सुप्रीम कोर्ट (SC) ने दिल्ली के चांदनी चौक के फतेहपुरी क्षेत्र में आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियों को ध्वस्त करने की कार्रवाई पर रोक लगा दी है. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह आदेश मंगलवार (13 मई) को सुनवाई के दौरान दिया. SC ने दिल्ली नगर निगम (MCD) को अवैध निर्माण रोकने में विफल रहने पर कड़ी फटकार भी लगाई. न्यायालय ने कहा कि अगर MCD स्थिति रिपोर्ट समय पर दाखिल नहीं करता, तो यह माना जाएगा कि वह बिल्डरों के साथ मिलीभगत में शामिल है.
सुनवाई के दौरान अदालत ने हस्तक्षेपकर्ता द्वारा पेश की गई क्षेत्र की तस्वीरों का संज्ञान लेते हुए कहा कि MCD की ओर से व्यावसायिक परिसरों के अवैध निर्माण को नहीं रोका गया. SC ने स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा, “इस बीच, आवासीय भवनों के ध्वस्तीकरण और व्यावसायिक परिसरों के निर्माण व बदलाव पर रोक लगाई जाती है.” अदालत ने यह भी कहा कि यदि रिपोर्ट पेश नहीं की गई, तो अवमानना की कार्रवाई की जाएगी.
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MCD की ओर से पेश अधिवक्ता ने दलील दी कि अदालत के आदेश के बाद क्षेत्र का निरीक्षण किया गया और पूरी रिपोर्ट तैयार की गई है, लेकिन छुट्टियों के कारण उसे रिकॉर्ड में नहीं रखा जा सका. वकील ने यह भी दावा किया कि इलाके से सभी अवैध निर्माण हटा दिए गए हैं. हालांकि, अदालत ने MCD की रिपोर्ट पर भरोसा जताने से इनकार करते हुए स्वतंत्र निरीक्षण की आवश्यकता जताई.
अदालत ने याचिकाकर्ता से स्वतंत्र वास्तुकारों और सिविल इंजीनियरों के नाम सुझाने को कहा ताकि वे मौके पर जाकर मुआयना कर एक निष्पक्ष रिपोर्ट सौंप सकें. पीठ ने कहा, “अब हम MCD की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं कर सकते, इसलिए स्वतंत्र निरीक्षण जरूरी है.” सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 23 मई तय की है. इससे पहले 17 फरवरी को कोर्ट ने इस मामले की CBI जांच कराने की संभावना पर भी विचार किया था.