नजर आ रही है | ऐसे कई नौजवान उनकी “कॉलर” पकड़ने के लिए “बेताब” दिखाई दे रहे है | शायद दंतेवाड़ा उपचुनाव के दौरान ही ऐसी “अप्रिय” घटना सामने आ सकती है | राजनीति के ही कई धुरंधर ऐसी आशंका जाहिर कर रहे है | उनके मुताबिक रातों -रात स्टार बनने के लिए राजनीति के कई युवा चेहरों को अपना भविष्य संवारने के लिए “कलेक्टर और एसपी” से काफी संभावनाए नजर आ रही है | इसके लिए जोरआजमाइश का सपना देख रहे नौजवान को दो -चार महीने “जेल की हवा” खाने से भी कोई “एतराज” नहीं है | बताया जा रहा है कि राज्य के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ऐसे नौजवानो के “प्रेरणाश्रोत” बन गए है | गौरतलब है कि हाल ही में कवासी लखमा ने नेता बनने के लिए स्कूली छात्रों को वो “गुरुमंत्र” दिया है , जो राजनीति में तहलका मचा सकता है | सत्ताधारी दल ही नहीं विपक्षी दल के कई नेताओ को भी यह “मंत्र” कारगार नुस्खे के रूप में नजर आ रहा है | सिर्फ नौजवान ही नहीं बल्कि राजनीति के क्षेत्र में “दगे कारतूस” की तरह निष्प्रभावी हो चुके कई “नेता” भी इस नुस्खे को आजमने के फ़िराक में है | उनकी दलील है कि गांव से लेकर शहरो तक कई ऐसे मुद्दे है ,जिन्हे लेकर “एसपी या कलेक्टर” की “कॉलर” पकड़ी जा सकती है | ऐसे अवसरों पर उन्हें जनता का भी व्यापक समर्थन मिलेगा | उन्हें “क्रांतिकारी” नेता के रुप में लोग जानने पहचानने लगेंगे | उनका यह भी मानना है कि “मीडिया” में ऐसी खबरों को “हाथो- हाथ” लिया जाता है | लिहाजा एक बार ऐसे किसी अफसरों की “कॉलर” भर हाथ में आ जाए , वो अखबारों और टीवी पर ” छा” जाएंगे | इसके लिए भले ही उन्हें कितने दिन ही क्यों ना “हवालात” में गुजारने पड़े ?
उधर “कलेक्टर और एसपी” का प्रतिनिधित्व वाले आईएएस और आईपीएस “एसोसिएशन” ने आबकारी मंत्री कवासी लखमा के “बयानों” की ना तो “निंदा” की है और ना ही उसे “गैरकानूनी” करार दिया है | जाहिर है, एसोसिएशन का मौन ऐसे बयानों के समर्थन के तौर पर देखा जा रहा है | कवासी लखमा के “बयान” के 48 घंटो बाद भी इस बारे में आईएएस और आईपीएस “एसोसिएशन” की कोई प्रतिक्रिया नहीं आने से साफ़ है कि वो भी कही ना कही इससे “इत्तेफॉक” रखता है | बताया जाता है कि आईएएस और आईपीएस “एसोसिएशन” के पदाधिकारियों में ज्यादातर ऐसे “वरिष्ठ” अधिकारी है ,जिन्हे राजनीति का भी अच्छा खासा अनुभव है | उन्होंने कई “धुरंधर” नेताओ को पैदा होते देखा है | उन्हें इस बात का भी बखूबी अनुभव है कि “अधिकारियों” से लड़ झगड़ कर राजनीति की नई “पौध” एक ना एक दिन “वृक्ष” में तब्दील हो जाती है | फिर “ट्रांसफर और पोस्टिंग” के लिए इसी “वृक्ष” की “परिक्रमा” करनी पड़ती है | जाहिर है ,आईएएस और आईपीएस “एसोसिएशन” की ओर से इस तरह से “नुस्खों” को मिल रहा अप्रत्यक्ष “संरक्षण” भविष्य में अखिल भारतीय सेवाओं और राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों पर भारी पड़ सकता है | कई कनिष्ठ अफसरों ने दबी जुबान से ही सही “मंत्री”जी की कड़ी भर्त्सना की है | उन्हें उम्मीद है कि उनका “एसोसिएशन” ऐसे बयानों को संज्ञान में लेगा |
इधर आबकारी मंत्री कवासी लखमा के बिगड़े बोल को “मीडिया” में स्थान तो मिला | लेकिन इसके साथ ही उनकी “योग्यता” और “अनुभव” की जानकारी पाठको और दर्शको को प्राप्त हुई | “मंत्री” जी से इससे ज्यादा और क्या उम्मीद की जा सकती थी | हालांकि अपने बड़बोले पन का “एहसास” होते ही कवासी लखमा ने “मीडिया” पर “खीज़” उतारना शुरू कर दिया है | | उनकी दलील है कि “मीडिया” ने उनके बयानों को “तोड़ -मरोड़” कर पेश किया है | लेकिन “मंत्री” जी ने यह कदापि नहीं स्वीकारा की भविष्य के “धुरंधरों” के साथ उन्होंने कोई “बेतुकी” बात की थी |

