1.5 करोड़ के इनामी ‘बसवराजू’ की मौत से माओवादी संगठन को बड़ा झटका, जानिए कौन था ‘बसवराजू’

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नारायणपुर : छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ इलाके में सुरक्षाबलों को नक्सल विरोधी अभियान के तहत अब तक की सबसे बड़ी सफलता हाथ लगी है।  भीषण मुठभेड़ में 27 नक्सली मारे गए, जिनमें CPI (माओवादी) महासचिव नंवबल्ला केशव राव उर्फ बसवराजू भी शामिल था। मुठभेड़ अब भी जारी है।

बसवराजू सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि माओवादी संगठन के सैन्य रणनीतिकार का चेहरा था। AK-47 का शौकीन, बम और गुरिल्ला युद्ध में माहिर, और 1.5 करोड़ के इनामी बसवराजू की मौत से नक्सली नेटवर्क को करारा झटका लगा है।

कौन था बसवराजू?

बसवराजू का असली नाम नंवबल्ला केशव राव था। आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले का रहने वाला यह नक्सली बी.टेक पास इंजीनियर था। माओवादी संगठन से उसका जुड़ाव पिछले 55 सालों से था, जब उसने 1970 में अपना घर छोड़ दिया था।

वह 2018 में CPI (माओवादी) का महासचिव बना और 24 वर्षों तक पार्टी की पोलित ब्यूरो का हिस्सा रहा। वह नक्सलियों के केंद्रीय सैन्य आयोग का प्रभारी भी था। युद्ध कौशल और विस्फोटकों में निपुण बसवराजू ने श्रीलंका के आतंकी संगठन LTTE से गुरिल्ला ट्रेनिंग ली थी।

कई नामों से जाना जाता था

बसवराजू को संगठन में अलग-अलग नामों से जाना जाता था, जैसे गनगन्ना, विजय, दरपू नरसिम्हा रेड्डी, प्रकाश और कृष्णा। उसकी उम्र करीब 70 साल थी, लेकिन वह आज भी नक्सल संगठन में सबसे प्रभावशाली चेहरों में से एक माना जाता था।

जिन हमलों की बना चुका था साजिशकर्ता

बसवराजू ने माओवादी संगठन के लिए कई बड़े हमलों की साजिश रची थी:

  • 2010 दंतेवाड़ा हमला – जिसमें 76 CRPF जवान शहीद हुए थे।
  • 2013 झीरम घाटी हमला – कांग्रेस नेताओं की हत्या सहित 29 लोगों की मौत हुई थी।
  • 2018 अराकू हमला – आंध्र प्रदेश में विधायक किदारी सर्वेश्वर राव और पूर्व विधायक एस. सोमा की हत्या।
  • 2019 गढ़चिरौली हमला – 15 QRT कमांडो शहीद हुए थे।

इन सभी हमलों में बसवराजू की भूमिका को निर्णायक माना जाता है।

ऑपरेशन अबूझमाड़: सुरक्षाबलों की बड़ी उपलब्धि

नारायणपुर जिले के घने जंगलों में बसे अबूझमाड़ क्षेत्र में लंबे समय से नक्सली गतिविधियां जारी थीं। सुरक्षाबलों द्वारा चलाए जा रहे इस संयुक्त ऑपरेशन में बसवराजू की मौत को नक्सलियों की कमर तोड़ देने वाली सफलता माना जा रहा है।

सूत्रों के मुताबिक, मुठभेड़ अब भी जारी है, और मारे गए नक्सलियों की संख्या बढ़ सकती है। सुरक्षाबलों ने घटनास्थल से भारी मात्रा में हथियार, गोलाबारूद और दस्तावेज भी जब्त किए हैं।

बसवराजू की मौत न केवल सुरक्षाबलों के लिए एक रणनीतिक जीत है, बल्कि माओवादी संगठन के लिए एक बड़ा मनोवैज्ञानिक झटका भी है। जिस नक्सली ने दशकों तक गुरिल्ला युद्ध की योजना बनाई और कई जानें लीं, आज वही अपने आखिरी मोर्चे पर ढेर हो गया। सुरक्षाबलों का यह ऑपरेशन आने वाले समय में नक्सली नेटवर्क को कमजोर करने की दिशा में निर्णायक साबित हो सकता है।